CLASS 12 NOTES CHAPTER 6 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
पर्यावरण :- पर्यावरण से अभिप्राय हमारे आस-पास के वातावरण से है जो हमें और हमारे जीवन को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
प्राकृतिक संसाधन का अर्थ:- प्राकृतिक संसाधनों से अधिक प्रकृति में स्वतंत्र रूप से उपस्थित संसाधनों से है। यह .संसाधन बिना मानवीय सहायता के पृथ्वी पर उपलब्ध होते हैं। जैसे कोयला और पेट्रोलियम आदि ।
प्र.'लिमिट्स टू ग्रोथ' नामक पुस्तक कब और किसने प्रकाशित की थी ?
उ.'क्लब ऑव रोम ने 1772 में 'लिमिट्स टू ग्रोथ: नामक पुस्तक प्रकाशित की थी।
प्र.UNEP-पूरा नाम क्या है?
उ.संयुक्त राष्ट्रसंघ पर्यावरण कार्यक्रम
प्र.'पृथ्वी सम्मेलन'से आप क्या समझते है?
सन 1992 में संयुक्त राष्ट्रसंघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केंद्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हुआ। जिसे पृथ्वी सम्मेलन कहा जाता है।
प्र.सन् 1992 में हुए पृथ्वी सम्मेलन में कुल कितने देश शामिल हुए थे?
उ.170 देश ।
प्र.'टिकाऊ विकास'किसे कहते है ?
उ.'टिकाऊ विकास' से अभिप्राय उस विकास से जो बिना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए किए जाते है।
प्र.'साझी संपदा' का क्या अर्थ है?
उ.साझी संपदा उन संसाधनों को कहते हैं जिन पर किसी एक का नही बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है। संयुक्त परिवार का चूल्हा चारागाह, मैदान कुआँ या नदी साझी संपदा के उदाहरण है।
प्र.'वैश्विक संपदा से आप क्या समझते है?
उ.विश्व के कुछ हिस्से और क्षेत्र किसी एक देश के संप्रभु क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं। इसीलिए इसका प्रबंधन साझे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है। इन्हें 'वैश्विक संपदा" या 'मानवता की साझी विरासत' कहा जाता है।
प्र.'वैश्विक संपदा' की सुरक्षा के लिए कौन समझौते हुए हैं।
उ.सन 1959 में अंटार्कटिका संधि, सन 1987 मे मांट्रियल न्यायाचार और 1991 मे अंटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार।
प्र.भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल' पर हस्ताक्षर कब किया था?
उ.सन 2002 में
प्र.'ऊर्जा संरक्षण अधिनियम' कब पारित हुआ था?
सन 2001 में
प्र.WWF का पूरा नाम क्या है?
उ.वलर्ड बाइल्ड लाइफ फंड
प्र.विश्व का पहला बाँध - विरोधी आंदोलनकब और
कहाँ चला था?
उ.सन् 1980 में दक्षिणी गोलाई में चला था।।
प्र.विश्व में सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश कौन सा है।
उ.सऊदी अरब ।
प्र.संयुक्त राष्ट्रसंघ, ने 'मूलवासी' की क्या परिभाषा दी थी?
उ.संयुक्त राष्ट्रसंघ' ने इन्हें ऐसे लोगों का वंशज बताया गया जो किसी मौजूदा देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे थे।
प्र.भारत में 'मूलवासी' के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता है।
उ.भारत में 'मूलवासी के लिए, अनुसूचित जनजाति या आदिवासी शब्द प्रयोग का किया जाता है।
प्र.' वलर्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल' का गठन कब हुआ था।
उ.सन 1975 में
प्र.साझी जिम्मेदारी लेकिन अलग- अलग भूमिकाएँ से क्या अभिप्राय है? हम रस विचार को कैसे लागू कर सकते हैं?
