POL SCIENCE NOTES समकालीन विश्व में अमेरिका वर्चस्व
समकालीन विश्व में अमेरिका वर्चस्व
सोवियत संघ के विघटन के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा और दुनिया में कोई उसकी टक्कर का प्रतिद्वंदी ना रहा।तो इसी दौर को एकध्रुवीय विश्व का दौर कहाॅ गया।
प्र.दक्षिण अफ्रीका की राजधानी क्या है?
उ. डरबन है।
प्र.समकालीन विश्व में अमेरिका वर्चस्व की शुरुआत कब हुई थी?
उ. सन 1991 में।
प्र.नई विश्व व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उ.UNO द्वारा इराक के विरुद्ध बलप्रयोग की अनुमति दिए जाने को अमेरिका राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसे नई विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी।
प्र.प्रथम खाड़ी युद्ध से आप क्या समझते हैं?
उ.34 देशों की मिली-जुली और 660000 सैनिकों की भारी-भरकम फौज ने इराक के विरुद्ध मोर्चा खोला और उसे परास्त कर दिया। जिसे प्रथम खाड़ी युद्ध कहा जाता है।
प्र.ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म क्या है?
उ.प्रथम खाड़ी युद्ध के दौरान उन देशों की मिली-जुली सेना 660000 के सैन्य अभियान को (UNO)के ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म कहां जाता है।
प्र.कंप्यूटर युद्ध किसे कहते हैं?
उ. प्रथम खाड़ी युद्ध में अमेरिका ने जिन स्मार्ट बम का प्रयोग करके शीघ्र ही कुवैत के विरुद्ध इराक को घुटने टेकने के लिए विवश किया उसे पर्यवेक्षकों ने कंप्यूटर युद्ध की संज्ञा दी।
प्रथम खाड़ी युद्ध को जिस तरह टीवी पर व्यापक कवरेज हुई। और या एक वीडियो गेम वार में तब्दील हो गया इसीलिए इसे वीडियो गेम भी कहा जाता है।
प्र.क्लिंटन के दौर में दो सबसे बड़ी घटना कौन सी थी? स्पष्ट कीजिए।
1. कैलेंडर के दौर में पहली घटना सन् 1999 में हुई थी।इसने अपने ही प्रांत कोसोवो में युगोस्लाविया ने अलबानियाई लोगों के आंदोलन को कुचलने के लिए सैन्य कार्रवाई की। कोसोवो में अलबानियाई लोगों की बहुलता है।इसके जवाब में अमेरिकी नेतृत्व में NATO के देशों ने युगोस्लावियाई क्षेत्रों पर 2 महीने तक बमबारी की।
2. क्लिंटन के दौर में दूसरी बड़ी सैन्य कार्रवाई नैरोबी (केन्या) और दारे सलाम (तंजानिया)के अमरीकी दूतावासों तो पर बमबारी के जवाब में हुई।
प्र.‘ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच’आप क्या समझते हैं?
उ. नैरोबी (केन्या) और दारे सलाम (तंजानिया) में स्थित अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी हुई। अतिवादी इस्लामी विचारों से प्रभावित आतंकवादी संगठन ‘अल-कायदा’ को कुछ दिनों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन ने अल-कायदा के खिलाफ एक ऑपरेशन का आदेश दिया।जिसे ऑपरेशन इनफानाइट रीच कहा गय।
प्र.9/11 और आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध है। स्पष्ट कीजिए?
उ.1. 11 सितंबर 2001 के दिन विभिन्न अरब देशों के 19 अपहरणकर्ताओं ने उड़ान भरने के चंद मिनटो बाद चार अमेरिकी व्यावसायिक विमानों पर कब्जा कर लिया।
2. अपहरणकर्ता इन विमानों को अमेरिका की महत्वपूर्ण इमारतों की सीध में उड़ान ले गए।दो विमान न्यूयॉर्क स्थित WTO के उत्तरी और दक्षिणी टावर से टकराए।
3. तीसरा विमान वर्जिनियां के आर्लिंगटन स्थित पेंटागन से टकराया।‘पेंटागन’ में अमेरिकी रक्षा-विमान का मुख्यालय है।
4. चौथे विमान को अमेरिकी कांग्रेस की मुख्य इमारत से टकराना था।लेकिन वह पेन्सिलवेनिया के एक खेत मे गिर गया।इस हमले को 9/11 कहा जाता है।
प्र.अमेरिका एक स्वतंत्र राष्ट्र कब बना था?
उ. सन 1776 में।
प्र.वर्चस्व क्या है?
उ. अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में ताकत का एक ही केंद्र का होना वर्चस्व कहलाता है।
प्र.हेगेमनी क्या है?
