Class 12th History Chapter 1 Notes in Hindi || ईंट, मनके तथा अस्थियां : हड़प्पा सभ्यता||

12th chapter 1 history ईंट, मनके तथा अस्थियां : हड़प्पा सभ्यता 📒के important notes देखेंगे और यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए important है जो 12th क्
हेलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है। इस ब्लॉक में हम क्लास 12th chapter 1 history  ईंट, मनके तथा अस्थियां : हड़प्पा सभ्यता 📒के important notes देखेंगे और यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए important है जो 12th क्लास में है।🙏


सिंधु घाटी सभ्यता:

सिंधु घाटी सभ्यता एक कास्ययुगीन सभ्यता थी इस सभ्यता का कल 2350 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व तक मानी जाती हैं।

सिंधु घाटी सभ्यताकी मख्य विशेषता-

सिंधु घाटी सभ्यता की मुख्य विशेषता 'नगरनियोजन' व्यवस्था थी क्योंकि इस घाटी में जिस प्रकार नगरों का विकास हुआ था वह आज की नगर व्यवस्था से मिलती-जुलती थी।

•सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था और मुख्य फसल गेहूं और जौ था।

•सिंधु घाटी की लिपि को लेकर पुरातत्व में एक मत नहीं है, क्योंकि कोई प्राकृतिक बताते हैं तो कुछ देवनागरी परंतु अधिकतर पुरातत्विकों का मानना है कि सिंधु घाटी की लिपि भाव चित्रात्मक थी।
               सिंधु घाटी सभ्यता की लपि
प्राकृतिकदेवनागरीभाव चित्रात्मक

हड़प्पा सभ्यता की खुदाई सन 1921 मैं प्रमुख भारतीय पुरातात्वविक दयाराम साहनी के देख रेख में की गई थी इसलिए हड़प्पा सभ्यता की खोज का श्रेय दयाराम साहनी को जाता है।

• हडप्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता का नाम जाने मॉर्शल ने दिया था।

• हड़प्पा सभ्यता का दोवा सर्वेक्षण भारत के पुरातात्वरि सर्वेक्षण के पहले डॉयरेक्टर 'जनरल कनिंघम' ने दि था।

• हड़प्पा की सर्वप्रथम खोज कनिंघम ने ही की थी।

• सिंधु घाटी सभ्यता का कुल हक्षेत्रफल 12,99,500 km है। और इसका आकार त्रिभुजाकार था । सिंधु सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह 'लोथल' था जो गुजरात में 'भोगवा' नी के तल पर स्थित था।

• हड़प्पा को मेसोपोटामिया का उपनिवेश व्हीलर ने कहा था।

• मोहनजोदड़ो की खोज सन् 1922 में राखदास बनर्जी ने की थी मोहनजोदड़ो को अधुनिक पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है 'मृतकों का टीला' यह सिंधु नदी के तट पर स्थित है।

मोहनजोदड़ो से प्राप्त प्रमुख स्मारक स्नानागार थी। जिसकी लंबाई 47.71m और चौड़ाई 15.23 थी।

• सिंधु घाटी के लोग मुख्य रूप से मातृ‌देवी की पूजा करते थे इसका मुख्य वृक्ष पीपल था जिसकी वे पूजा
भी करते थे।

• मारत का सबसे बड़ा हड़प्पाई नगर 'धोलावीरा' था जिसका अर्थ सफेद कुआं होता है।

•  हड़प्पा के लोगों का मुख्य पशु कुबर वाला बैल था।।

•  हड्प्पा वासियों का प्रमुख खेल पाया था।

Q हड़प्पा अथवा सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ठ पुनरावस्तु क्या थी, और यह किस नामक पत्थर से बनाई जाती थी?