उ. (1) जिम्मेदारी सांझी भूमिकाएँ अलग-अलग :-
पर्यावरण के संरक्षण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलाई के देशों के रवैये में अंतर है। - उत्तर के विकसित देश पर्यावरण के मसले पर उसी रूप में चर्चा करना चाहते है जिस दशा में आज पर्यावरण मौजूद है। ये देश चाहते है कि पर्यावरण के संरक्षण में हर देश जिम्मेदारी एक बराबर हो। दक्षिण एशिया के विकासशील देशों का तर्क है कि विश्व में पारिस्थितिकी को नुकसान अधिकांश विकसित देशों के औधोगिक विकास मे पहुँचा है। यदि विकसित देशों ने पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुँचाया है तो उन्हें इस नुकसाल की "जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए।
(11) पृथ्वी सम्मेलन पर्यावरण संरक्षण के लिए भूमिकाओं से जुड़े निर्णय या सुझाव-
सन 1992 में हुए पृथ्वी सम्मेलन में यह मान लिया गया और इसे सांझी जिम्मेदारी लेकिन अलग अलग भूमिका का सिद्धांत कहा गया। इस संदर्भ में रियो घोषणापत्र का कहना कि धरती के पारिस्थितिकी तंत्र की अखण्डता और गुणवत्ता की बहाली, सुरक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न देश विश्व-बंछुत्व की भावना से आपस में सहयोग करेंगे। जलवायु के परिवर्तन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र ने नियमानुसार यानी [UNFCC-1992] में भी कहा गया है कि इस सधि को स्वीकार करने वाले देश अपनी क्षमता के अनुरूप, पर्यावरण के अपक्षय मे अपनी हिक्सेदारी पर साझी परंतु अलग अलग जिम्मेदारी निभाते हुए पर्यावरण की सुरक्षा के प्रयास करेंगे।
क्योंटो प्रोटोकॉल एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसके अंतर्गत औधोगिक देशों के लिए ग्रीन हाउक गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य निर्धारित किया गए हैं। Co2,ch4,और हाइड्रो प्लोरी कार्बन जैसे कुछ गैसों के बारे में माना जाता है कि वैश्विक ताप वृद्धि में इन गैसो की कोई न कोई भूमिका जरूर हैं।
(111) जिम्मेदारियों को लागू करने के लिए सुझाव:-
अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के निर्माण, प्रयोग और व्याख्या में विकासशील देशों की विशिष्ट जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए।
हर राष्ट्र की 'कुल राष्ट्रीय आय का कुछ प्रतिशत निर्धारित अन्तर्राष्ट्रीय न्यायधीशों द्वारा किया जाना चाहिए और वह
धनराशि केवल पर्यावरण. संरक्षण पर विश्व बैंक या संयुक्त राष्ट्र संघ की किसी एजेंसी के माध्यम से मानव सुरक्षा और सांझी सम्पदा संरक्षण को ध्यान रखकर व्यथ की जानी चाहिए।
यह एक विशाल संघर्ष है, इसे एक मिशनी भावना से व्यक्तिगत स्तर पर, गैर सरकारी स्वयं। सेनी (NGO) संस्थाओं के स्तर पर, स्थानीय सरकारों और निकायों के स्तर पर, जिला स्तरों पर राष्ट्रीय या देशीय स्तर पर और अंतत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है।
प्र.वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता क्यों हैं? विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उ.वर्तमान में वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता निम्न कारणों से है।
1) दुनिया भर में कृषि योग्य भूमि में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रहीं है जबकि मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े हिस्से कि उर्वरता कम हो रही है। चारागाहों के चारे खत्म होने को हैं और मत्स्य भंडार) घट रहा है। जलाशयों की जलराशि बड़ी तेजी से कम हो रही है उसमें प्रदूषण बढ़ा है। इससे खाद्य उत्पादन में कमी आ रही है।
