12 CLASS CHAPTER 1 दो ध्रुवीयता का अंत POL SCIENCE (NOTES)
दो ध्रुवीयता का अंत
सन 1945 के बाद विश्व मे दो शक्तियों का उदय हुआ। एक सोवियत संघ और दूसरा संयुक्त राज्य अमेरिका परंतु 1991 में आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक कारण के कारण सोवियत संघ का विघटन हो गया और विश्व में एकमात्र महाशक्ति बच्ची और वह है USA जिसे हम दो ध्रुवीयता का अंत भी कह सकते हैं।
* बर्लिनकी की दीवाल किसका प्रतीक थी।? बर्लिनकी की दीवार पूंजीवादी दुनिया और साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक था।
*सन 1961 में बर्निल की दीवार बनी थी।150 km से भी ज्यादा लंबी या दीवार 28 वर्षों तक खड़ी रही और आखिरकार जनता ने इसे 9 नवंबर 1989 को छोड़ दिया। यह जर्मनी के एकीकरण और साम्यवादी खेमे की समाप्ति की शुरुआत थी।
दूसरी दुनिया से आप क्या समझते हैं?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के अंकुश में आ गये। सोवियत सेना ने इन्हें फासीवादी ताकतों के चंगुल से मुक्त कराया था। इन सभी देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली के तर्ज पर ढाला गया था। इन्हें ही समाजवादी खेमे से देश का दूसरा दुनिया कहा जाता है।
*सोसोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ।विस्तार पूर्वक व्याख्या कीजिए?सोवियत संघ के विघटन के मुख्य कारण निम्न थे।
प्रस्तावना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व की दूसरी महाशक्ति अचानक से बिखर गई। दूसरी और सोवियत संघ तथा महा अक्टूबर 1917 की क्रांति के उपरांत से चली आ रही साम्यवादी व्यवस्था का अंत हो गया इस घटना के प्रमुख कारण निम्न में से परंतु कुछ इस प्रकार थे।
1.राजनीतिक आर्थिक संस्थाओं के आर्थिक कमजोरियां।इसमें कोई संदेह नहीं है कि सोवियत संघ की राजनीतिक आर्थिक संस्थाएं अंदरूनी कमजोरी के कारण लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकी अतः यह सोवियत संघ के विघटन का कारण बनी कई सालों तक अर्थव्यवस्था गतिरूद्र रही। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की भारी कमी हो गई और सोवियत संघ की आबादी का एक बड़ा हिस्सा वहां की सरकार को शक की नजर से देखने लगा।
2. हथियारों की पागल दौड़ में शामिल होना। सोवियत संघ के विघटन का दूसरा कारण या हथियारों की पागल दौड़ में शामिल होना,क्योंकि सोवियत संघ ने अपने संसाधनों का अधिकांश परमाणु हथियार सैन्य साजो समान पर लगाया। उसने अपने संसाधन पूर्वी यूरोप के अपने पिछग्ग् देशो के विकास पर भी खर्च किया ताकि वो सोवियत नियंत्रण में बने रहे। इससे सोवियत संघ पर गहरा आर्थिक दबाव बना और सोवियत व्यवस्था इसका सामना नहीं कर सकी।
3. पश्चिमी देशों की तुलना पर जनता निराश=पश्चिमी देशों की तरवकी के बारे में सोवियत संघ के आम नागरिकों की जानकारी बड़ी।अपनी और पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था के बीच के अंतर को माप सकते थे।सालों से बताया जा रहा था कि सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था से बेहतर है। परंतु सच्चाई तो यह थी कि सोवियत गणराज्य लगातार पिछड़ता जा रहा था। जिससे वहां के लोगों को राजनीतिक मनोवैज्ञानिक रूप से धक्का लगा।
4.कम्युनिस्ट पार्टी का एकीकरण=सोवियत संघ प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ चुका था। सोवियत संघ पर कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 सालों तक शासन किया और यहां पार्टी अब जनता के प्रति जवाबदेही नहीं रह गई थी।देश के बेकार शासन भारी भ्रष्टाचार आदि का केंद्र होने लगा।इन सभी बातों के कारण आम जनता अलग-थलग पड़ गई। इससे बुरी बात यह थी कि पार्टी के अधिकारियों को आम जनता से ज्यादा विशेषाधिकार मिला हुआ थे।
5.गोर्बाचेव द्वारा सुधारे के प्रयासों में सफल न होना=गोर्बाचेव ने सभी तरह के समस्याओं का वादा किया था।गोर्बाचेव अर्थव्यवस्था को सुधारने पश्चिम की बराबरी पर लाने और प्रशासनिक ढांचे में ढील देने का वादा किया।गोर्बाचेव सोवियत संघ के सुधार की हर संभव कोशिश कर रहे थे परंतु वह लोगों की आकांक्षा और इच्छाओं को पूरा करने में असक्षम रहे जिससे सोवियत संघ का विघटन हुआ।
*शॉक थेरेपी से आप क्या समझते हैं। साम्यवाद के पतन के बाद पूर्व सोवियत संघ के गणराज्य एक सत्तावादी, समाजवादी व्यवस्था से लोकतांत्रिक पूंजीवादी व्यवस्था तक के संकट से होकर गुजरा। रूस मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों मे पूंजीवादी की और संक्रमण का एक खास मॉडल अपनाया। विश्व बैंक और IMF ने इस मॉडल को शॉक थेरेपी कहा जिसे शॉक थेरेपी कहा जाता है।
*इतिहास की सबसे बड़ी गराज- सेल के नाम से किसे जाना जाता है। और क्यों?