उ.हेगेमनी शब्द प्राचीन यूनान के शब्द से निकला है। इस शब्द से किसी एक राज्य के नेतृत्व प्रभुत्व का बोध होता है।
प्र. सांस्कृतिक रूप में वर्चस्व का क्या अर्थ है?स्पष्ट कीजिए है।
उ.1. अमेरिकी वर्चस्व को शुद्ध रूप से सैन्य और आर्थिक संदर्भ में देखना भूल होगी। हमें अमेरिकी वर्चस्व पर विचारधारा या सांस्कृति के संदर्भ में भी विचार करना चाहिए।
2. वर्चस्व के इस तीसरे अर्थ का रिश्ता ‘सहमत गढ़ने’ की ताकत से है।यहां वर्चस्व का आशय है।सामाजिक राजनीतिक और खासकर विचारधारा के धरातल पर किसी वर्ग की बढ़त या दबदबा कोई प्रभुत्वशाली वर्ग या देश अपने असर में रहने वाले को इस तरह सहमत कर सकता है कि वह भी दुनिया को उसी नजरिए से देखने लगे जिससे पर प्रभुत्वशाली वर्ग या देश देखते हैं।
3. इससे प्रभुत्वशली की बढ़त और वर्चस्व कायम होता है। विश्व राजनीति के दायरे में वर्चस्व के इस अर्थ को लागू करे तो स्पष्ट होगा कि प्रभुत्वशली देश सिर्फ सैन्य शक्ति से काम नहीं लेता है।वह अपने प्रतिद्वंदी और अपने से कमजोर देशों के व्यवहार बरताव को अपने मनमाफिक बनाने के लिए विचारधारा से जुड़े साधनों का भी इस्तेमाल करता है।
4. कमजोर देशों के व्यवहार-बरताव को इस तरह से प्रभावित किया जाता है कि उससे सबसे ताकतवर देश का हितसाधन हो,उसका वर्चस्व बना रहे।इस तरह प्रभुत्वशाली देश जोर-जबर्दस्ती और रजामंदी दोनों ही तरीके से काम लेते हैं।अक्सर रजामंदी का तरीका जोर जबरदस्ती से कहीं ज्यादा कारगर साबित होता है।
5. आज विश्व में अमेरिका का दबदबा सिर्फ सैन्य शक्ति और आर्थिक बढ़त के बलबूते ही नहीं बल्कि अमेरिका की सांस्कृतिक मौजूदगी भी इसका एक कारण है। चाहे हम इस बात को माने या ना माने लेकिन यह सच है कि आज अच्छे जीवन और व्यक्तिगत सफलता के बारे में जो धारणाएं पूरे विश्व में प्रचलित है।दुनिया के अधिकांश लोग और समाजो के जो सपने हैं व-सब 20 वीं सदी के अमेरिका में प्रचलित व्यवहार बर्ताव से ही प्रतिबिंन है।
6. अमेरिकी संस्कृति बड़ी लुभावनी है। और इसी कारण सबसे ज्यादा ताकतवर है। वर्चस्व का यह सांस्कृतिक पहलू है जहां जोर-जबरदस्ती से नहीं बल्कि रजामंदी से बात मनवाई जाती है। समय गुजरने के साथ हम उसके इतने अभ्यस्त हो गए हैं। कि अब हम इसे इतना ही सहज मानते हैं जितना अपने आस-पास के पेड़ पक्षी या नदी को।
प्र.अमेरिकी शक्ति के रास्ते में कौन से तीन अवरोध है?विस्तार पूर्वक स्पष्ट कीजिए।
उ. अमेरिका की शक्ति में आने वाले अवरोध स्वयं उसके भीतर मौजूद है।अमेरिका की शक्ति मे मुख्य रूप से तीन अवरोध।
1. अमरीका की संस्थागत बनावट:-पहला व्यवधान स्वंय अमेरिका के संस्थागत बनावट है। यहां शासन के तीन अंगों के बीच शक्ति का बंटवारा है और यही बनावट कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्ति के बेलगांम इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का काम करती है।
2. अमेरिका की ताकत के आगे आने वाली दूसरी रचना भी अंदरूनी ही है। इस अडचना के मूल में है अमेरिका समाज जो अपनी प्राकृति में उन्मुक्त है।
अमेरिका मे जनसंचार के साधन समय-समय पर वहां के जनमत को एक खास दिशा में मोड़ने की भले कोशिश करें लेकिन अमेरिका राजनीतिक सांस्कृतिक में शासन के उद्देश्य और तरीके को लेकर गहरे संदेह का भाव भरा है।अमेरिका के विदेशी सैन्य अभियानों पर अंकुश रखने में यह बात बड़ी कारगर भूमिका निभाती है।
3. तीसरा अवरोधक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में सिर्फ एक संगठन:-अमेरिका ताकत की राह में मौजूद तीसरा व्यवधान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में आज सिर्फ एक संगठन है जो अमेरिका की ताकत को लगाम लगा सकता है। और इस संगठन का नाम है ‘नाटो’ स्पष्ट ही अमरीका का बहुत बड़ा हित लोकतांत्रिक देशो के इस संगठन को कायम रखने से जुड़ा है।क्योंकि इन देशों में बाजारमूल्य अर्थव्यवस्था चलती है।इसी इस बात की संभावना बनती है कि ‘नाटो’ में शामिल अमेरिका के साथ देश उसके वर्चस्व पर अंकुश लगा सकते हैं।
