कांग्रेस प्रणाली:चुनौतियां और पुनर्स्थापना CLASS 12 POL SCIENCE SECOND BOOK CHAPTER 5|| NOTES IN HINDI
Q.नेहरू जी की मृत्यु कब हुई थी?
Ans.मई 1964 में।
Q.सन् 1960 के दशक को खतरनाक दशक क्यों कहा जाता है?
Ans. सन 1960 के दशक को खतरनाक दशक इसलिय कहा जाता है क्योंकि गरीबी गैर बराबरी सांप्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन आदि के सवाल अभी अनसुलझे थे।
Q.सुन 1964 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष कौन थे?
Ans.के कामराज
Q. शास्त्री किसके लिए प्रसिद्ध थे ?
Ans.शास्त्री अपनी सादगी और सिद्धांत निष्ठा के लिए प्रसिद्ध थे।
Q. शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री कब तक बने रहे?
Ans.शास्त्री जी 1964 से 1966 तक भारत के प्रधानमंत्री बने रहे।
Q.शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए किंन दो चुनौतियो का सामना किया?
1)भारत, चीन युद्द के कारण पैदा हुई आर्थिक कठिनाइयो से उबरने की।
2) दूसरी चुनौती मानसून की असफलता से देश में सूखे की स्थिति पर काबू पाने की थी।
Q.“जय जवान- जय किसान " का नारा किसने दिया था?
Ans.लाल बहादुर शास्त्री।
Q.लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कम हुई थी?
Ans.10 जनवरी 1966 में।
Q.उज्बेकिस्तान की राजधानी क्या है?
Ans.ताशकंद
Q.इंदिरा गाँधी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष कब बनी थीं?
Ans.सन 1958 में।
Q.गरीबी हटाओ का नारा किसने दिया था?
Ans.श्रीमति इंदिरा गाँधी ने ।
Q.इंदिरा गाँधी की मृत्यु कब हुई थी ?
Ans. 31 अक्तूबर 1984 की।
Q.गैर- कांग्रेसवाद से आप क्या समझते है?
Ans. राममनोहर लोहिया ने सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने का आहवान करते हुए कहा कि कांग्रेस शासन अलोकतांत्रिक है इसलिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ आना जरूरी है। इसी को गैर- कोकोसवाद की संज्ञा दी गई।
Q. 'राजनीतिक भूकंप ’ से आप क्या सनसते है?
Ans.सन 1967 के चौथे आम चुनाव के परिणामो से कांग्रेस को राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर गहरा धक्का लगा। इसी घटना को अनेक राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने राजनीतिक भूकंप की संज्ञा दी थी।
Q.'गठबंधन से आप क्या समझते हैं?
Ans.जब किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो वो पार्टी व दल अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाती है जिसे गठबंधन सरकार कहते हैं।
Q. सन 1967 में पंजाब में बनी संयुक्त विधायक दल को सरकार को क्या कहा गया गया?
Ans.पॉपुलर यूनाइटेड फ्रंट ।
Q.‘दल बदल’से आप क्या समझते है?
Ans.जब कोई जनप्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिहन को लेकर चुनाव लड़े और जीत जाए और चुनाव जीतने के बाद इस दल को छोड़ कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाए, तो इसे दल बदल कहते हैं।
Q. ‘आया राम- गचा राम’ का क्या अर्थ है?
Ans.जब किसी राजनीतिक दल का नेता तुरंत- फुरंत पार्टी छोड़कर दूसरी तीसरी पार्टी में शामिल हो जाता है। तो इसे आया राम - गया राम के नाम से जाना जाता है। यह भारतीय राजनीति का आज फैशन बन गया।
Q.भारत में स्कूली बच्चों को दोपहर का भोजन देने की योजना लागू करने का श्रेय किसे जाता?
Ans. के कामराज को।
Q.कामराज योजना क्या था?
Ans.जब उन्होंने सन 1963 में यह प्रस्ताव रखा कि सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि अपेक्षाकृत युवा पार्टी कार्यकर्ता कमान सँभाल सके। तो यह प्रस्ताव 'कामराज योजना, के नाम से मशहूर हुआ।
Q. सिंडिकेट क्या था?
Ans.सिंडिकेट कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओ का एक समूह था।इस समूह के नेताओं का पार्टी के संगठन पर नियांण थ।
Q.दस-सूत्री कार्यक्रम क्या था ? और कार्यक्रम में कौन से प्रावधान थे?
