Class 11th History Chapter 5 ( बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ ) Notes in Hindi

Class 11th History Chapter 5 Notes in Hindi. चौदहवीं शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी के मध्य यूरोप में बदलाव यूरोप के अनेक देशों में नगरों' की संख्या
Class 11th History Chapter 5 Notes

बदलती हुई सांस्कृतिक परपराएँ

History (chapter, 5)

    चौदहवीं शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी के मध्य यूरोप में बदलाव  

      • यूरोप के अनेक देशों में नगरों' की संख्या बढ़ने लगी और एक विशेष प्रकार की नगरीय-संस्कृति का विकास हुआ।
      • ‍नगरों में रहने वाले लोग खुद को गाँव के लोगों से ज्यादा सभ्य समझने लगे थे।
      • नगर, कला और ज्ञान के केन्द्र बन रह थे।

      14वी-17 वी शताब्दी के अंत तक यूरोप के अनेक देशों में विकसित नगरों कीमुख्य विशेषता क्या थी?

      (1) वियुले नगर खासकर फ्लोरेस, वेनिस और रोम-कला और विधा के केंद्र बन गए।

      (11) नगरों को राजाओं और चर्च से थोड़ी बहुत स्वायतता  मिली थी।

      ( 111) अमीर और अभिजात वर्ग के लोग कलाकारों और लेखकों के अमार आश्रयदाता बनें।

      (iv) मुद्रण का आविस्कार से दूर-दराज नगरों या देशों में छपी हुई पुस्तके उपलब्ध होने लगी।

      (V) चर्च पृथ्वी का केंद्र दिया था। इन विश्वाशो को वैज्ञानिकों ने गलत साबित का दिया था ।

      चौदहवीं शताब्दी के यूरोपीय इतिहास की जानकारी के स्त्रोत

      1)दस्तावेज

      2)मुद्रित पुस्तके

      3)चित्र

      4) मूर्तियां 

      5)भवन तथा वस्त्र

      यहु, यूरोप और अमरीका के अभिलेखागारो, कला- चित्रशालाओं और संग्रहालयों में सुरक्षित रखी हुई है।

       रेनेसाँ (पुनर्जागरण)

      –: रेनेसों का शाब्दिक अर्थ है- पुनर्जन्म और इसका हिन्दी मे पुनर्जागरण अर्थ है।

      –: इस शब्दा का प्रयोग उस काल के सास्कृतिक परिवर्तन जानने के लिए किया गया।

      1860 ई. में "बर्कहार्ट ने "दि सिविलाईजेशन ऑफ दि रेनेसोइन इटली" नामक पुस्तक मे लोगो का ध्यान साहित्यु, वास्तुकला और चित्रकला की ओर आकर्षित किया और बताया कि इटली के नगरी में किस प्रकार एक "मानवतावादी " सस्कृति पनप रही थी।

      इटली के नगरों का पुनरुस्थान

      • पश्चिम रोम साम्राज्य के पतन के बाद इटली के राजनैतिक और सास्कृतिक केन्द्रो का विनाश हो गया।
      • इटली एक कमजोर देश था और अनेक टुकड़ों में बटा हुआ था। परंतु इन्ही परिवर्तनों ने इतालवी सस्कृति के पुनरूस्थान में सहायता प्रदान की।

      इटली के तटवर्ती बद्‌गाह पुनर्जीवित कैसे हो गए 

      बाइतेंटाइन साम्राज्य और इस्लामी देशों के बीच व्यापार के बढ़ने से इटली के तटर्की बदरगाह पुनर्जीवित हो गए।

      पश्चिमी यूरोपीय देशों के व्यापार को बढ़ावा कैसे मिला 

      बारहवीं द्वशताब्दी से जब मंगोली ने चीन के साथ 'रेशम-मार्ग सेव्यापार आंरंभ किया तो इसके कारण पश्चिमी यूरोपीय देशो के व्यापार को बढ़ावा मिला। इसमें इटली के नगरी ने मुख्य भूमिका निभाई।

      •  अब वे अपने को एक शक्ति‌शाली साम्राज्य के अंग के रूप में ही नाही दिखते थे बल्कि स्वतने नगर- राज्यों का एक समूह मानत मानते थे। नगरौं में फ्लोरेंस और मि वेनिस, गणराज्य थे और कई अन्य दरबारी नग थे जिनका शासन राजकु‌मार चलाते थे।
      • इनमें सर्वाधिक जीवंत शहरों में पहला वेनिस और दूसरा जिनेवाथा ।
      • नगर के धनी व्यापारी और महाजन नगर के शासन मे सक्रिय रूप मे भाग लेते थे जिससे नागरिकता की भावना पनपने लगी।

      दि कॉमनवेल्थ एण्ड गवर्नमेंट ऑफ वेनिस नामक पुस्तक की रचना किसने की थी

      कार्डिनल गैस पारों कोन्तारिनी (cardinal Gaspara contarni

       रोम में किसको और कब"राजकवि कति" की उपाधि से समानित किया गया ?