प्र. भारत और अमेरिका के संबंध का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
उ. 1.शीतयुद्ध के दौरान भारत और अमेरिका के संबंध:-शीतयुद्ध के वर्षों में भारत अमेरिका के विरुद्ध खड़ा था। इन सालों में भारत की करीबी दोस्ती सोवियत संघ से थी। सोवियत संघ के बिखरने के बाद भारत ने पाया कि लगातार कटुतापूर्ण होते अंतरराष्ट्रीय माहौल में वह मित्रवशविहींन हो गया है। इसी अवधि में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करना तथा उसे वैश्विवक अर्थव्यवस्था से जोड़ने का फैसला किया। इस नीति और हाल के सालों में प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि दर के कारण भारत अब अमेरिका समेत कई देशों के लिए आकर्षक आर्थिक सहयोगी बन गया।
2.पिछले 15 वर्षों में भारत अमेरिका के संबंध:-हाल के सालों में भारत अमेरिका संबंध के बीच दो नई बातें उभर उभरी हैं इन बातों का संबंध प्रौद्योगिकी और अमेरिका से अमेरिका में बसे भारतीयों से है।
3. सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत के कुल निर्यात का 65% अमेरिका को जाता है।
4. बोइंग के 35% तकनीकी कर्मचारी भारतीय मूल के हैं। 3 लाख भारतीय सिलिकन वैली मे काम करते हैं।
5. उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की 15% कंपनियों की शुरुआत अमेरिका में बसे भारतीयों ने की है।
निष्कर्ष:-आज दोनों देश जिस स्थान पर हैं उसके लिए दोनों का एक दूसरे को सहयोग करना जरूरी है। फिर भी दोनों के बीच संबंध इतने जटिल हैं कि किसी एक गननीति पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। अमेरिका से निवहि करने के लिए भारत को विदेश नीति की कई रणनीतियों का एक संयुक्त मेल तैयार करना होगा।
प्र:अमेरिका के वर्चस्व से कैसे निपटा जा सकता है?
उ.1. संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्चस्व ने विचारको को सोचने के लिए विवश कर दिया है। अपने सामने अनेक प्रश्न आ रहे हैं। जैसे की कब तक चलेगी अमेरिका वर्चस्व? इस वर्चस्व से कैसे बचा जा सकता है।जाहिर तौर पर ये सवाल हमारे के सबसे मुश्किल सवाल हैं। परंतु इतिहास से हमें इन सवालों के जवाब के कुछ सुराग मिलते हैं। लेकिन बात यह इतिहास कि नहीं वर्तमान और भविष्य की हो रही है।अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक में ऐसी चीजें गिनी चुनी ही है जो किसी देश की सैन्य शक्ति पर लगाम कस सके।हर देश में सरकार होती हैं लेकिन विश्व सरकार जैसी कोई चीज नहीं होती।
2. अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक दरअसल सरकार विहीन राजनीतिक हैं। कुछ कायदे और कानून जरूर है जो युद्ध पर अंकुश रखते हैं। लेकिन वास्तविक यह है कि यह कायदे और कानून युद्ध को रोकने में नाकाम रहे।क्योंकि शायद ही कोई देश रहा होगा जो अपनी सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय कानून के हवाले कर दे। तो क्या इन बातों से यह समझा जाए कि न तो वर्चस्व से कोई छुटकारा है और ना ही युद्ध। से ।
3. फिलहाल हमें यह बात मान लेनी चाहिए कि कोई भी देश अमेरिका सैन्यशक्ति के जोड़ का मौजूद नहीं है। भारत चीन और रूस जैसे बड़े देश देशों में अमेरिका वर्चस्व को चुनौती दे पाने की संभावना है। लेकिन इन देशो के बीच आपसी मतभेद है।और इन विभेदो के रहते उनका अमेरिका के विरुद्ध कोई गठबंधन नहीं हो सकता।