Ans.कांग्रेस पार्टी ने सन 1976 में विकास के लिए एक योजना बनाई थी जिसे दम सूत्री कार्यक्रम के नाम से जाना गया।
इस कार्यक्रम में बैको पर सामाजिक नियंत्रण आम बीमा के राष्ट्रीयकरण शहरी संपदा और आय के परिसीमन, खाद्यान्न का सरकारी वितरण, भूमि सुधार तथा भूमि सुधार तथा ग्रामीण ग को आवासीय भूखंड देने के प्रावधान शामिल थे।
Q.प्रिवीपर्स से आप क्या। समझते है?
Ans. देशी रियासतों के विलय के समय सरकार द्वारा राजाओं को दिया गया आश्वासन की रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्मेंचित मात्र में निजी सम्पदा रखने का अधिकार होगा व सरकार उन्हें कुछ विशेष मत देगी। इसी को प्रिवीपर्स काहाँ गया।
Q. प्रिवीपर्स को सरकार ने कब समाप्त किया?
Ane.भारत सरकार ने सन् 1971 मे 26वे संशोधन दारा प्रिवीपर्स को समाप्त किया।
Q.कांग्रेस (आर) और कांग्रेस (ओ) में अंतर स्पष्ट कीजिए ?
कांग्रेस (ओ.)
सन 1969 के नवंबर तक सिंडिकेट की अगुवाई वाले कांग्रेसी खेमे को कांग्रेस (ओ) कहा जाता है। जिसे पुरानी कांग्रेस भी कहा जाता है।
कांग्रेस (आर)
इंजिरा गाँधी की अगुवाई वाले कांग्रेसी खेमे को कांग्रेस (आर) कांग्रेस (रिक्विजिनिस्ट) कहते हैं। जिसे नई कांग्रेस करने हैं।
Q.इंदिरा हटाओ का नारा किसने दिया था?
Ans.विपक्षी दलो ने।
Q.आप कैसे कह सकते हैं कि पाँचवे आम चुनाव में इंदिरा ने कांग्रेस को पुनस्थपिना करने का काम किया?
Ans. हाँ सन 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इंदिरा गाँधी ने पुनस्थपिना करने का काम किया क्योंकि कांग्रेस कासन 1969 में विभाजन हो गया और और कांग्रेस दो भाग में विभाजित हो गया एक भाग कांग्रेस का (ओ) कहलाया जिसमें के कामराज और अतुलय) घोष जैसे नेता थे। और दूसरी तरफ
कांग्रेस (आर) था जिसकी अगुवाई इंदिरा कर रही थी । इंदिरा को के कामराज की तुलना में प्रशासनिक व राजनीति का कम अनुभव था, ऐसे में विपक्षी दलों को लगा कांगीस (आर) बहुत जल्द ही खत्म हो जाएगी। परंतु इंदिरा ने तो कुछ और ही सोच रखा - जिसका विपक्षी दलों को अंदाज़ा भी नही था।
* इंदिरा द्वारा कांग्रेस पुर्नस्थापना के प्रयास :-
(1) गरीबी हटाओ का नारा
(ⅱ) प्रिवीपर्स की समाप्ति
(ⅲ) बैंकों का राष्ट्रीयकरण
भूमि सुधार और हदबंदी विधेयक
() वंचितो दलितों, अल्पसंख्यको महिला व बेरोजगारों की सहायता जैसे तमाम कार्यक्रम चलाए।
गरीबी हटाओ हटाओ का नारा :- गरीबी हटाओ, के नारे से इंदिरा गांधी ने वंचित तबकों खासकर भूमिहीन किसान, दलित और आदिवासी अल्पसंख्यक, माहिला और बेरोज़गार नौजवानों के बीच अपने समर्थन का आधार तैयार करने की कोशिश की प्रेरंतु 'गरीबी हटाओर का नारा और इससे जुड़ा हुआ कार्यक्रम इंदिरा गाँधी की राजनीतिक रणनीति थी।
पाँचवें आम चुनाव का परिणाम - पाँचवे लोकसभा
चुनाव के नतीजे बहुत नाटकीय थे, क्योंकि कांग्रेस (आर) और CPI के गठबंधन को इस जितने वोट या सीटे मिलीं, उतनी काग्रेस को पिछले चार आम चुनावों में कभी हासिल न कर सकी थी। इस गठबंधन को लोकसभा कि 375 सीटें मिली और इसने कुल 484 प्रतिशत वोट हासिल किए। अकेले इंदिरा गाँधी की सरकार व पार्टी (आर) ने 352 सीटें और 44 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।अत. हम इन चुनावी परिणामों से देखें तो वास्तव में सन सन 1970 के बाद इंदिरा ने कांग्रेस को जीवित व पुनस्र्थापना करने का काम। किया।
Q.कांग्रेस पार्टी किन मसलों को लेकर 1969 में टूट की शिकार हुई?
