विद्यापति का जीवन परिचय || Biography of vidyapati in Hindi jivani

विद्यापति के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे और उनका जन्म स्थान,उनकी मृत्यु, उनके उनकी शिक्षा और वह किस प्रकार के कवि थे।

 इस पोस्ट में हम विद्यापति के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे और उनका जन्म स्थान,उनकी मृत्यु, उनके उनकी शिक्षा और वह किस प्रकार के कवि थे इन सभी चीजों के बारे में हम इस  पोस्ट में जानेंगे आईए देखते हैं।


कवि विद्यापति का जीवन परिचय 

विद्यापति भारतीय साहित्य की श्रृंगार परंपरा एक भक्ति परंपरा में विद्यापति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।यह मैथिली भाषा के सर्वोच्च कवि हैं इसलिए इन्हें मैथिली कोकिल की संज्ञा दी गई है।

कवि विद्यापति का जन्म

महान कवि विद्यापति के जन्म को लेकर कई विवाद बना हुआ है, क्योंकि इनके जन्म का कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है हालांकि फिर भी कुछ विद्वान इन के जन्म की तिथि 1350 ईस्वी को मानते हैं और इनका जन्म बिहार राज्य के मधुबनी जिले के बिसपी गांव में हुआ था और ये मिथिला के निवासी थे। कवि के मृत्यु को लेकर भी विवाद है।कई विद्वान उनकी मृत्यु की तिथि का सन 1440 से 1448 के बीच में मानते हैं और उनकी मृत्यु का स्थान बेगूसराय जिला के मउबाजिंदपुर (विद्यापति) नगर के पास गंगा तट पर हुआ था।

कवि विद्यापति की शिक्षाएं

कवि विद्यापति ने अपनी शिक्षा महामहोपाध्याय हरि मिश्रा से प्राप्त की है। इन्हें मैथिली, संस्कृति और अवहठृ भाषा का अच्छा ज्ञान था।

पारिवारिक जीवन

महाकवि विद्यापति ठाकुर के पारिवारिक जीवन का कोई स्वलिखित प्रमाण नहीं है, किन्तु मिथिला के उतेढ़पोथी से ज्ञात होता है कि इनके दो विवाह हुए थे। प्रथम पत्नी से नरपति और हरपति नामक दो पुत्र हुए थे और दूसरी पत्नी से एक पुत्र वाचस्पति ठाकुर तथा एक पुत्री का जन्म हुआ था। संभवत: महाकवि की यही पुत्री 'दुल्लहि' नाम की थी जिसे मृत्युकाल में रचित एक गीत में महाकवि अमर कर गये हैं। कालान्तर में विद्यापति के वंशज किसी कारणवश विसपी को त्यागकर सदा के लिए सौराठ गाँव (मधुबनी ज़िला में स्थित समागाछी के लिए प्रसिद्ध गाँ) आकर बस गए। वर्तमान समय में महाकवि के सभी वंशज इसी गाँव में निवास करते हैं।

विद्यापति की प्रमुख रचनाएँ

उनकी प्रमुख साहित्यिक कृतियाँ हैं- 

1.कीर्तिलता

2.कीर्तिपताका

3.भूपरिक्रमा

4.पुरुष परीक्षा

5.लिखनावली

6.गोरक्ष विजय

7.मणिमंजरी नाटिका

8. पदावली

9.शैवसर्वस्वसार

10.शैवसर्वस्वसार.प्रमाणभूत संग्रह’

11.गंगावाक्यावली

12.विभागसार

13.दानवाक्यावली

14.दुर्गाभक्तितरंगिणी

15.वर्षकृत्य

16.गयापत्तालक’। 

इन सब में सर्वाधिक लोकप्रिय रचना उनकी ‘पदावली’ मानी गई।

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