History Chapter 3 बंधुत्व, जाति तथा वर्ग Notes in hindi

अध्याय 3 बंधुत्व, जाति और वर्ग प्रारंभिक समाज (लगभग 600 ई.पू.-600 ई.)

               Chapter.3
          बंधुत्व, जाति तथा वर्ग

 * महाभारत :- महाभारत हिन्दुओं का प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं, जो स्मृति के इतिहास  के मार्ग में आता है। इसे भारत की धार्मिक, पुराण्विक ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ गाना जाता है। इसके अलावा इस ग्रंथ को हिन्दु धर्म में पंच्चम् वेद माना जाता है। इस ग्रंथ की रचना 1000 वर्ष तक होती रही है। महाभारत की मुख्य कथा दो परिवारों के बीच हुए युद्ध का चित्रण है। इस कथन के कुछ भाग विभिन्न सामाजिक समुदायों के आचार व्यवहार के मानदंड तय करते है। अतः इस ग्रंथ के मुख्य रचयिता वेद व्यास थे।

प्र.1. महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण कब और किसने तैयार किया था और इस संस्करण को तैयार करने में कुल कितने वर्ष लगे थे?

उतर.महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण सन् 1999 में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान वी एस. सुकथांकर के नेतृत्व में तैयार किया गया था और इस संस्करण को तैयार करने में कुल 41 वर्ष लगे थे।

प्र.2 . महाभारत किस प्रकार एक समालोचनात्मक संस्करण  था समझाइए ?

उतर.(i)  देश  के  विभिन्न  भागों  से  विभिन्न लीपियो में लिखी गई महाभारत की संस्कृत पांडुलिपियों को इकट्ठा किया गया।

(ii) इस परियोजना पर काम करने वाले विद्वानों ने सभी पांडुलिपियों में पाए जाने वाले इलाकों की तुलना करने का तरीका ढूंढ निकाला ।

(iii) और इन सभी पांडुलिपियों का प्रकाशन 13000  पृष्टो में फैले अनेक खंडो में किया।

(iv) इस विशाल संस्करण को तैयार करने में 44 वर्ष लगे. अतः इसलिए महाभारत को एक समालोचनात्मक संस्करण कहना सही होगा।

प्र०-3. महाभारत के समालोचनात्मक संस्करण को तैयार करते समय कौन-सी दो बाते विशेष रूप से उमर कर सामने आई ?

उतर. (ⅰ) पहली संस्कृत के कई पाठों के अनेक अंशों में समानता थी। यह यह इस बात से ही स्पष्ट होता है कि समूचे उपमहाद्वीप में उतर में कश्मीर और नेपाल से लेकर दक्षिप में केरल और तमिलनाडु तक सभी पांडुलिपियों में यह समानता देखने में आई।

(ⅱ) कुछ शतब्दियों के दौरान हुए महाभारत के प्रेषण में अनेक क्षेत्रीय प्रभेद भी उभर कर सामने आई।

प्र० 4. इतिहासकार आरंभिक समाज के परिवार और बंधुत्व संबंधी विचारों का विश्लेषण क्यों करते थे?

उतर. क्योंकि इससे लोगों की सोच का पता चलता है, और इन विचारों ने लोगों के क्रियाकलापों की प्रभावित किया होगा । इसी तरह व्यवहार में विचारों ॥ पर भी असर डाला होगा।

प्र.5. पांडव और  कौरव किस वंश से संबंधित थे? 

उतर.कुरु वंश से 

प्र०6. पितृवंशिकता से आप क्या समझते है?

उतर. पितृ‌वंशिकता से अभिप्राय उस परंपरा से है जिसमें पिता के बाद पुत्र फिर पौत्र, प्रपौत्र आदि से चलती अति है।

प्र.7 मातृवांशिकता से आप क्या समझते है?

उतर .7.  मातृवंशिकता से अभिप्राय उस वंश परंपरा से है जो माँ से जुड़ी होती है।

प्र.8  ब्राह्मणों के किन्हीं दो प्रमुख ग्रन्थों के नाम लिखिए?

उतर.(i) धर्मसूत्र ग्रन्थ

       (ii)धर्मशास्त्र ग्रन्थ

                  "विवाह  के प्रकार"

(i) अंतर्विवाह (ii) बहिर्विवाह↓ (iii) बहुपति प्रथा 

* अंतर्विवाह: इस विवाह में व्यवाहिक संबंध समुह के मध्य ही होते है। यह समूह एक गोत्र कुल अथवा एक जाति थी फिर एक ही स्थान पर बसने वालों का हो सकता है।

* बहिर्विवाह .गोत्र से बाहर, विवाह करने की पद्धति को बहिर्विवाह कहा जाता है।

* बहुपत्नी प्रथा :- इस प्रथा में एक पुरुष की कई पलियाँ होने का प्रावधान ।

* बहुपति प्रथा : एक स्त्री के कई । अनेक पति होने के पद्धति है।

प्र 9. ब्राह्मणीय पद्धति के अनुसार गोत्रों के दो प्रमुख नियम कौन - से थे?

