CBSE NCERT CLASS 12th POLITICAL SCIENCE CHAPTER 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट||CUET
Q. इंदिरा गांधी ने किस चुनाव में गरीबीहटाओ का नारा दिया था।
Ans. इंदिरा गांधी ने सन 1971के चुनाव में गरीबी हटाओका नारा दिया।
Q. सन 1971 मे बंगलादेश संकट के समय कितने लोग पूर्वी पाकिस्तान की सीमा को पार करके भारत आए थे
Ans. 80 लाख लोग
Q. किन समूहों को मार्क्सवादी लेनिन वादी के रूप में जाना गाया था
Ans. सन 1972 73 के दौर में संसदीय राजनीति मेंविश्वास न रखने वाले ना रखना कुछ मार्क्सवादी समूह की संख्याबड़ी इन समूह ने मौजूदा राजनीतिकप्रणाली और पूंजीवादी व्यवस्था को खत्म करने के लिए हथियार उठाने तथा हथियार उठाएं तथा राज्य विरोधी तकनीकों का सहारा लिया यही समूह मार्क्सवादी लने वाली लेनिनवादी (अब माओवादी तथा नक्सलवादी के नाम से जाने जाते हैं।)
Q. संपूर्ण क्रांति का नारा कब और किसने दिया था।
Ans. संपूर्ण क्रांति का नारा सन 1974 मे। J.P ने दिया था।
Q.भारत में नक्सलवादी आंदोल्लन की शुरुआत भारत के किस राज्य से हुई थी
Ans. पश्चिम बंगाल से
Q.वर्तमान मे लगभग कितन राज्य नक्सलवादी हिंसा से प्रभावित है।
Ans. लगभग 10 राज्य (पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा झारखंड आदि)
Q. सन 1974 मे रेल हड़ताल किसके नेतृत्व मे हुआ था?
Ans. जोर्ज फर्नांडिस के नैतृत्व में।
Q. सन 1974 75 के दौर में कौन-कौनसे तीन मसाले उठे थे और इस पर सर्वोच्च न्यायालय का क्या जवाब था ?
Ans. (1). क्या सांसद मौलिक अधिकारों में कटौती कर सकती है इस पर सर्वोच्च न्यायालय का जवाब था नहीं सांसद मौलिक अधिकारों में कटौती नहीं कर सकती है।
(2) . दूसरा यह था कि सांसद संविधान में संशोधन करके संपत्ति के अधिकार में कान चैट कर सकती है इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि सरकार संविधान में इस तरह के संशोधन नहीं कर सकती की अधिकार की कटौती हो जाए
(3). सांसद ने यह कहते हुए संविधान में संशोधन किया है कि वह नीति निर्देशक तत्व को प्रभावशाली बनाने के लिए मौलिक अधिकारों में कमी कर सकती है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इन प्रावधानों को भी निरस्त कर दिया।
Q.संविधान का अनुच्छेद 352 क्या है?
Ans.इस अनुच्छेद के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि बाहरी अथवा अंदरुनी गड़बड़ी कि बाहरी अशवा अंदरूनी की आशंका होने पर सरकार आपालकाल लागू कर सकती है।
Q.सन 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू करने की सिफारिश किस राष्ट्रपति से की थी।
Ans. फखरुद्दीन अली अहमद से
Q. शाहू जाँच आयोग क्या था और इस "आयोग की स्थापना क्यों की गई थी।
Ans. मई 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायधीश श्री जे. सी शाह की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया। जिसे शाह जाँच आंयोग कहा गया
इस आयोग का गठन " 25 जून 1975 के दिन घोषित आपातकाल के दौरान की गई कार्यवाई तथा सता के दुरुपयोग तथा सत्ता कदाचार के विभिन्न आरोपों विभिन्न पेहुलो की जाँच के लिए किया गया था।
Q. आपातकाल के समय कौन सी पार्टी कांग्रेस का समर्थन दे रही थी।
Ans. CPI (सीपी आई)
