CBSE CLASS 12 History Chapter 1 (ईटे, मनके तथा अस्थियां) Most Important Questions Answers
CBSE Class 12th Important Question Answers
इस पोस्ट में क्लास 12th के इतिहास के पाठ 1 ईट मानके तथा अस्थियां के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है। जो इस वर्ष कक्षा 12 में है और जिनका एग्जाम आने वाले हैं।
अध्याय 1 - ईटे, मनके तथा अस्थियां
1 एक अंक वाले प्रश्न
प्र1.भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रथम डायरेक्टर जनरल कौन थे?
Ans.कनिंघम
प्र2.हड़प्पा सभ्यता के लोग किस धातु से परिचित नहीं थे?
Ans.लोहा
प्र3.मृतिको का टीला............. का शाब्दिक अर्थ है?
(1)हडप्पा (2)वृषभ
(3)मोहनजोदडो (4)दयाराम साहनी
Ans.मोहनजोदडो
प्र4.हड़प्पा किस नदी के तट पर स्थित है?
Ans.रावी नदी
प्र5. मोहनजोदड़ो किस नदी के तट पर स्थित है?
Ans.सिंधु नदी
प्र6. हड़प्पाई मुहरें........... पत्थर की बनाई जाती थी?
Ans.सेलखडी
प्र7.हड़प्पा लिपि को रहस्यमय क्यों कहा गया है।निम्नलिखित विकल्पों में से सही की पहचान कीजिए?
(1) यह चित्रात्मक और समरूप थी।
(2) यहां भाई से दाएं और लिखी जाती थी।
(3) पढे लिखे लोग इस लिपि को पढ़ने में समर्थ नहीं थे।
(4) यह लिखने की सामान्य दशा को दर्शाती है
Ans.यहां भाई से दाएं और लिखी जाती थी।
प्र8.जुते हुए खेतों के साक्ष्य कहां से प्राप्त हुए हैं।
Ans. राजस्थान के कालीबंगन
प्र.मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का सबसे पहले खोजा गया स्थल है (सही या गलत)
Ans. गलत
प्र9. हाजा पक्षी कोन था?
Ans. मोर
प्र10. मोहनजोदड़ो में लगभग कितने हुए थे?
Ans.700 लगभग
प्र11. ........... और.......... मैं पूरी बस्तियां किलेबंद थी?
1. राखीगढी और कालीबंगन
2. धोलावीरा और लोथल
3.मांडा और लोथल
4. इनमें से कोई नहीं
Ans. धोलावीरा और लोथल
प्र12. हड़प्पा सभ्यता की सबसे अनूठी विशेषताएं क्या थी?
Ans. जल निकास प्रणाली
प्र13.मोहनजोदड़ो में बस्तियां कितने हिस्से में विभाजित थी
Ans. दो
प्र14.मिट्टी के हाल के प्रतिरूप कहां से मिले थे?
Ans. गुजरात (लोथल)
प्र15.ओमान से क्या लाया जाता था?
Ans. ताम्बा
प्र16. हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी?
Ans.1921
प्र17. हड़प्पा सभ्यता की खोज का श्रेय किसे जाता है?
Ans. दयाराम साहनी
प्र.आरंभिक तथा परवर्ती हड़प्पा में अंतर स्पष्ट कीजिए?
Ans आरंभिक हड़प्पा:–सिंधु घाटी के क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता से पहले जो संस्कृतियां अस्तित्व में थी उसे आरंभिक हड़प्पा कहा गया था
परवर्ती हड़प्पा:-सिंधु घाटी के क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता के बाद जो संस्कृतियों अस्तित्व में थी उसे परवर्ती हड़प्पा कहा जाता था।
प्र.हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू शहरीकेंद्र का विकास था कैसे स्पष्ट कीजिए?
Ans.(i) यहां बस्तियां दो भागों में विभाजित थी। एक छोटा लेकिन ऊंचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया।
(ii) पुरातत्वविदो ने इन्हें दुर्गा और निचला शहर का नाम दिया है। दुर्ग की ऊंचाई का कारण यह था कि यहां की संरचनाएं कच्ची ईंटों के चबूतरो पर बनी थी दुर्ग को दीवार से घेरा गया था जिसका अर्थ है कि इसे निचले शहर से अलग किया गया था।
(iii) निचला शहर भी दीवारों से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊंचे चबूतरा पर बनाया गया था।जो नीम का कार्य करते थे।
प्र. हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशेषताओं में से एक नियोजित जल विकास प्रणाली थी। कैसे?
Ans.हड़प्पा सभ्यता में सड़कों तथा गलियों को एक 'ग्रिङ' पद्धति पर बसाया गया था और ये एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी।
(ii)ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों को बनाया गया था और फिर उसके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था।
(iii) यदि घरों के गंदे पानी को गलियों की नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था।
(iv) नालियों की ऊँचाई कम से कम 4-5 फीट होती थी
(v) नालियों को पक्के पलस्तर से चीनाई की गई थी 'और ऊपर से ढका भी गया था ताकि समय-समय पर नालियों को साफ किया जा सकें।
प्र.हड़प्पाई समाज में जटिल फैसले लेने और उन्हें कार्यान्वित करने के संकेत मिलते हैं।" इस कथन के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि क्या हड़प्पाई समाज में शासकों का शासन रहा होगा?