उत्तर.(ii) विवाह के बाद स्त्रियों को पिता के स्थान पर पति के गोत्र का माना जाता था।

(iii)  एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह संबंध नहीं रख सकते थे।

प्र.10. धर्मशुत्र और धर्मशास्त्रों में चारो वर्गो के लिए आदर्श जीविका से जुडे कॉन - से नियम मिलते है?

उतर.(i) ब्राह्मण : ब्राह्मण का कार्य अध्ययन करना, वेदों की शिक्षा देना और करवाना  तथा उनका देना और लेना था।

(ⅱ) क्षत्रिय :- क्षत्रियों का काम युद्ध करना. लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, न्याय करना, वेद पढ़‌ना या करवाना और दान दक्षिणा देना।

(iii) वैश्य : वैश्य का काम दोनों वर्गों की सेवा करना अर्थात् कृषि गैपालन और व्यापार करना इत्यादि था।

(iv)  शुद्र :  शुद्रो  के  मात्र एक ही जीविका थी तीनों वर्गों की सेवा करना।

प्र.11. ब्राह्मणों ने वर्ण व्यवस्था के नियमों का पालन करवाने के लिए कौन-सी नीतियाँ अपनाई ?

उतर ; (i) ब्राह्मणों के द्वारा यह बताया गया कि वर्ण-व्यवस्था की उत्पत्ति एक दैविक व्यवस्था है।

(ii) इसके अलावा उन्होंने शासकों को यह उपदेश दिया 'कि वे इस व्यवस्था के नियमों का अपने राज्यों में इसका अनुसरण करें।

iii) इसके अलावा उन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि उनकी प्रतिष्ठा जन्म पर आधादित है।

प्र.12. किन्हीं दो अक्षत्रिय राजा के नाम बताइए।

उतर (i) शक राजा रुद्रदमान 

(ii) गोतमी - पुत्र सिरी - सातकनि

प्र13.ब्राह्मणों ने समाज के किन दो समुदाओं के जातियों को वर्ग व्यवस्था में शामिल नहीं किया ?

उतर..  (ⅰ) निषाद

         (ⅱ) सुर्वणकार

प्र14.यायावार पशुपालकों के समुदायों को शंका की दृष्टि से क्यों देखा जाता था ?

उतर .(i) क्योंकि उन्हें आसानी से बसे हुए कृषिकर्मियों के साँचे, के अनुरूप नहीं ढाला जा सकता था।

(ii) यदा-कदा उन लोगों को जो असंस्कृत भाषी थे, उन्हें मलेच्छ कहकर हेय दृष्टि से देखा जाता था।

प्र. 15. चाण्डाल कौन थे? मनुस्मृति में वर्णित चाण्डालों के "कर्तव्यों का उल्लेख कीजिए।

उतर . चाण्डाल :- शवो का अंतिम संस्कार और मृतक पशुओं की छूने वालों को चाण्डाल कहा जाता था।

          मनुस्मृति में वर्णित चाण्डालों के कर्तव्य :

 (ⅰ) उन्हें गाँव के बाहर रहना पड़ता था।

(ii) वे फैके बर बर्तनों का इस्तेमाल करते थे, मेरे हुए लोगों के वस्त्र तथा लोहे के आभूषण पहनते थे।

(iii) रात्रि में वे गांव और नगरों में चल-फिर नहीं सकते थे।

(iv) संबंधियों से विहिन मृतकों की उन्हें अंतिम संस्कार करनी पड़ती थी तथा वधिक के रूप में भी कार्य कसा पड़ता था।

(v) चीन से आए बौद्ध भिक्षु का-शिएन का कहना है कि चाण्डालों को सड़क पर चलते हुए करताल बजाकर अपने होने की सूचना देनी पड़ती थी। जिससे अन्य जन उन्हें देखने के दोष से बच जाए।

(vi) एक और चीनी तीर्थयात्री शिवैन - त्सांग कहता है कि वधिक और साई करने वालों को नगर से बाहर रहना पड़ता था।

प्र.15 मनुस्मृति के अनुसार पैतृक जायदाद का बंटवारा किस प्रकार किया गया था और इसमें स्त्रियों का क्या स्थान था ? 