२.) संयुक्त राष्ट्र की विश्व विकास रिपोर्ट (2006) के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब बीस करोड़ जनसंख्या को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता और यह की 2अरब साठ करोड़ आबादी साफ सफाई की सुविधा से वंचित है। इस वजह से 30 लाख से ज़्यादा बच्चे हर साल मौत के शिकार होते हैं।
3) प्राकृतिक वन जलवायु की संतुलित रखने में मदद करते हैं, इनसे जलचक्र का संतुलन भी बना रहता है और इन्ही वनों में धरती की जैव-विविधता का भंडार भरा रहता है लेकिन ऐसे वनों की कटाई हो रही है और लोग विस्थापित हो रहे हैं। जैव विविधता की हानि जारी हैं और इसका कारण है उन पर्यायवासो का विध्वंस जो जैव-प्रजातियों के मामले में समृद्ध है।
4.) धरती के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा
में लगातार कमी हो रही है। इसे ओजोन परत में छेद होना भी कहते हैं। इससे पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक नए खतरा मंडरा रहा है।
5) पूरे विश्व में समुद्रतटीय क्षेत्रो का प्रदूषण भी बढा है। कहने का अर्थ यह कि समुद्र का मध्यवती भाग अब भी अपेक्षाकृत स्वच्छ हैं लेकिन इसका तटवर्ती तल जमीनी क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहा है। पूरी दुनिया में समुतटीय इलाकों में मनुष्यों की सघन बसावट जारी है और इस प्रवृति पर अंकुश न लगा तो समुद्री पर्यावरण की गुणवता में भारी गिरावट आएगी।
(6) संपूर्ण विश्व के ऊपर खतरे के बादल मंडरा रहे है, अगर समय रहते इस खतरे के बादत का समाधान नही किया गया तो समस्त मानवजाति को गम्भीर आपदा का सामना करना पड सकता है। अत: इसके अलावा यह विश्व कि सर्वशक्तिशाली देश को भी बर्बाद कर सकती है। इसलिए तत्काल इसका समाधान जरूरी है। इसलिए आज वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता है।
CFCS
क्लोरीन ब्रोमीन
* CFCS का निर्माण दो मैसों के मिश्रण से होता है।
प्राकृतिक आपताए
वायुमंडलीय, जलीय, भूविज्ञानिक, जैनिक
* वायुमंडलीय:- 'आपदाओं में वर्षा, हवाएँ, बिजली गिरना और कोहरा शामिल है।
जलीय अपदाओं:- में बाढ, तटीय लहरें और जल भराव शामिल है।
भूविज्ञानिक:- इस तरह की आपदा में भुस्खलन भूकम्प और ज्वालमुखी शामिल हैं।
जैविक:- इस तरह की आपदा में गम्भीर महामारी और कीट आक्रमण शामिल हैं।
गुजरात भूकंप:- 26 जनवरी सन 2001
गुजरात का भूकंप भारत के इतिहास में सबसे बडे दो भूकंपों में से एक है।
(गुजरात भूकंपों के परिणाम)
मृतक घायल बेघर सकान नष्ट
19,727 1,66,000 600000 3,42,000
सूखे के प्रकार
मौसमी सूखा
जलीय सूखा
कृषि सम्बंधी
दुर्भिक्ष सुख
मौसमी सूखा:-जो मुख्य रूप से कम वर्षा होने के कारण होता है। इस प्रकार का सूखा मुख्य रूप से भारत
में होता है।
जलीय सूरखा:- जो नदी प्रवाह में कमी के कारण होता है।
कृषि सम्बंधी :- : यह भी नदी प्रवाह में कमी के कारण होता है।
दुर्भिक्ष सूखा ! रवाघान्न में कमी के कारण जो सूखा पड़ता है, उसे दुर्भिक्ष सूखा पड़ता है।
प्र.रियो सम्मेलन में कौन-कौन नियमाचार निर्धारित हुए?
उ.रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और वानिकी के संबंध में कुछ नियमाचर निर्धारित हुए। इसमें एजेंडा 21 के रूप में विकास के कुछ तौर तरीके भी सुझाए गए।
प्र." वैश्विक संपदा" की सुरक्षा के सवाल पर कौन से महलपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुए है?
उ."वैश्विक संपदा" की सुरक्षा के सवाल पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कायम करना टेढ़ी खीर है। परंतु इसके बावजूद भी इस दिशा में कई महत्वपूर्ण समझौते हुए है, जो इस प्रकार है।
*अंटार्कटिका संधि 1959
*मांट्रियल संधि 1987
*अंटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार 1991
प्र. पर्यावरण के मसले पर भारत के क्या पक्ष है ?