4. कुछ लोगों का तर्क है कि वर्चस्वजनित अवसरो के लाभ उठाने की रणनीति ज्यादा संगत है। उदाहरण के लिए आर्थिक वृद्धि दर को ऊंचा करने के लिए व्यापार को बढ़ावा प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और निवेश जरूरी है और अमेरिका के साथ मिलकर काम करने में इसमें आसानी होगी ना कि उसका विरोध करने से।ऐसे में सुझाव दिया जाता है।कि सबसे ताकतवर देश के विरुद्ध जाने का बजाय उसके वर्चस्व तंत्र में रहते हुए अवसरों का फायदा उठाना कहीं उचित रणनीति है। इसे बैंडबैगन अथवा जैसी बाहें बाहर पीठ तब जैसी दीजै की रणनीति कहते हैं।
5. और इन देशों के सामने एक विकल्प यह है कि वे अपने को ‘छुपा’ ले।इसका अर्थ होता है दबदबे वाले देशों से यथासंभव दूर दूर रहना।इस व्यवहार के कई उदाहरण हैं। चीन, रूस और यूरोपीय संघ सभी एक ने एक तरीके से अपने को अमेरिकी निगाह में चढ़ने से बचा रहते हैं। इस तरह से अमेरिका के किसी बेवजह या बेपनाह क्रोध की चपेट में आने से यह सब देश अपने को बचाते हैं।
6. जो भी हो बड़े यहां मंजले दर्जो के ताकतवर देशों के लिए यह रणनीति ज्यादा दिनों तक काम नहीं आने वाली है।छोटे देशों के यहां संगत और आकर्षण वाली रणनीति हो सकती है लेकिन यह कल्पना से परे हैं कि चीन,भारत और रूस जैसे बड़े देश अथवा यूरोप संघ जैसे विशाल जमावड़ा अपने को बहुत दिनों तक अमेरिका निगाहों में चढ़ने से बचाकर रख सके।
प्र:-अलकायदा क्या है?
उ. अलकायदा अंतरराष्ट्रीय विश्व में फैला एक आतंकवादी संगठन है।इसकी जड़े पाकिस्तान,तलाविया अफगानिस्तान आदि देशों तक फैली है।
प्र:-USA में MBA पाठ्यक्रम की शुरुआत कब हुई थी?
उ.1900 मे।
प्र:-इंडोनेशिया की राजधानी क्या है?
उ. जकार्ता।
प्र:-जापान ने अमेरिका के ‘पर्ल हर्बल’ पर हमला कब किया था?
उ.1941 मे।
प्र:-‘ऑपरेशन एंन्डूरिंग फ्रीडम’ से आप क्या समझते हैं?
उ. सन 1776 के बाद अमेरिका के इतिहास में काभी इतना बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ था जितना बड़ा 11 सितंबर 2001 को हुआ था।इस हमले ने संपूर्ण अमेरिकी को हिला कर रख दिया। इसमें ना केवल 3000 लोगों की मृत्यु हुई बल्कि लाखों डालर संपत्ति का भी नुकसान हुआ।
9/11 के जवाब में अमेरिका ने तुरंत जवाबी और भंयकर कार्यवाही की। अमेरिका ने आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध के अंग के रूप में एक ऑपरेशन चलाया जिसे ऑपरेशन एन्डयरिंग फ्रीडम के नाम से जाना गया।
इस ऑपरेशन के तहत अमेरिका इन सभी आतंकवादी संगठनों आदेशों को अपना निशाना बनाया जिन पर आतंकवादी हमले का शक था। वास्तव में यह अमेरिका द्वारा आतंकवादी के खिलाफ की गई सबसे बड़ी करवाई थी। अतः 9/11 ने अमेरिका जैसे देशों को आतंकवाद पर सोचने के लिए विवश कर दिया।
प्र:-ऑपरेशन इराकी फ्रीडम से आप क्या समझते हैं?
उ. 19 मार्च 2003 को अमेरिका ने ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के कूटनाम से इराक पर सैन्य हमला किया। अमेरिका के इस हमले को ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के नाम से जाना जाता है। अमेरिका ने इराक पर हमला इसका इराक के तेल भंडार पर नियंत्रण और इराक के अमेरिकी की मनपसंद सरकार कायम करने के लिए की। और इस हमले में लगभग 50,000 नागरिक मारे गए।
प्र:- विश्व में इंटरनेट की शुरुआत कब हुई थी?
उ.सन् 1950 मे।
प्र:-बैडंबैगन से आप क्या समझते हैं?
उ. सबसे ताकतवर देश के विरुद्ध जाने के बजाय उसके वर्चस्व तंत्र में रहते हुए अफसरों का फायदा उठाना कहीं उचित रणनीति होती है।इसी रणनीति को ‘बैंडवैगन’ अथवा जैसी बहे बयार पीठ तैसी कीजे की राजनीति कहते हैं।
MBA. (मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन)
PPP. (प्रचेंजिंग पावर रैरेटी)
आसियान. (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों (कासंगठन)
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