उतर.(1) मनुस्मृति के अनुसार पैतृ‌क जायदाद का माता - पिता के मृत्यु के बाद सभी पुत्रों में समान रूप से बोट देना चाहिए, किन्तु बड़ा पुत्र का विशेष भाग का अधिकार था। स्त्रियों का पैतृक संसाधन में हिस्सेदारी की माँग नही कर सकती थी।

(ii) किन्तु विवाह के समय मिले उपहारों पर स्त्रियों का स्वामित्व माना जाता था और इसे स्त्रिधन की संज्ञा दी जाती थी। इस संपत्ति को उनकी संतान विरासत के रूप में हासिल कर सकते थे। और इस पर उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था।


प्र .16  इतिहासकार, महाभारत की बिषयवस्तु को किन दो मुख्य शीर्षकों के अंतर्गत रखते है?

उतर (ⅰ) आख्यान

(ii) उपदेशात्मक 


प्र. 17 सूत कौन थे? इसके मुख्य कार्य क्या थे?

उतर . 17 महाभारत के मूल कथा के रचयिता भाट सारथी थे जिन्हें सूत कहा जाता था।

* सुत के मुख्य कार्य :- ये क्षत्रिय योद्धाओं के साथ युद्धछेत्र में जाते थे और उनकी विजय व उपलब्धियों के बारे में किविताएँ लिखते थे।

प्र.18. आरंभिक समाज  की सामाजिक स्थिति किस बात पर निर्भर करती थी?

उतर. उनकी सामाजिक स्थिति इस बात पर निर्भर करती थी कि आर्थिक संसाधन पर उनका कितना नियंत्रण है।

* आख्यान :- आख्यान में महाभारत के कहानी संग्रह किया गया है। का

* उपदेशात्मक :- जबकि उपदेशात्मक में सामाजिक आचार- विचार के मानदंडों का चित्रण किया गया है।

प्र.19. भारत के पुरातत्ववेत्ता बी. बी. लाल ने मेरठ जिले के हस्तिनापुर नामक गाँव में उत्खनन किया। यहाँ के पाँच के पाँच स्तरों के साक्ष्य मिले थे जिसमें से दूसरा और तीसरा स्तर हमारे विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण क्यों था?

उतर (ⅰ) दूसरे स्तर पर मिलने वाले घरों के बारे में लाल कहते हैं: " जिस सीमित क्षेत्र का उत्खनन हुआ। • वहाँ से आवास गृहो की कोई निश्चित परियोजना नही मिलती किन्तु मिट्टी की बनी दीवारें और कच्ची मिट्टी की ईंट अवश्य मिलती है। सरकडे  वाले मिट्टी के पल्हस्तर की खोज इस बात और इशारा करती है कि कुछ घरों की दीवार सरकडे की बनी थी जिस पर मिट्टी का पलस्तर दिया जाता था।"

(iii)  तीसरे स्तर के लिए लाल कहते है:  तृतीय काल के घर कच्ची और कुछ पक्की ईटों के बने थे। इनमें शोषक घर और ईटों के नाले गर्द पानी के निकास के लिए इस्तेमाल किए जाते थे तथा वलय - कूपों का इस्तेमाल कुओं और गली निकासी वाले गर्तो, दोनों ही रूपों में किया जाता

प्र.20.महाभारत की सबसे चुनौतीपूर्ण उपकथा क्या थी।

उतर महाभारत की सबसे चुनौतीपूर्ण उपकथा द्रौपदी से पाण्डवों का विवाह था यह बहुपति विवाह का उदहारण हरण हैं जो महाभारत की कथा का अभिन्न अंग है।

प्र.21 महाभारत किस प्रकार एक गतिशील ग्रंथ है।स्पष्ट कजिए?

उतर (ⅰ) महाभारत का विकास संस्कृत के पाठ के साथ ही समाप्त नहीं हुआ था बलिया शताब्दि‌यों से इस महाकाव्य के अनेक पाठान्तर अलग-अलग भाषाओं में लिखे गए।

(ii) वे सब उस संवाद को दर्शाते है जो लेखकों अन्य लोगों और समुदायों के बीच कायम हुए ।

(iii) अनेक कहानियाँ जिसका उद्‌भव, एक छेत्र विषेश में हुआ और जिनका खास लोगों के बीच प्रसार हुआ  वे सब इस महाकाव्य में समाहित कर हुआ, ली गई।

(iv) इस महाकाव्य की मुख्य मुख्य कथा की अनेक पुनर्व्याख्याएँ की गई।

(v) इस महाकाव्य ने नाटकों और नृत्य कालाओ के लिए भी विषय - वस्तु प्रदान की।