उ. पर्यावरण के मसले पर भारत के निम्न पक्ष रहे हैं, जो इस प्रकार है।
(i) भारत ने सन 2002 में क्योटो प्रोटोकॉल (1997) हस्ताक्षर किए और इसका अनुमोदन किया। भारत चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटो पोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट दी गई है क्योंकि औधोगीकरण के दौर में ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन के मामले में इसका कुछ खास योगदान नहीं था।
(ii) औद्योगीकरण के दौर को मौजूदा वैश्विक ताप वृद्धि और जलवायु परिवर्तन का जिम्मेदार माना जाता है। बहरहाल, क्योंटो प्रोटोकोल के आलोचकों ने यह ध्यान दिलाया है कि अन्य विकासशील देशी सहित भारत और चीन भी जल्दी ही ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में विकसित देशों की भाँति अगली कतार में नजर आयेंगे।
(iii) सन 2005 के जून में Group-8 के देशों की बैठक हुई। इसमें भारत ने ध्यान दिलाया कि विकासशील देशों में ग्रीन हाऊस गैसों की प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर विकसित देशों की तुलना में नाममात्र है।
(iv) साझी परंतु अलग २. निम्मेदारियो के सिद्धांत के अनुरूप भारत का विचार है कि उत्सर्जन - दर में कमी करने की सबसे ज्यादा जिम्मेवारी विकसित देशों की है क्योंकि इन देशों ने एक लंबी अवधि तक बहुत ज्यादा उत्सर्जन किया है।
(v) भारत में सन 2030 तक कार्बन का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बढ़ने के बावजूद विश्व के औसत (3.8 टन प्रति व्यक्ति) के आधे से भी कम होगा। सन २००० तक भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 0.9 टन था और अनुमान है कि 2030 तक यह मात्रा बढ़कर 1.6 टन प्रतिव्यक्ति हो जाएगी।
(Vi) भारत की सरकार ने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए पर्यावरण से संबंधित वैश्विक प्रयासों में शिरकत की हैं और कर रही है। मिसाल के लिए भारत ने अपनी "नेशनल ऑटो- फ्यूल पॉलिसी" के अन्तर्गत वाहनों के लिए स्वच्छतर ईधन अनिवार्य कर दिया है। सन् 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित हुआ। इसमें ऊर्जा के ज़्यादा कारगर रस्तेमाल की की गई है।
(vi) ठीस इसी तरह 2003 के बिजली अधिनियम में पुनर्नवा ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है। हाल में प्राकृतिक गैस के आयात और स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की तरफ रुझान बढ़ा है। इससे पता चलता है कि भारत पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से ठोस कदम उठा रहा है।
प्र.भारत ने पृथ्वी सम्मेलन (रियो) के समझौतों के क्रियान्वचन का एक पुनरावलोकन 1997 में किया। इस पुनरावलोकन की मुख्य बातें कौन सी थी?
उ. (i) भारत ने कहा कि विकासशील देशों को रियासती शर्तों पर नये और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन तथा पर्यावरण के संदर्भ में बेहतर साबित होने वाली प्रौद्योगिकी मुहैया कराने की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।
(ii) भारत इस बात को जरूरी मानता है कि विकसित देश विकासशील देशों को वितीय संसाधन तथा स्वच्छ प्रौधोगिकी मुहैया कराने के लिए तुरंत उपाय करें तकी विकासशील देश "फ्रेमवर्क कन्वेशन ॲन क्लाइमेट चेंज" की मौजूदा प्रतिबद्धताओ को पूरा कर सकें।
(iii) भारत का यह भी मानना है 'दक्षेस' (SAARC) मे शामिल देश पर्यावरण के प्रमुख वैश्विक मसलो पर एक समान रय बनाये, तकि इस क्षेत्र की आवाज वजनी हो सके।
प्र.'पर्यावरण आंदोलन' ने किस प्रकार 'पर्यावरण सरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।स्पष्ट कीजिए?