      पेट्रार्क

      *1492 में कोलम्बस ने अमरीका की खोज की।

       विश्वविद्यालय और मानवतावाद

      • (विश्वविद्यालय)

      • यूरोप में सबसे पहले विश्वविद्यालय इटली के शहरों में स्थापित हुए।

      • ग्यारहवीं शताब्दी से पादुआ और बीलोनिया (Bologna) विश्वविद्यालय विधिशास्त्र के अध्ययन केंद्र रहें।

      • नगरों के प्रमुख क्रियाकलाप व्यापार और वाणिज्य से सम्बंधित थे इसलिए वकीलों और नोकरी की बहुत अधिक आवश्यकता होती थी।

      • ये नियमों को लिखते, उनकी व्याख्या करते और समझौते तैयार करते थे इसलिए कानून का अध्ययन एक प्रिय विषय बन गया 

      • (मानवतावाद)

      • कुछ जानना बाकी है और यह सब हम केवल धार्मिक शिक्षण से नही सीखते। इसी नयी संस्कृति को उन्नीसवी शताब्दी के इतिहासकारो ने मानवतावाद नाम दिया।

      •व्पद्रहवी शताब्दी के शुरु के दशकों में मानवतावादी " शब्द अध्यापकों के लिए प्रयुक्त होता था जो व्याकरण, अलंकारशास्त्र कविता, इतिहास और नीतिदर्शन विषय पढ़ाते थे।

       फ्लोरेस की प्रसिध्दित में किन दो लोगों का बड़ा हाथ था ?

       i) दांते अलिगहियरी

      ii) जोटों

      * (दाँते अलिगहियरी) - इनका संबंध किसी धार्मिक संप्रदाय विशेष से नही था पर उन्होने अपनी कलम धार्मिक विषयों पर चलायी।

      • (जोटो)- जोटो एक चित्रकार थे । इन्होने जीते-जागते रूप चिक बनाए ।

      • उनके पहले के कलाकारों की तरह बेजान नहीं थे।

      * (रेनेसाँ व्यक्ति)

      • रेनेसां व्यक्ति शब्द का प्रयोग उस मनुष्य के लिए किया जाता है। जिसकी अनेक खचियाँ हो और अनेक हुनर में उसे महारत प्राप्त हो।

      • पुनर्जागरण काल में अनेक महान लोग हुए जो अनेक रुचिया रखते थे और कई कलाओं में कुशल थे।

      • उदाहरण के लिए - एक ही व्यक्ति विद्वान, कूटनीतिज्ञ  धर्मशास्त्रज्ञ और कलाकार हो सकता था ।

       इतिहास का मानवतावादी दृष्टिकोण

      मानवतावादी समझते थे कि रोमन साम्राज्य के टूटने के बाद अंधकारयुग शुरु हुआ जिसे बाद में उन्होने पुनः स्थापित किया ।

       मध्य‌काल से आप क्या समझते है ?

       "मध्यकाल" जैसी संज्ञाओ का प्रयोग रोम साम्राज्य के पतन के बाद एक हजार वर्ष की समयावधि के लिए किया गया।

       मानवतावादियों ने आधुनिक" शब्द का प्रयोग पंद्रहवी शताब्दी से शुरू होने वाले काल के लिए किया।

      1) 5 — 14 शताब्दी — मध्युग 

      2) 5 — 9 शताब्दी — अंधकार युग

      3) 9 — 11 शताब्दी — आरंभिक मध्य युग

      4) 11 — 14 शताब्दी — उत्तर मध्य युग 

      5) 15 शताब्दी से — आधुनिक युग 

      विज्ञान और दर्शन - अरबियों का योगदान

      • चौदहवीं शताब्दी मे अनेक विद्वानों ने प्लेटो और अरस्तु के ग्रंथों से अनुवादों को पढ़‌ना शुरु किया जिसमें अरब के अनुवादकों ने अनुवाद किया था। 