शॉक थेरेपी को ही इतिहास की सबसे बड़ी गेराज सेल के नाम से जाना जाता है। क्योंकि महत्वपूर्ण उद्योगों की कीमत कम से कम करके आंकी गई और उन्हें ओने- पौने दामों में बेचा गया।
*शॉक थेरेपी के परिणामों का वर्णन कीजिए? शॉक थेरेपी के मुख्य परिणाम निम्न है।
1. 1990 में अपनाई गई शॉक थेरेपी जनता को उपभोग के उस आनंदलोक तक नहीं ले गई जिसका उसने वादा किया था। शॉक थेरेपी से देश के संपूर्ण अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई और इस क्षेत्र की जनता को बर्बादी की मार झेलनी पड़ी।
2. रूस का पूरा का पूरा औद्योगिक ढांचा चरमरा उठा। लगभग 90% उद्योगों को निजी हाथों या कंपनियों के हाथों बेच दिया गया। औद्योगिक ढांचे की नीतियों को वहां की सरकार नहीं बल्कि वहां की बाजार शक्तियां कर रही थी इसीलिए यह कदम सभी उद्योगों को मटियामेंट करने वाला साबित हुआ। ऐसे ही इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल के नाम से जाना गया क्योंकि महत्वपूर्ण उद्योगों की कीमत कम से कम आंकी गई और उन्हें ओने पौने दामों में बेच दिया गया।
3. रूसी रूबल मुद्रा के मूल्य में नाटकीय ढंग से गिरावट आई मुद्रास्फीति इतनी ज्यादा बड़ी कि लोगों की जमा पूंजी जाती रही।
4. सामूहिक खेती की प्रणाली समाप्त हो चुकी थी। और लोगों को अब खाधान्न्न की सुरक्षा मौजूद नहीं रहे। रूस ने खाधान्न्न का आयात करना शुरू किया। सन 1999 में वास्तविक GDP 1989 की तुलना में कहीं नीचे था। पुराना व्यापारिक ढांचा तो टूट चुका था लेकिन इसकी जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पाई थी।
5. समाज कल्याणकी पुरानी व्यवस्था को क्रम से नष्ट किया गय। सरकारी रियायतो के खात्मे के कारण ज्यादातर लोग गरीबी में पड़ गए। मध्य वर्ग समाज के हाशिए पर आ गया और अकादमिक- वैदिक कामों से जुड़े लोग या तो बिखर गए या बाहर चले गए। कई देशों एक माकिया वर्ग उभरा और उन्हें अधिकतर आर्थिक गतिविधियों को अपने नियंत्रण में ले लिया।
6. आर्थिक बदलाव को बड़ी प्राथमिकता दी गई और इस पर पर्याप्त ध्यान भी दिया गया लेकिन लोकतांत्रिक संस्थाओं के निर्माण का कार्य भी ऐसी प्राथमिकता के साथ नहीं हो सका। इसकी सबसे बड़ा कारण यह था कि अधिकतर इन देशों के संविधान को हड़बड़ी में बनाया गया था। और रूस सहित अन्य देशों में राष्ट्रपति को कार्यपालिका का मुख्य बनाया गया था। और इसके हाथ में लगभग हर संभव शक्ति थमा दी गई जिसके फलस्वरूप संसद अपेक्षाकृत एक कमजोर संस्था रह गई थी।
*सोवियत संघ के किन्हीं तीन नेताओं के नाम बताओ और किसी एक का वर्णन कीजिए?