Ans. कांग्रेस पार्टी निम्न मसलों को लेकर 1969 में टूट की शिकार हुई परंतु उनमें कुछ महत्वपूर्ण थी।
1)सिंडिकेट और इंदिरा गाँधी के बीच गुटबाजी
2)और दूसरा मुख्य कारण था राष्ट्रपति का चुनाव
सिंडिकेट और इंदिरा गाँधी के बीच की गुटबाजी सन् 1969 में राष्ट्रपति पद के चुनाव के समय खुलकर सामने आ गई। तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण उस साल राष्ट्रपति का पद खाली था।
इंदिरा गाँधी की असहमति के बावजूद उस साल सिंडिकेट ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष-एन. संजीव रेडी को कांग्रेस पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करवाने में सफलता पाई। एन संजीव रेड्डी से इंदिरा गाँधी की बहुत दिनों से राजनीतिक अनबन चली आ रही थी।
• ऐसे में इंदिरा ने हार नहीं मानी। उन्होंने तत्कालीन उपराष्ट्रपति (वी.वी. गिरि) को बढ़ावा दिया कि वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति पद के लिए अपनी नामांकन भरे दोनो गुट चाहते थे कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में ताकत को आज़मा ही लिया जाए।
तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष एस. निजलिंगप्पा "ने 'हिप(आदेश) जारी किया कि सभी 'कांग्रेसी सांसद और विधायक पार्टी के आधिकारिक 'संजीव रेड्डी को वोट डालें। दूसरी ओर इंदिरा
समर्थक, गुट ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की विशेष बैठक आयोजित करने की याचना इच्छा की, लेकिन उनकी यह इच्छा स्वीकार नहीं की गई।
वी. वी गिरि का छपे तौर पर समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने खुले आम अंतरात्मा की आवाज पर वोट डालने को कहा इसका मतलबा यह कि कांग्रेस के सांसद और विधायक अपनी मनमर्जी से किसी भी उम्मीदवार को वोट डाल सकते हैं।
• आखिरकर वी. वी. गिरि जीत गए। और कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार की हार से पार्टी का टूटना, तय हो गया। कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा गांधी को निष्कासित कर दिया। पार्टी से निष्कासित प्रधानमंत्री इंदिरा ने कहा कि उनकी ही पार्टी असली कांग्रेस है। और कांग्रेस दो भागों में विभाजित। हो गया।एक भाग कांग्रेस (ओ) और दूसरा भाग कांग्रेस (आर)कहलाया।
Q.भारत के राजनीतिक इतिहास और चुनावी इतिहास में सन 1967 के साल को अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव क्यों माना जाता है स्पष्ट कीजिए।
Ans. भारत के राजनीतिक और चुनावी इतिहास में सन् 1967 के साल निम्न कारणों से महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है।
1)चौथे आम चुनाव तक देश में कई बड़े बदलाव हो चुके थे । दो प्रधानमंत्रियों का जल्दी -२ देहावसान हुआ और नए प्रधानमंत्री •को पद संभाले हुए अभी पूरे एक साल का अरसा भी नहीं गुजरा था। और इस प्रधानमंत्री को राजनीति के लिहाज से कम अनुभवी माना जा रहा था।
2) गंभीर आर्थिक संकट :-दूसरा इस काल को इसलिए भी महत्वपूर्ण काल माना जा सकता है क्योंकि इस अरसे में देश गंभीर आर्थिक संकट में था।मानसून की असफलता व्यापक सूखा, खेती की पैदावार में गिरावट, गंभीर- खाद्य संकट, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी।
औद्योगिक उत्पादन और नियति में गिरावट के साथ साथ सैन्य खर्चे में भारी बढ़ोतरीही हुई थी।
3.) नियोजन और आर्थिक विकास के संसाधनों को सैन्य - मद: में लगना पडा इन सारी बातों से देश कि आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी। आर्थिक स्थिति में खाराबी के कारण कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ।