* विशिष्ठ पुरावस्तु :- विशिष्ठ पुरावस्तुओं में निम्न वस्तुओं को शामिल किए जाते थे :-
i) मुहरे 

ⅱ) मनके

iii) वाट

iv) पत्थर के फलक

v) पकी हुई ईंटे 

ये वस्तुएँ अफगानिस्तान, जम्मू, बलुचिस्तान तथा गुजरात जैसे क्षेत्रों में मिली जो एक-दूसरे से लंबी दूरी पर स्थित है।

Q. पुरातात्विक संस्कृति शब्द का प्रयोग किसके लिए करते थे?
Ans. पुरातात्विक संस्कृति शब्द का प्रयोग पुरावस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते थे जो एक विशिष्ठ शैली के होते थे और सामान्यतः एक साथ, एक निश्चित विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा कालखंड से संबंधित होते हैं।

Q. आरंभिक तथा परवर्ती हड़प्पा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
Ans. आरंभिक हड्‌प्पा :– सिंधु घाटी के क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता से पहले जो संस्कृतियाँ अस्तित्व में थी उसे आरंभिक हड़प्पा कहा गया था।

 परवर्ती हडप्पा :- सिंधु घाटी के क्षेत्र में हड़‌प्पा सभ्यता के बाद जो संस्कृतियाँ अस्तित्व में थी उसे परवर्ती हडप्पा कहा जाता था।
Ans हड़प्पा सभ्यता की सबसे विशिष्ठ पुरावस्तु हड़प्पाई मुहर थी जो सेलखड़ी नामक पत्थर से बनाई जाती थी।

Q. हड़प्पा मुहर की कोई दो विशेषता बताइए ।

Ans. (i) इन मुहरों पर सामान्य रूप से जानवरों के चित्र उत्कीर्णित होते हैं।

(ii) इसकी लिपि रहस्यमयी थी जिसको अभी तक पढ़ा नही जा सका है।

* विशिष्ठ पुयवस्तु :- विशिष्ठ पुरावस्तु‌ओं में निम्न वस्तुओं को शामिल किए जाते थे :-

मुहर

मनके

वाट

पत्थर के फलक

 पकी हुई ईंटें 

ये वस्तुएँ अफगानिस्तान, जम्मू, बलु‌चिस्तान तथा गुजरात जैसे क्षेत्रों में मिली जो एक-दूसरे से लंबी दूरी पर स्थित है।

Ans.पुरातात्विक संस्कृति शब्द का प्रयोग पुरावस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते थे जो एक विशिष्ठ शैली के होते थे और सामान्यतः एक साथ, एक निश्चित विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा कालखंड से संबंधित होते हैं।

Qआरंभिक तथा परवर्ती हड़प्पा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
Ans. आरंभिक हड़प्पा:- सिंधु घाटी के क्षेत्र में हड़‌प्पा सभ्यता से पहले जो संस्कृतियाँ अस्तित्व में थी उसे आरंभिक हड़प्पा कहा गया था।

परवर्ती हड़प्पा :- सिंधु घाटी के क्षेत्र में हड़‌प्पा सभ्यता के बाद जो संस्कृतियाँ अस्तित्व में थी उसे परवर्ती हडप्पा कहा जाता था।

Q.हडप्पा सभ्यता के लोग जीवन निर्वाह के लिए कौन- कौन-से तरीके अपनाते थे? स्पष्ट कीजिए।
Ans.पेड़-पौधों से प्राप्त उत्पाद: हड़प्पा सभ्यता के निवासी कई प्रकार के पेड़ पौधों से प्राप्त उत्पाद और जानवरों जिसमें मछली शामिल हैं से प्राप्त भोजन करते थे।

ii) अनाज का प्रयोग :- जले अजाण के दोनों तयां बीजों की खोज से पुरातात्विद आहार संबंधी आदतों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में सफल हो पाए है। जिससे पता चलता है कि हडप्पा वासी कृषि क्रिया से परिचित थे और कृषि उत्पादन का प्रयोग वे अपने भोज्य पदार्थ के रूप में करते थे जो उनके निर्वाह तरीकों में से एक था।