मिखाईल गोर्बाचोव, निकिता ख्रुश्चेव, जोजेफ स्टालिन
निकिता ख्रुश्चेव का परिचय=निकिता ख्रुश्चेव का जन्म सन 1894 में हुआ वाह सोवियत संघ के प्रसिद्ध एवं महान नेता थे।1953 मैं सोवियत संघ के राष्ट्रपति चुने गए। वो स्टालिन के नेतृत्व शैली के गौर आलोचक थे। राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सुधार किए और पश्चिम के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तितव का सुझाव रखा। हंगरी के जन विद्रोह के दमन और क्यूबा के मिसाइल संकट में शामिल।
*सोवियत संघ के कौन से तीन गणराज्य संयुक्त राज्य के सदस्य बने और यह कब NATO में शामिल हुए?
1. चेचन्या
2. दागिस्तान
*भारत और रूस के संबंध का वर्णन कीजिए और आप कैसे कह सकते हैं कि पश्चिमी देशों में रूस हमारा सबसे प्रिय मित्र है।वर्णन कीजिए?
1. भारत ने साम्यवादी रह चुके सभी देशों के साथ अच्छे संबंध कायम किए हैं।लेकिन भारत के संबंध रूस के साथ सबसे ज्यादा गहरे हैं।भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू भारत का रूस के साथ संबंध है भारत रूस संबंधों का इतिहास आपसी विश्वास और साझे हितों का इतिहास है।भारत रूस के आपसी संबंध इन देशों की जनता की अपेक्षाओं से मेल खाते हैं.।
2. भारतीय हिंदी फिल्मों के नायको मैं राजकुमार से लेकर अमिताभ बच्चन तक रूस और पूर्व सोवियत संघ के बाकी गणराज्य में घर घर जाने जाते हैं।आप इन क्षेत्रों में हिंदी फिल्मी गीत बजते सुन सकते हैं और भारत यहां के जनमानस का एक अंग है।
3. रूस और भारत दोनों का सपना बहूधृवीय विश्व का है। बहुधृवीय विश्व में से इन दोनों देशों का आशय हैं यह है कि अंतरराष्ट्रीय फलक पर कई शक्तियां मौजूद हो। सुरक्षा की सामूहिक जिम्मेदारी हो यानी किसी भी देश पर हमला हो तो सभी देश उसे अपने लिए खतरा माने और साथ मिलकर करवाई करें।
4. 2001 के भारत रूस सामाजिक समझौते के अंग के रूप में भारत और रूस के बीच 80 द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हुए हैं। भारत को रूस के साथ अपने संबंधों के कारण कश्मीर ऊर्जा आपूर्ति अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान पश्चिमी एशिया में पहुंच बनाने तथा चीन के साथ अपने संबंध में संतुलन लाने जैसे मामले में फायदे हुए हैं।
5. केवल रूसी ही भारत के लिए फायदेमंद नहीं रहा है।बल्कि भारत भी रूस के लिए बड़ा फायदेमंद रहा है। क्योंकि भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार देश है। भारतीय सेना को अधिकांश सैनिक साजो सामान रूप से प्राप्त होता है। क्योंकि भारत तेल के आयात देशों में से एक है। इसलिए भी भारत रूस के लिए महत्वपूर्ण है।
6. उसने तेल के लिए संकट की घड़ी में हमेशा भारत की मदद की है।भारत रूस से अपने ऊर्जा आयात को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
ऐसी कोशिश कजाकिस्तानऔर तुर्कमेनिस्तान के साथ भी चल रही है।इसे इसके अलावा रूस भारत के लिए परमाणिवक योजना के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे पता चल रहा है कि भारत और रूस के संबंध अतीत में और वर्तमान में बहुत अच्छे हैं। और हां पश्चिमी देशों में रूस हमारा सबसे प्रिय मित्र है और आशा करते हैं।कि आगे भी रहेगा।
*समाजवादी क्रांति कब हुई थी। और क्यों हुई थी? उत्तर.सन 1917 में हुई थी।
1. यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई थी। और समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की जरूरत से प्रेरित थी।
2. ऐसा करने में सोवियत प्रणाली के निर्माताओं ने राज्य और पार्टी कि संस्था को प्राथमिक महत्व दिया।
फासीवाद का अर्थ=एंन्डू हेवुड का मानना है कि फासीवाद मूल रूप आधुनिकता और बौद्धिकता के उन मूल्यों और आदर्शों के विरोध के स्वरूप उपजा है जिसकी की राजनीतिक संरचना उन्होंने की। इस विचारधारा का उदय 20 वीं शताब्दी में हुआ था।
*दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप में उभरा।जिसके मुख्य कारण क्या थे। स्पष्ट कीजिए?