Ans. हड़प्पाई समाज में जटिल फैसले लेने और उन्हें क्रियान्वित करने के संकेत मिलते हैं।
1. मोहनजोदाड़ों में मिले एक विशाल भवन को एक प्रासाद की संज्ञा दी परन्तु इससे संबन्धित कोई भव्य वस्तु नहीं मिली है। एक पत्थर की मूर्ति को 'पुरोहित राजा' की संज्ञा दी गई है। और यह नाम आज भी प्रचलित है।
(ii)कुछ पुरातत्वविद् इस मत के हैं कि हड़प्पा समाज में शासक नहीं थे तथा सभी की स्थिति समान थी। कुछ पुरातत्वविद् यह मानते है कि यहां कोई एक ही नहीं बल्कि कई शासक थे जैसे मोहनजोदाड़ों हड़प्पा आदि के अपने अलग अलग राजा होते थे।
(iii) इतिहासकार यह भी तर्क देते हैं कि यह एक ही राज्य था जैसा कि पुरावस्तुओं में समानताओं, नियोजित बस्तियों के साक्ष्यों ईंटों के आकार में निश्चित अनुपात तथा बस्तियों के कच्चे माल के स्रोतों के समीप संथापित होने से यह स्पष्ट है।
(iV)अभी तक की स्थिति में अन्तिम परिकल्पना सबसे युत्तिसंगत प्रतीत होती है क्योंकि यह कदाचित सम्भव नही लगता कि पूरे के पूरे समुदायों द्वारा इकठ्ठे ऐसे जटिल निर्णय लिए और क्रियान्क्ति किये जाते होगे।
(v)हडप्पा पुरावस्तुओं मे आसाधरण एकरूपता मिलती है।
(vi). ईटे जिनका उत्पादन स्पष्ट रूप से किसी एक केंद्र पर नहीं होता था, जम्मू से गुजरात तक एक अनुपात में थी। ईंटे बनाने और विशाल दिवारों तथा चबूतरों के निर्माण के लिए श्रम संगठित किया गया था।
प्र.कनिंघम का भ्रम?
(i) कनिंघम की मुख्य रुचि प्रारंभिक ऐतिहासिक और बाद के काल के पुरातत्व में थी। कनिंघम ने उस समय-सीमा के भीतर हड़प्पा की मुहरें लगाने की कोशिश की, जिससे वह परिचित था।
(ii) हड़प्पा की मोहरों को समझने में असफल
(iii) उन्हें लगा कि हड़प्पा सभ्यता कोई बड़ी सभ्यता नहीं बल्कि छोटी सी सभ्यता है ।
(iv) कनिंघम अपने सर्वेक्षणों के दौरान पाए गए शिलालेखों का संग्रह, दस्तावेजीकरण और अनुवाद भी किया। जब उन्होंने साइटों की खुदाई की तो उन्हें ऐसी कलाकृतियाँ मिलीं जिनके बारे में उनका मानना था कि उनका सांस्कृतिक मूल्य था।
(v) हड़प्पा जैसी साइट जो चीनी तीर्थयात्रियों के यात्रा कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी, उनकी जांच के ढांचे में बहुत अच्छी तरह से फिट नहीं थी। कनिंघम को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि हड़प्पा की कलाकृतियाँ कितनी पुरानी थीं।
प्र.हड़प्पा सभ्यता में प्रचलित लिपि को एक रहस्य में लिपि क्यों कहा जाता है?
Ans. (i) यह लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकती है।
(ii) यह लिपि पूर्ण रूप से वर्णमालीय नहीं है।
(iii) इसमें चिन्हो की संख्या कहीं अधिक है लगभग 375-400 के बीच।
(iv) इस लिपि में दी और से बाई और लिखी थी।
प्र. हड़प्पा सभ्यता के लोग जीवन विर्वाह के लिए कौन- कौन-से तरीके अपनाते थे? स्पष्ट कीजिए।
Ans.(i) पेड़-पौधों से प्राप्त उत्पाद :- हड़प्पा सभ्यता के निवासी कई प्रकार के पेड़ पौधों से प्राप्त उत्पाद और जानवरों जिसमे मछली शामिल है से प्राप्त भोजन करते थे।
(ii) अनाज का प्रयोग :- जले अनाज के दानों तथा बीजों की खोज से पुरातात्विद आहार संबंधी आदतों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में सफल हो पाए है। जिससे पता चलता है कि हड़प्पा वासी कृषि क्रिया से परिचित थे और कृषि उत्पादन का प्रयोग वे अपने भोज्य पदार्थ के रूप में करते थे जो उनके निर्वाह तरीकों मे से एक था।
(iii)विभिन्न प्रकार के अनाज के दानों का प्रयोग:- हड़प्पा वासी निर्वाह के लिए विभिन्न प्रकार के अनाज के दानों का प्रयोग करते थे। हाप्पा स्थालो से मिले अनाज के दानों में गेंहूँ, जौ, दाल, सफेद चना तथा तिल शामिल है। बाजरे के दाने गुजरात के स्थलों से प्राप्त हुए थे| चावल के दाने अपेक्षाकृत कम पाए गए थे।
iv पालतू और, जंगली जानवरों से प्राप्त मांस :- हड़प्पा वासी निर्वाह के लिए अपने भोज्य पदार्थ के रूप में जानवसे के मांस मुख्य रूप से करते थे हड़या स्थलों से मिलि जानवरों की हड्डियाँ में मवेशियो, भेड़, बकरी, भैंस, सुअर, हिरण घड़ियाल की हड्डियों शामिल थे।
अतः हड़प्पा वासी स्वयं इन जानवरों का शिकार करते थे अथवा आखेटक समुदाय से इनका मांस प्राप्त करते थे। मछनी तथा पक्षियों की एड्डियाँ भी मिली है।
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