iii)  विभिन्न प्रकार के अनाज के दानों का प्रयोग :- हड़प्पा वासी निर्वाह के लिए विभिन्न प्रकार के अनाज के दमो का प्रयोग करते थे। हड़‌प्पा स्थलो से मिले अनाज के दानों में में गेंहूं, जौ, दाल, सफेद चना तथा तिल शामिल है। बाजरे के दाने गुजरात के स्थलों से प्राप्त हुए थे। चावल के दाने अपेक्षाकृत कम पाए गए थे।

iv) पालतू और जंगली जानवरों से प्राप्त सांस : हड़प्पा वासी निर्वाह के लिए अपने भोज्य पदार्थ के रूप में जानवरों के मांस मुख्य रूप से करते थे हड़प्पा स्थलों से मिले जानवरों की हड्डियों में मवेशियों, भेड़, बकरी, गैस, सुअर, हिरण, घड़ि‌याल की हड्डियाँ शामिल थे। अतः हड़प्पा वासी स्वयं इन जानवरों का शिकार करते थे अथवा आखैटक समुदाय से इनका मांस प्राप्त करते थे। मछली क्या पक्षियों की हड्डियाँ भी मिली है।

Q. हड़प्पा वासियों द्वारा कृषि करने के लिए अपनाई गई कृषि प्रौद्योगिकी' का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए ।
Ans. हड़प्पा वासी खेतों को जोतने के लिए कुबर वाला बैल और हल का प्रयोग करते थे।

ⅱ) हड्प्या वासी खेत में हल रेखाओं के दो समूह एक दूसरे को समकोण पर काटते हुए विधमान थे जो दर्शति है कि एक साथ दो-दो अलग-अलग फसलें उगाई जाती थी।

ⅱi)पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता हो। इसके अतिरिक्त धौलावीरा (गुजरात) में मिले जलाशयों का प्रयोग संभवतः कृषि के लिए जल संचयन हेतु किया जाता था।

iv).हड़प्पा वासी के लोग फसलों के कटार्ई के लिए लकड़ी व लोहे के औज़ारों का प्रयोग करते थे। 


* अवतल चक्किायों :- अवतल चक्कियाँ हड़प्पा सभ्यता में अनाज पीसने के लिए प्रयुक्त एक मात्र सांधन थी। ये चक्कियां कठोर कंकरीले, अग्निज अथवा बलुआ पत्थर से निर्मित होती थी।

* अवतल चक्कियों की विशेषता :- इन चक्कियों के तल सामान्यतः उतल है, निश्चित रूप से इन्हें जमीन में अथवा मिट्टी में जमाकर रखा जाता होगा जिससे इन्हे हिलने से रोका जा सके।

* अवतल चक्कियों के प्रकार :- हड़‌प्पा सभ्यता में मुख्य रूप से दो प्रकार की चक्कियाँ मिली थी ?

1) एक वे है जिसपर एक दूसरा छोटा पत्थर आगे-पीछे चलाया जाता था, जिससे निचला पत्थर खोखला हो गया था।

दूसरी वे हैं जिसका प्रयोग संभवतः केवल सालन या तरी बनाने के लिए जड़ी-बूटियों तथा मसालों को कूटने के लिए किया जाता था।

Q. हड़‌प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू शहरीकेन्द्रों का विकास था। कैसे ? स्पार कीजिए।
Ans.) मोहनजोद‌ड़ो सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल है, परंतु सबसे पहले खोजा गया शहर । स्थल हड़प्पा था। यहाँ बस्तिी दो भागों में विभाजित है एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया था दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। पुरातत्वविदों ने इन्हें क्रमशः दुर्ग और निचल शब्द का नाम दिया है।

ii) दुर्ग की ऊंबाई का कारण यह था कि यहाँ की • संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरे पर बनी थी। दुर्ग को दीवार से घेरा गया था जिसका अर्थ है कि इसे नीचले शहर से अलग किया गया था।

