Class 11th Pol-Sciecne Chapter-5 (अधिकार) Notes in Hindi

अधिकार
अधिकार क्या है:-अधिकार वह दावा है जिसका औचित्य सिध्द हो ।
अधिकार किन बातों का घटक है:- जिन्हें में और अन्य लोग सम्मान और गरिमा का जीवन बसर करने के लिए महत्वपूर्ण और अवश्य समझते है।
अधिकारों की दावेदारी का दूसरा आधार:- अधिकारों की दावेदारी का दूसरा आधार यह है कि वे हमारी बेहतरी के लिए आवश्यक है। ये लोगों को उनकी दक्षता और प्रतिभा विकसित करने में सहयोग देते हैं।
* (उदाहरण) - शिक्षा का अधिकार हमारी तर्क - शक्ति विकसित करने मै मदद करता है, हमें उपयोगी कौशल प्रदान करता है और जीवन में सूझ, बूझ के साथ चयन करने में सक्षम बनाता है।
.*अधिकार को आवश्यक क्यों:- i) व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरीमा की सुरक्षा के लिए।
ii) लोकतांत्रिक सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए।
iii) व्यक्ति की प्रतिभा व क्षमता को विकसित करने के लिए।
iv) व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास के लिए ।
v) अधिकार रहित व्यक्ति, बद पिजड़े में पक्षी के समान है।
1.प्राकृतिक अधिकार
2 जीवन का अधिकार
3 स्वतंत्रता का अधिकार
4 संपत्ति का अधिकार
प्राकृतिक अधिकार:-
i) 17 वी और 18 वी शताब्दी मे राजनीतिक सिद्धांत कार तर्क देते थे कि हमारे लिए अधिकार प्रकृति या ईश्वर से प्राप्त है।
ii) यह अधिकार हमें जन्म से प्राप्त होते है। उसे कोई शासक या शक्ति हमसे छीन नहीं सकता।
iii) अन्य तमाम अधिकार प्राकृतिक अधिकारों से ही निकलें है।
iv) प्राकृतिक अधिकारो के विचार का इस्तेमाल राज्यों अथवा सरकारो के द्वारा स्वेच्छाकारी शक्ति के प्रयोग का विरोध करने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए किया गया है।
v) आधुनिक युग में प्राकृतिक अधिकार अस्वीकार्य है।
Q. मानवीय गरिमा के बारे में कांट के कता विचार हैं?
Ans. i) कांट के अनुसार हर मनुष्य की गरिमा होती है और मनुष्य होन के नाते उसके साथ इसी के अनुकूल बर्ताव किया जाना चाहिए।
ii) मनुष्य अशिक्षित हो सकता है, गरीब या शक्तिहीन हो सकता है। वह बेईमान अथवा अनैतिक भी हो सकता है, फिर भी वह मनुष्य है और न्यूनतम ही सही प्रतिष्ठा पाने का हकदार है।
iii) कांट के लिए, लोगों के साथ गरिमामय बर्ताव करने का अर्थ या उनके साथ नैतिकता से पेश आना।
Q. कांट के विचार ने अधिकार की कौन-सी नैतिक अवधारणा प्रस्तुत की थी।
Ans. i) हमें दूसरों के साथ वैसा ही आचरण करना चाहिए, जैसा हम अपने लिए दूसरों में अपेक्षा करते हैं।
ii) हमे यह निश्चित करना चाहिए कि हम दूसरो को अपनी स्वार्थ सिद्धि का साधन नहीं बनाएंगे।
#(कानूनी अधिकार और राज्य सता)
:- कानूनी अधिकार अर्थात वे अधिकार, जिन्हे राज्य सरकार ने कानूनी मान्यता दी है। कानूनी मान्यता से यकीनन हमारे अधिकारो को समाज मे एक खास दर्जा मिलता है।
:- अधिकार की रक्षा राज सत्ता का दायित्व है।
* (राज्य सत्ता)
:- किसी अधिकार का कोई अस्तित्व नहीं है जब तक उसे राज सत्ता मान्यता ना दें।
:- राज्यसभा अधिकारों को शक्तिशाली भी बनाता है और दुरुपयोग होने से भी रोकता है।
*(अधिकारों के प्रकार)
1 प्राकृतिक अधिकार - जन्म के समय मिला अधिकार (जीवन स्वतंत्रता, संपत्ति)
2 नैतिक अधिकार - व्यक्ति की नैतिक भावनाओं से जुडें अधिकार (माता कि की सेवा करना, शिष्ट व्यवहार)
3 कानूनी अधिकार - जिन्हें राज्य में कानूनी मान्यता दी है।
* (मौलिक अधिकार), जिन अधिकारो' संवैधानिक मान्यता प्राप्त होती है उसे मौलिक अधिकार कहते है।
* (राजनीतिक अधिकार)
:- i) राजनीतिक अधिकार नागरिकों को कानून के समक्ष बराबरी, तथा राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी का हक देता है।
ii) राजनीतिक अधिकार इनसे वोट देने और प्रतिनिधि चुनने, चुनाव लड़ने। राजनीतिक पाटिया बनाने तथा म उनमें शामिल होने जैसे अधिकार शामिल हैं।
# (अधिकार और जिम्मेदारियों) - अधिकार न केवल राज्य पर जिम्मेदारी डालते है कि वह कुछ खास तरीके से काम करें बल्कि हम सब पर भी जिम्मेदारि आयद करे।
1 अधिकार यह अपेक्षा करते हैं कि हम अन्य लोगों के अधिकारो का सम्मान करे।
2 टकराव की स्थिति में हमे अपने अधिकारों को संतुलित करना है
3 नागरिकों को अपने अधिकारों पर लगाए जाने वाले नियंत्रण के बारे मे चौकन्ना रहना होगा।
Q. अधिकार और शक्तिशाली कैसे हो?
Ans. i) संविधान लिखित हैं।
ii) स्वतंत्र न्यायापालिका अधिकारों की संरक्षक बनें।
iii) संघात्मक सरकार और शक्तियों का विभाजन।
iv) स्वतंत्र प्रेस
v) जनता की जागरुकता
vi) राज्य का नागरिकों के आंतरिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं हो।
# (अधिकार और कर्तव्य)
:- यदि राज्य अधिकारों को सुरक्षित करता है, तो उसे यह अधिकार भी प्राप्त होता "है कि वह अधिकारों के दुरुपयोग को रोके इसलिए संविधान के अनु* 19(2) में मौलिक कर्तव्यों का भी वर्णन किया गया है।
:- अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू है तरह है। एक पहलू. अधिकार तो दूसरा पहलू कर्तव्य। समाज में हमें जो अधिकार मिलते है उसके बदले में हमें कुछ ऋण चुकने पड़ते है। ये ऋण ही हमारे कर्तव्य है।
*(नागरिक स्वतंत्रता)
1 नागरिक स्वतंत्रता का अर्थ है- स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायिक जांच अधिकार विचार की स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार प्रतिवाद करने तथा असहमति प्रकट करने का अधिकार ।
2 नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकार मिलकर किसी सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियादो का निर्माण करते हैं।
Q. अधिकार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans. अधिकार का मुख्य उद्देश्य है- लोगों के कल्याण की, हिफाजत करना।
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