Class 11th Pol-Sciecne Chapter-1 (राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय) Notes in Hindi
Class 11th Pol-Sciecne (1st Book) Chapter-1 Notes in Hindi (राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय). राजनीति की उत्पति यूनान के पोलिस (polis) शब्द से हुई है।

राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय
* (राजनीति) राजनीति की उत्पति यूनान के पोलिस (polis) शब्द से हुई है। जिसका अर्थ होता है, नगर राज्यों का अध्ययन
- राजनीति शासन करने की काला है।
- राजनीति सरकार के क्रियाकलापों को ठीक से चलाने की सीख देती है।
- राजनीति प्रशासन संचालन के विवादों का हल प्रस्तुत करती है।
- जनकल्याण से इसका संबंध है।
*राजनीति विज्ञान का जनक 'अरस्तू' को कहा जाता जाता है।
* (ग्रीस) जिसका प्राचीन नाम यूनान था ।
*(ग्रीस) के विचारक). सुकरात
(ii)प्लेटो, सुकरात का student था।
(iii)अरस्तु, प्लेटों का student था।
- पॉलिटिक्स नामक पुस्तक के लेखक अरस्तू है।
(राजनीति को लेकर लोगों की धारणा)
1. आमलोगों की अवधारणा
- दावपेच
- भ्रष्टाचार
- दलबदल
- झूट, हिंसा
- घोटाला
2. विद्वानों की अवधारणा
- कल्याण
- जनसेवा
- माध्यम
Q. राजनीतिक सिद्धांत में हम क्या पढ़ते है?
Ans.i) राजनीतिक सिध्दांत में हम जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हैं जैसे सामाजिक जीवन, सरकार और संविधान, आजादी, समानता, न्याय, लोकतंत्र धर्म निर पेक्ष आदि ।
ii)निश्चित मूल्यों व सिद्धान्तों को पढ़ते है, जिनके द्वारा नीतियाँ निर्देशित होती है।
Q.राजनीतिक सिध्दांत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans. राजनीति सिद्धांत का उद्देश्य नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के बारे में तर्क संगत ढंग से सोचने और सामाजिक राजनीतिक घटनाओं को सही तरीके मे आँकने का प्रशिक्षण देना है।q
Q. महात्म गाँधी का राजनीति पर क्या विचार था?
Ans. महात्मा गाँधी ने टिप्पणी की थीं कि राजनीति ने हमें साँप की कुंडली की तरह जकड रखा है। और इससे जूझने के सिवाय अन्य आता रास्ता नहीं है।
* सामाजिक संस्थाएँ - (i)परिवार (ii) जनजाति.
*(सामाजिक संस्थाएँ का महत्व)
- परिवार जनजाति और आर्थिक संस्थाओं जैसी अनेक सामाजिक संस्थाएं लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने में सहायता करने के लिए पनपी है।
- ऐसी संस्थाएँ हमे साथ रहने के उपाय खोजने और एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों को कबूलने में मदद करती है।
राजनीतिक सिद्धांतों को व्यवहार में उतारना
- राजनीतिक स्वरूप समय के साथ-साथ बदलता रहा, राजनीतिक सिद्धांतों जैसे कि स्वतंत्रता / आजादी और समानता को व्यवहार में उतारने का काम बहुत मुश्किल है
- हमें अपने पूर्वग्रहों का त्याग कर, इन्हें अपनाना चाहिए।
- राजनीतिक सिद्धांत कोई वस्तु नहीं है यह मनुष्य से संबंधित है। उदाहरण के लिए समानता का अर्थ सभी के लिए समान अवसर है, फिर भी महिलाओं, वृद्धों विकलांगो के लिए अलग व्यवस्था की गई है अतः हम कह सकते हैं कि पूर्ण समानता संभव नहीं है, भेदभाव का तर्क संगत जरूरी है।
राजनीतिक सिध्दांत के मुख विचारक
- कौटिल्य
- अरस्तू
- रूसो
- कॉल मार्क्स
- महात्मा गांधी
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर
* (रूसो)-आधुनिक काल में सबसे पहले रूसो ने सिद्ध किया कि स्वतंत्रता मानव मात्रा का मौलिक अधिकार है।
* (कार्ल मार्क्स) - कार्ल मार्क्स ने तर्क दिया कि समानता भी उतनी ही निर्णयक होती है, जितनी कि स्वतंत्रता )
* (Dr. B.R अंबेडकर) - अंबडेकर ने जोरदार तरीके से तर्क रखा कि अनुसूचित जातियों को अल्पसंख्यक माना जाना चाहिए और उन्हें विशेष सरंक्षण मिलाना चाहिए ।
* हिंद स्वराज नामक पुस्तक की रचना महात्मा गांधी ने की थीं 1909 में।
जिसमें उन्होंने वास्तविक स्वतंत्रता या स्वराज के अर्थ की विवेचना की।
* (नेटिजन) अंग्रेजी में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालो कों नेटिजन कहा जाता
प्लेटों की पुस्तक का नाम द रिपब्लिक था ।
(यूनान के प्रमुख विचारक)
- सुकरात
- प्लेटो
- अरस्तू
- सेफ्लस
- कार्ल मार्क्स
Q. हमें राजनीतिक सिद्धांत क्यों पढ़ना चाहिए ?
Ans. i) भविष्य में आने वाली समस्याओं के समय एक उचित निर्णय लेने वाला नागरिक बनने के लिए।
ii) बुनियादी व सामान्य ज्ञान के लिए ।
iii) एक अधिकार सम्पन्न नागरिक बनानें के लिए।
iv) जागरूक नागरिक बनाने के लिए ।
v) राजनीतिक चेतन जागरूक करने के लिए।
ⅵ) मत देने के लिए।
vii) शासन व्यवस्था की जानकारी के लिए ।
vii) नीति बनानें के लिए
ix) एक लोकतंत्र की उपयोगिता का ज्ञान प्राप्त करने हेतु ।
x) कर्तव्यों व अधिकारों को समझने के लिए।
xi) भविष्य की योजना बनाने के लिए।
xii) अंतर्राष्ट्रीय शांति व सहयोग को बढ़ावा देने के लिए।
*( राजनीतिक सिद्धांत का महत्व)
i) न्याय व समानता के बारे मे सुव्यवस्थित सोच का विकास।
ii) तर्क संगत व प्रभावी ढंग से संप्रेषण
iii) कुशल व प्रभावी राजनीतिक निर्णय लेने में सहायक।
iv) अंतरराष्ट्रीय जगत की सूचना प्राप्त करने हेतु।
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