      (प्लेटो और अरस्तु )- यह यूनान के प्रसिद्ध विदान थे।।

      अरबी भाषा में प्लेटों, अफलातून और एरिसटोटल, अरस्तू नाम से जाने जाते थे।

      • यूरोप के विद्वान यूनानी ग्रंथों के अरबी अनुवादों का अध्यायन कर रहे थे दूसरी और यूनानी विद्वान अरबी और फारसी विद्वानों की कृतियों का अनुवाद कर रहे थे।

      • थे ग्रंथ प्राकृतिक विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान (astronomy) औषधि विज्ञान और रसायन विज्ञान से संबंधित थे।

      मुसलमान लेखकों, जिन्हें इतालवी दुनिया में ज्ञानी माना जाता था?

      1.इब्न-सिना

      2.अल-राजी (रेजेस)

      स्पेन के किस अरबी दार्शनिक की पद्धति को ईसाई चिंतको द्वारा अपनाया गया ?

      इब्न रूश्द(1126-98)

      रोम के विश्वविद्यालयों में किन विषयों का दबदबा था?

      विश्वविद्यालयों में पाठ्‌य चर्चा पर कानून, आयुर्विज्ञान, और धर्मशास्त्र का दबदबा रहा, फिर भी मानवतावादी विषय धीरे-धीरे स्कूलों में पढ़ाया जाने लगा।

      कलाकार और यथार्थवाद

       कला, वास्तुकला, और ग्रंथ्यो ने मानवतावादी विचारों को फैलाने में प्रभावी भूमिका निभाई।

       "दि पाइटा" नामक चित्र की रचना किसने की थी?

      माईकल एन्जिलों ने इस चित्र में मेरी को ईसा के शरीर की धारण करते हुए दिखाया है।

      * (दोना तल्लो) (Donatello) - (i)  यह एक चित्रकार था।

      (ⅱ)1416 में दोनातल्लों ने सजीव मूर्तियाँ बनाकर नयी परंपरा कायम की।

      (iii) नर कंकालो का अध्ययन करने के लिए कलाकार अयुर्विज्ञान की प्रयोगशालाओं में गए।

      (IV) बेल्जियम मूल के आन्द्रीयस वेसे लियस पादुआ विश्वविद्यालाई आयुर्विज्ञान के प्राध्यापक थे ये पहले व्यक्ति थे  जिन्होने सूक्ष्म परीक्षण के लिए मुनुष्य के शरीर की चीर-फाड़ की।

      विश्व प्रसिद्धा "मोनालीसा" और "द लास्ट सपर" नामक"  की चित्र की रचना किसने की थी?

      लियोनार्डो दा विन्ची (Leonardo de Vinci

      * यथार्थवाद (Realism)- इस तरह शरीर विज्ञान, रेखागणित भौतिकी और सौंदर्य की उत्कृष्ट भावना ने इतालवी कला को नया रूप दिया जिसे बाद में यथार्थवाद (Realism) कहोगा

      वास्तुकला


      पंद्रहवी शताब्दी मे रोम नगर भन्य रूप से पुनर्जीवित हो खा


      पुरातत्वविदों द्वारा रोम के अवशेषों का सावधानी से उत्खन्न किया गया वास्तुकला की एक 'नयी शैली' को प्रोत्साहित किया


      जो वास्तव मे रोम साम्राज्य कालीन शैली का पुनरुद्धार थी जिसे अब " शास्त्रीय" शैली कहा गया ।


      पोप, धनी व्यापारियों और अभिजात वर्ग के लोगो ने उन वास्तुविदों (architect) को अपने भवनों को बनाने के लिए नियुक्त किया जो शास्त्रीय वास्तुकला से परिचित हैं।


      चित्रकारी और शिल्पकारों ने भवनों को लेपचित्रों, भूतियों और उभरे चित्रों से भी सुक सुसज्जित किया ।


      *


      (माईकल एंजेली बुआनारोती).


      ⅰ)


      यह कुशल चित्रकार, मूर्तिकार, और वास्तुकार थे।



      इन्होंनें पोप के सिस्टीन चैपल की भीतरी छत मेलेपचिज "दि पाडता " नामक प्रतिमा और सेंट पीटर गिरनें के गुम्बद


      *


      (वास्तुकार फिलिप्पों बुनेलेशी).