उत्तर. दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप में उभरा। जिसके के मुख्य कारण निम्न थे।
1.इस दौर में अमेरिका को छोड़ दें तो सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था शेष विश्व की तुलना में कहीं ज्यादा विकसित थी। सोवियत संघ की संचार प्रणाली बहुत उन्नत थी। उसके पास विशाल ऊर्जा संसाधन था।जिसमें खनिज ,तेल ,लोहा और इस्पात, तथा मशीनरी उत्पाद शामिल थे।
2. सोवियत संघ के दूर-दराज के इलाके भी आवागमन की सुव्यवस्थित और विशाल प्रणाली के कारण आपस में जुड़े हुए थे।सोवियत संघ का घरेलू उपभोक्ता उद्योग भी बहुत उन्नत था।और पिन से लेकर कार तक की सभी चीजों का उत्पादन वहां होता था।।
3. सोवियत संघ का घरेलू उपभोक्ता उद्योग भी बहुत उन्नत था। और पिन से लेकर कर तक सभी चीजों का उत्पादन में होता था। हालांकि सोवियत संघ के उपभोक्ता उद्योग में बनने वाली वस्तुएं गुणवत्ता के लिहाज से पश्चिमी देशों के स्तर की नहीं थी। लेकिन सोवियत संघ की सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एक न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित कर दिया था।
4. सरकार बुनियादी जरूरत की चीजें रियाहती दर पर मुहैया कराती थी।बेरोजगारी नहीं थी।मिल्कियत का प्रमुख रूप राजा का स्वामित्व था। तथा भूमि और अन्य उत्पादक संपदाओ पर स्वामित्व होने के अलावा नियंत्रण भी राज्य का ही था ।
5. वास्तव सोवियत के पास दूसरे विश्व युद्ध के बाद के दौर में वह सब कुछ था जो एक महाशक्ति के पास होना चाहिए। उद्योग व्यवस्था, कृषि क्षेत्र ,और लोगों की सुरक्षा सब उन्नत थी।और सबसे बड़ी बात यह संघ पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर था। इन्हीं सब कारणों की वजह से दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप में उभरा।
*सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप कब किया था?
उत्तर.1979मे।
*मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के विघटन को रोकने मे नाकाम क्यों रहे। कोई चार कारण बताएं?
उत्तर. प्रस्तावना. मिखाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ की व्यवस्था को सुधारना चाहा।यह बात सच है,परंतु यह इतना आसान नहीं था। कि उनके प्रयास से सोवियत संघ की व्यवस्था में परिवर्तन आ गया।उनको इस व्यवस्था में परिवर्तन के लिए कई मील दूर का रास्ता पैदल तय करने के समान था।वास्तव में यह गोर्बाचेव के लिए लोहे के चने चबाना जैसा था।
1. मिखाईल गोर्बाचोव ने इस व्यवस्था को सुधारना चाहा। 1980 के दशक के मध्य में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने पश्चिमी के देशों में सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति हो रही थी और सोवियत संघ को इसीकी बराबरी में लाने के लिए सुधार जरूरी था।
2.गोर्बाचेव ने पश्चिम के देशों के साथ संबंधों को सामान्य सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप में देने और वहां सुधार करने के फैसलाकिया।इस फैसले का कुछ ऐसा परिणाम रहा जिसका कोई अंदाजा नहीं था।पूर्वी यूरोप के देश सोवियत खेमे के हिस्से थे। इस देश की जनता ने अपनी सरकारों और सोवियत नियंत्रण का विरोध करना शुरू कर दिया।
3. गोर्बाचेव के शासक रहते सोवियत संघ ने ऐसी-कोई गड़बड़ी नहीं की जैसा कि अतीत में होता था। पूर्वी यूरोप की साम्यवादी सरकारें एक के बाद एक गिर गई। सोवियत संघ के बाहर हो रहे इन परिवर्तनों के साथ-साथ अंदर भी संकट गहराता जा रहा था और इसके सोवियत संघ के विघटन की गति और तेजी हुई गौरव आचे अपने देश के अंदर आर्थिक राजनीतिक सुधारों और लोकतांत्रिक की नीति चलाई इन सुधार नीतियों का कैबिनेट पार्टी के नेताओं द्वारा विरोध किया गया।
4. सन 1991 में एक तख्तापलट भी हुआ। और कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े गरमपंथियों ने इसे बढ़ावा दिया था। तब तक जनता को स्वतंत्रता का स्वाद मिल चुका था।और वे कम्युनिस्ट पार्टी के पुरानी रंगत वाले शासन में नहीं जाना चाहते थे।अतः सोवियत संघ की व्यवस्था आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक रुप से कमजोर पड़ गई थी। हां यह बात सत्य जरूर था कि गोर्वाचेव ने इसकी व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया परंतु वो इन प्रयासों में सफल नहीं हो पाए और इसके परिणाम स्वरूप सोवियत संघ का विघटन हो गया।
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