4)लोग आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि खाधान्न कि कमि बढ़ती हुई बेरोजगारी और देश की दयनीय आर्थिक स्थिति को लेकर विरोध पर उतर आए। देश में अक्सर बंद और हड़ताल की स्थिति रहने लगी। सरकार ने इसे कानून और व्यवस्था की समस्या माना न की जनता की बदहाली की अभिव्यक्ति।
5)इससे लोगों की नाराजगी बढ़ी और, जन विरोध ने ज्यादा उग्त रूप धारण किया और उसके बाद साम्यवादी और समाजवादी पार्टी ने समानता के लिए संघर्ष छेड़ दिया।व्यापक छेड़ दिया। देता। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से अलग हुए साम्यवादियों के समूह ने माक्र्सवादी लेनिनवादी भारतीय कम्युनिस्र पार्टी वनायी और सशस्त्र कृषक विद्रोह का नेतृत्व किया।
6)इस पार्टी ने किसानों के बीच विरोध को संगठित किया। और इस अवधि में गंभीर सेना व पुलिस कर्मचारियों से सरकार के अनैतिक और असंवैधानिक आदेशो का पालन न करने का आह्वान किया। तथा विपक्षी दलों ने जय प्रकाश की अगुवाई में इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग कर डाली जिसके बाद इंदिरा आपातकाल की घोषणा के लिए मजबूर होना पड़ामज़बूर होना पड़ा।
न्यायिक कारण जब सरकार ने आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों में कटौती की और नीति निर्देशक तत्वों को लागू किया तो कार्यकालिका व न्यायपालिका से सम्बंधों में तनाव बढ़ गया। सन् 1973 में सरकार ने तीन वरिष्ठ न्यायधीशों की अनदेखी करके न्यायमूर्ति ए. एन. रे को मुख्य न्यायधीश बनाया गया। और 12 जून 1975 के दिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायधीश जनमोहन लाल सिन्हा ने एक फैसला सुनाया।इस फैसले में उन्होंने लोकसभा के लिए इंदिरा गाँधी के निर्वाचन को अवैधानिक करार दिया। 25 जून 1975 को इंदिरा गाँधी ने देश में अन्दरूनी गड़बड़ी की आशंका के आधार पर आपातकाल (अनुच्छेद 352)लागू कर दिया।
Q.25 जून 1975 के आपातकाल के मुख्य परिणाम क्या थे?
Ans. 25 जून 1975 के आपातकाल के मुख्य परिणाम निम्न थे।
1.) धरना प्रदर्शन व हड़ताल पर रोक लगा दी गई। अनेक विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। राजनीतिक माहौल में तनाव भरा एक गहरा सन्नाटा छा गया । सरकार ने समाचार पत्रो पर प्रेस सेंसरशिप लाग दी। लगा दी। समाचार पत्रों को कहा गया कि कुछ भी छापने से पहने, सरकार अनुमति लेना जरूरी है।
2) सामाजिक और सांप्रदायिक गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर सरकार ने (आरएसएस) राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और जमात-ए- इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया गया । इसके अलावा सरकार ने निवारक नज़रबंदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया। इस प्रावधान के अन्तर्गत लोगों को गिरफ्तार इसलिए नहीं किया जाता कि उन्होंने कोई अपराध किया है बल्कि इसके विपरीत, इस सावधान. के अंतर्गत लोगो को इस आशंका से गिरफ्तार किया जाता हैं कि ने कोई कर है। अपराध कर सकते है।
3:) आपातकाल की मुखालफत और प्रतिरोध कि कई घटनाएँ घटीं। पहली लहर में जो राजनीतिक कार्यकर्ता गिरफ्तारी से बच गए ये वे भूमिगत हो गए और उन्होंने सरकार के खिलाफ मुहिम चलायी। 'इडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन जैसे अखबार ने प्रेस पर लगी सेंसरशिप विरोध किया। जिन समाचारों को छापने से रोका जाता था उनकोमा जागह थे किस्म के हिन्दू-मुस्लिम दंगे भी हुए। आज़ादी के बाद से अब तक इत्तने गंभीर सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए थे। अत: इन सभी कारणों के कारण भारत के राजनीतिक व चुनावी इतिहास में सन् 1967 के काल को महत्वपूर्ण काल माना जाता है।
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