      जिन्होंने फ्लोरेंस के भन्य गुम्बद (Duomo) का परिरूप प्रस्तुत किया था, ने अपना पेशा एक मूर्तिकार के रूप में शुरु किया।


      #


      प्रथम मुद्रित पुस्तके


      इटली में जो भी लिखा गया वो विदेशों तक पहुँचा, ये सबसी शताब्दी की क्रांतिकारी मुद्रण प्रौधोगिकी की वजह से हुआ।


      इसका श्रथ यूरोपीय लोग चीनियों तथा मंगोल शासकों को दे है क्योंकि यूरोप के व्यापारी और राजनयिक मंगोल शासक के राज दरबार में अपनी यात्राओं के दौरान इस तकनीक सेत हुए थे।


      * (तकनीकी नवीकरण)


      आग्नेयास्त्र


      ② कम्पास



      फलक (Abacus)


      *


      (जोहानेस गुटेनबर्ग) - इन्होने सन्‌ iuss में पहले छापेगा का निर्माण किया ।


      ४)


      इनकी कार्यशाला में बाईबल की 150 प्रतियों छपी थी।


      (iii)


      इससे पहलें इतने ही समय में एक समभिष्ठ बाईबल की केवया एक हो प्रति लिख पाता था।

      *


      (मुलित पुस्तको (क्लासिकी ग्रंथों) का यूरोप में प्रभाव)


      15 वी तक अनेक नलासिकी ग्रंथो का मुद्रण होने लगा बा


      छात्रों को केवल अध्यापकों के व्याख्यानों से बनें सर नोट पर निर्भर नहीं रहना पड़ा।


      तर,


      अब विचार, मत और जानकारी पहलें की अपेक्षा तेजी से प्रसारित हुए ।


      १५)


      नये विचारों को बढ़ावा देने वाली एक मुद्रित पुस्तक कई सौ पाठकों के पास बहुत जल्दी पहुँच सकती थी।


      (v)


      अब पाठक एकांत में बैठकर पुस्तकों को पढ़ सकता था क्योंकि वह उन्हें बाजार से खरीद सकता बा ।


      (vi)


      इससे, लोगों में पढ़‌ने की आदत का विकास हुआ ।


      ऑनप्लेजर नामक पुस्तक की रचना किसने की थी?


      And


      लोरेन्जों वल्ला (Lorenzo Valla)


      Q-'द प्रिस' नामक पुस्तक की रचना. किसमें की थी?


      Any-


      निकोलो मैकियावेली ।


      14/महिलाओं की आकांक्षाएँ)


      Q.


      यूरोपीय समाज में महिलाओं की रिव्थति का उल्लेख सा


      Arg


      और नागरिकता के नए निय वैयक्तिकता (individuality) से महिलाओं को दूर रखा गया।


      सार्वजनिक जीवत में अभिजात व संपन्न परिवार के पुरुषों का प्रभुत्व था और घर-परिवार के मामले में भी वे हो निर्णयतों बें।


      (ⅲ)


      उस समय लोग अपने लड़कों को ही शिक्षा देते थे जिससे उनमें बाद वे उनके खानदानी पेशें याजीवन की आम जिम्मेदारियों से को उठा सकें।


      (iv)


      कभी-कभी वे अपने छोटे लड़कों को धार्मिक कार्य के लिएचचे को सौंप देते थे ।


      2


      विवाह मे प्राप्त महिलाओं के दहेज को वे अपने पारिवारिक कारोबारी में लगा देते थे; तथापि महिलाओं को यह अधिकार नहींणा कि वे अपने पति को कारोबारों चलाने के बारे मे कोई राय दी


      (५०)


      कारोबारी मैत्री को सुद्‌द्ध (मजबूत करने के लिए दो परिवारी में आपस में विवाह संबंध होते थे।


      (vi)


      अगर पर्याप्त दहन का प्रबंध नहीं हो पाता वातो शादीशुदा लड़कियों को ईसाई मठों में भिक्षुणी (NON) का जीवन वितार्ने के लिए भेज दिया जाता था।


      आमतौर पर सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी बहुत सीमित की और उन्हें घर-परिवार को चलानें वाले के रूप मे देला जाता था।


      व्यापारी और साहूकार परिवारों की पत्नियों, परिवार के कारोबार को उस स्थिति में संभालती थीं जब उनके पति लंबे समय के लिए दूर-दराज स्थानों को व्यापार के लिए जाते थे।


      x) अभिजात संपन्न परिवारों के विपरीत, व्यापारी परिवारों में' व्यदि व्यापारी की कम आयु में मृत्यु हो जाती थी: तो उसकी पत्नी सार्वजनिक जीवन मे बट्टी भूमिका निभाने के लिए बाध्य होती थीं।