iii) निचला शहर को भी दीवार से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था जो नींव का कार्य करते थे अनुमान लगाया गया है कि। यदि एक श्रमिक प्रतिदिन एक धनीय मीटर मिट्टी ढोता होगा, तो मात्र आधारों को बनाने के लिए ही 40 लाख श्रम दिवसों अर्थात बहुत बड़े पैमाने पर श्रम की आवश्यकता पड़ी बेगी।

iv) एक बार चबूतरों के यथास्थान बनाने के बाद शहर का साय भवन निर्माण कार्य चबुतरों पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित था। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया जाता था और उसके अनुसार। अन्य कार्य।

Q. हड़प्पा स्थलों से मिले ईंटों की मुख्य विशेषता क्या थी?
Ans.ईवटो को धूप में सुखाकर अथवा भट्टी में पकाकर बनाई जाती थी।

ⅱ) यह एक निश्चित अनुपात में होती थी, जहाँ लंबाई और चौड़ाई क्रमशः चार गुणी और दो गुणी होती थी।

Q. हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशिष्ठताओं में से एक ध्यानपूर्वक नियोजित जल विकास प्रणाली थी। कैसे?
Ans. हड़प्पा सभ्यता में सड़कों तथा गलियों को एक 'ग्रिड' पद्धति पर बसाया गया था और ये एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी।

और चौड़ाई क्रमशः चार रागी और दोगुणी होती थी।

Q.हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशिष्ठताओं में से एक ध्यानपूर्वक नियोजित जल विकास प्रणाली थी। कैसे?
Ans.ⅰ) हड़प्पा सभ्यता से सड़कों तथा गलियों को एक 'ग्रिड' पद्धति पर बनाया गया था और ये एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी।

ii) ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों को बनाया गया था और फिर उसके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था।

iii. यदि घरों के गंदे पानी को गलियों की नालियों से जोड़ता था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था।

iv) नालियों की ऊँचाई कम से कम 4-5 फीट होती थी

 नालियों को पक्के पलसत्तर से पीनाई की गई थी और ऊपर से ढका भी गया था ताकि समय-समय पर नालियों को साफ किया जा सकें।

Q. किस प्रकार मोहनजोदड़ो का निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। कैसे ? 

Ans.इसमें से कई भवन एक आँमन पर केन्द्रित होते थे जिसके चारो ओर कमरे बने होते थे सममवतः आँगन खाना पकने और कताई करने जैसे गतिविधियों का केंद्र था, खास तौर पर गर्म और शुष्क मौसम सम में।

ii) वहाँ का एक अन्य रोचक पहलू लोगों द्वारा अपनी एकांतत को दिया जाने वाल महत्व था भूमि तल पर बनी दीवारों में खिड़‌किया नही थी। इसके अतिरिक्त मुख्य द्वार से आंतरिक भाग अथवा आगन का सीधा अवलोकन नहीं होता था।

iii)हर घर का ईटो के फ़र्श से बना अपना एक स्नानघर होता था। जिसकी नालियां दीवार के माध्यम से जुड़ी हुई थी कुछ घरों में  दू‌सरे तल वा छत पर जाने के लिए सीढ़ि‌यों के अवशेष मिले थे।

iv) कई आवासों में कुएँ थे जो अधिकांशतः एक ऐसे कक्ष में बनाए गए थे जिसमें बाहर से आया जा सकता था और जिनका प्रयोग संभवतः राह‌गीरों द्वारा किया जाता था। विद्वानों ने अनुमान लगाया है कि मोहनजोद‌रो में कुओं की कुल संख्या लगभग 700 थी।

"प्रमुख हड़प्पा स्थल "

↓ बनावली (हरियाणा)

↓ कालीबंगन (राजस्थान)

  शोर्तुघर (अफगानिस्तान)

↓ धौलावीरा (गुजरात)