Q. 25 कुल जून 1975 के आपात काल कितने नेताओं की के दौरान कुल कितने नेताओ की गिरफ्तारी हुई थी।.
Ans. 676 नेताओं।
Q. गुजरात में सन 1975 के छात्र आन्दोलन के दो मुख्य कारण क्या थे
Ans. बढ़ती महंगाई उस दौरान महंगाई अपने चरम सीमा पर था लोगों मे महंगाई के कारण असंतोप था जिसने में महंगाई के कारण छात्रों को आन्दोलन करने के लिए प्रेरित किया।
२.) उच्च पदों पर जारी भ्रष्टाचार - दूसरा सबसे बड़ा कारण था, उच्च पदों पर जारी भ्रस्टाचार क्योंकि जितने भी सरकारी उच्च अधिकारी थे। उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे।
Q. 25 जून 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके क्या कारण बतासे थे ?
Ans. 25 जून 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके निम्न कारण बताए।
(1) J.P अगुवाई में विपक्षी दलों ने इंदिरा गाँधी के इस्तीफे के लिए दबाव डाला इन दलों ने, 25 जून 1975 को दिल्ली रामलीला मैदान में एक विशाल प्रदर्शन किया। जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गाँधी की. माँग करते हुए राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह की घोषणा की।
(2). जेपी ने सेना, पुलिस और सरकारी कर्मचारियों का आदान किया कि वे सरकार के अनैतिक और अवैधानिक आदेशों का पालन न करें। इससे भी सरकारी कामकाज का अंदेशा का ठप्प हो जाने का अंदेशा पैदा हुआ। देश के राजनीतिक मिजाज अब पहले से कहीं ज्यादा कांग्रेस के खिलाफ हो गय
(3). सरकार ने घटनाओं के मद्देनजर जवाब में आपातकाल की घोषणा कर दी। 25 जून 1975 के दिन सरकार ने घोषणा की कि देश में गड़बड़ी की आशंका है और इस तर्क के साथ उसने सविधान के अनुच्छेद 352 को लागू कर दिया।
4) इस अनुच्छेद के अन्तर्गत प्रावधान किया गया है कि बाहरी अथवा अंदरूनी गड़बड़ी की आशंका हो तो सरकार आपातकाल लागू कर सकती है। सरकार का कहना था कि गंभीर संकट की घड़ी आन पड़ी है और इस वजह से आपातकाल की घोषणा जरूरी हो गई है।
Q. भारतीय संविधान में सरकार को आपातकाल की स्थिति में कौन सी विशेष शक्तियों प्रदान की गई हैं?
Ans. (1).आपातकाल की घोषणा के साथ ही शक्तियों के बंटवारे का संघीय ढाँचा व्यावहारिक तौर पर निष्प्रभावी हो जाता और सारी शक्तियाँ केन्द्र सरकार के हाथ में चली जाति हैं।
2) सरकार चाहे तो ऐसी स्थिति में किसी एक अथवा सभी मौलिक अधिकारों पर रोक लगा सकती है सकती है। अथवा उनमें कटौती कर कर सकती हैं।
Q. 25 जून 1975 के आपातकाल के मुख्य कारण क्या थे वर्णन कीजिए ।
Ans. 25 जून 1975 के आपातकाल के मुख्य कारण निम्न थे
1.) आर्थिक कारण
2.) राजनीतिक कारण
3.) प्रशासनिक कारण
4.) न्यायिक कारण
आर्थिक कारण-1975 के आपातकाल का मुख्य कारण आर्थिक कारण रहा था, इसके भारी आर्थिक अन्तर्गत बांग्लादेश का संकट बोझ भारत पर पड़ा और दूसरी तरफ अमरीका नै भारत को सहायता देना बंद कर दिया। दूसरी तरफ अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की में वृद्धि। बेरोजगारी में वृध्दि
राजनीतिक कारण:-सन 1917 में नक्सलवादी आंदोलन का उदय मजूमदार, के नेतृत्व में शुरू हुआ. शुरुआत पश्चिम पर धीरे- वो इसी भारतमा बाल गया। और कुछ वर्षों के बाढ जन 1974 में खिलाफ गुजरात की नीतियों के अंगाई भ्रष्टाचार में छात्र आंदोलन ने सरकार खिलाफ आहान किया धीरे-र के आंदोलन र यह के ऊपर भारी पड़ने लगा का आंदोलन सरकार आंदोलन और ज्यादा मजबूत तब हुआ जब जियप्रकाशर जैसे प्रसिद्ध व महान नेता ने सम्पूर्ण क्रांतिउ का आहवान किया।