उ.(i)पर्यावरण हानि की चुनौतियों से निपटने के लिए विश्व के विभिन्न देशों की सरकारो ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहलकदमी की है। लेकिन उन चुनौतियों के मध्य नजर कुछ महत्वपूर्ण पहलकदमियों सरकारों की तरफ से नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न भागों में सक्रिय पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यकर्ताओं ने की है।
(ii) इन कार्यकर्ताओं में कुछ तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और बाकी स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं। आज पूरे विश्व में पर्यावरण आंदोलन सबसे ज्यादा जीवंत विविधतापूर्ण तथा ताकतवर सामाजिक आंदोलनों में शुमार किए जाते है। इन आंदोलनों से नए विचार निकलते हैं। इन आंदोलनों ने हमें दृष्टि दी है कि व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन के लिए आगे के दिनों में क्या करना चाहिए और क्या नही करना चाहिए।
(iii) हमे इस तरह विभिन्न पर्यावरण आंदोलन विश्व के विभिन्न भागों सक्रिय दिखते है। दक्षिण देशों में मसलन मैक्सिको, चिले, ब्राज़ील, मलेशिया, इंडोनेशिया महादेशीय अफ्रीका और भारत के वन आंदोलनों पर बहुत दबाब है। तीन दशको से पर्यावरण को लेकर सक्रियता का दौर जारी है।
(iv)इसके बावजूद तीसरी दुनिया के विभिन्न देशों में वनों की कटाई खतरनाक गति से जारी है। पिछले दशक में विश्व के विशालतम वनो का विनाश बढा है। खनिज उद्योग पृथ्वी पर मौजूद सबसे ताकतवर उद्योगों में एक है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के कारण दक्षिणी गोलाई के अनेक देशी की अर्थव्यस्था बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खुल चुकी है।
(v)स्वनिज उद्योग धरती के भीतर मौजूद संसाधनों को बाहर निकालता है रसायनों का भरपूर उपयोग कर है, भूमि और जलमार्गो को प्रदूषित करता है और स्थानीय वनस्पतियों का विनाश करता है। इसके कारण जन-समुदायों को विस्थापित होना पड़ता है। विश्व के कई भागों में से खवित्र उद्योग का विरोध हुआ है।
(vi) इसका एक अच्छा उदाहरण फिलीपिन्स है जहाँ कई समूहों और संगठनो ने एक साथ मिलकर एक ऑस्ट्रेलियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी' वेस्टर्न माइनिंग कॉपरेशन के खिलाफ अभियान चलाया। इस कंपनी का विरोध खुद ऑस्ट्रेलिया में भी हुआ।
(vii) कुछ आंदोलन बड़े बाँधों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। अब बाँध विरोधी आंदोलन को नदियों को बचाने के आंदोलनों के रूप में देखने की प्रवृत्ति भी बंढ रही है। क्योंकि ऐसे आंदोलनों में नदियों और नदी घाटियों के ज़्यादा टिकाऊ तथा न्यायसंगत प्रबंधन की बात उठाची जाती हैं।
(viii) सन 1980 के दशक में पहला बाँध-विरोधी आंदोलन दक्षिण गोलार्ध में चला। आस्ट्रेलिया में चला यह : आंदोलन फ्रैंकलिन नदी तथा इसके परवर्ती वन को बचाने का आंदोलन था।
अत: वास्तव में पर्यावरण आंदोलन से पर्यावरण संरक्षण किया जा सकता है, क्योंकि विश्व में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चल रहे आंदोलन कुछ ऐसा ही कहते हैं। 'फिलीपिन्स' में एक MNC कंपनी का स्थानीय लोगों द्वारा विरोध और आस्ट्रेलिया में बाँध-विरोधी आंदोलन तथा भारत में नर्मदा नदी के ऊपर बन रहे सरदार सरीवर बाँध परियोजना का विरोध, इन सभी आंदोलनों तथा विरोधी के जरिए पर्यावरण आंदोलन मजबूत हुआ है । अत: इन आंदोलनों से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
प्र.काला सोना से आप क्या समझते हैं?
उ. सऊदी अरब में पेट्रोल का अपार भंडार है।इसी कारण सऊदी अरब में इसी इसे कला सोना कहा जाता है।
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