प्रशासनिक कारण: जोर्ज फर्नाडीज ने सेवा शर्व बोनस की शर्तों के लिए हड़ताल शुरू कर दी और इसके बाद J.P ने 25 जून 1975 को अखबार खाली छोड़ देते थे। सेमिनार' और मेंस्ट्रिम जैसी पत्रिकाओं ने सेंसरशिप के आगे घुटने टेकने की जगह बंद होना मुनासिब समझा।
(4). आपातकाल मुख्य परिणाम यह भी रहा की इस काल में सरकार के परने संशोधन के जरिए हुए अनेक बदलावों में से एकू था- देश की विधायिका के कार्यकाल को 5 से बढ़ाकर 6 साल करना। यह व्यवस्था मात्र आपातकाल की अवधि भर के लिए नहीं की गई थी। इसे आगे के दिनों में स्थायी रूप से लागू करना, । इसके अतिरिक्त अब आपात काल के दौरान चुनाव को एक साल के लिए स्थागित किया जा सकता था।
Q. 25 जून 1975 के आपातकाल के मुख्य सबक क्या थे वर्णन कीजिए।
Ans. 25 जून 1975 के आपातकाल के मुख्य सबक निम्न थे ।
(1). आपातकाल से भारतीय लोकतंत्र की ताकत और कमजोरियों उजागर गई। बहुत से पर्यवेक्षक मानते हैं कि 'आपातकाल के दौरान भारत लोकतांत्रिक नहीं रह गया था, लेकिन फिर भी कुछ दिनों के अन्दर ही फिर से कामकाज फिर से लोकतांत्रिक ढर्रे पर लौट आया। इस तरह विदा कर पाना आपात काल भारत कठिन है।
(2) आपातकाल से संविधान में वर्णित आपतकाल के प्रावधानों के कुछ अर्थगत उलझाव भी प्रकट हुए, जिन्हें बाद में सुधार लिया गया। अब अंदरूनी आपतकाल सिर्फ साशात्रा की स्थिति में लगाया जा सकता है इसके लिए यह भी जरूरी है कि सकता हैं। आपातकाल की घोषणा की सलाह मंत्रि परिषद् राष्ट्रपति को लिखित में दे।
(3). आपातकाल से हर कोई नागरिक अधिकारों के प्रति ज्यादा सचेत हुआ। आपातकाल की समाप्ति के बाद अदालतों ने व्यक्ति के नागरिक अधिकारों की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाई। न्यायपालिका आपातकाल के समय नागरिक अधिकारों की कारगर तरी के से रक्षा नहीं पाई थी। इसे महसूस करके अब वह नागरिक अधिकारों की रक्षा में तत्पर हो गई। आपातकाल के बाद कई संगठन वजूद में आए।
(4). आपातकाल का वास्तविक क्रियान्वयन पुलिस और प्रशासन के जरिए हुआ। ये संस्थाएँ स्वतंत्र होकर काम नहीं कर पाईं । इन्हे शांसक दल अपना पाई। राजनीतिक औजार इस्तेमाल किया। शाह कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस और प्रशासन राजनीतिक दनाव की चपेट में गय थे। यह समस्या आपातकाल के बाद में खत्म नहीं हुई। अत आपातकाल का सबसे बड़ा सबक यही रहा की इससे देश की कमजोरियाँ उजागर हो गई।
Q .सून 19.77 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस पर क्या प्रभाव पड़ा स्पष्ट कीजिए।
Ans. सन 1977 के लोकसभा चुनाव का कांग्रेस पर कई दूर्गामी प्रभाव पड़े।
(1).18 महीने के 'आपातकाल के बाद 1977 के जनवरी माह में सरकार ने चुनाव कराने का फैसला किया। इसी के मुताबिक सभी नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा कर दिया गया। चुनाव हुए। 1977 मार्च में चुनाव हुए। ऐसे मे विपक्ष को चुनावी तैयारी का बड़ा कम समय मिला लेकिन राजनीतिक बदलाव की गति बड़ी तेज़ थी।
(2). आपातकाल लागू होने के पहले ही विपक्षी पार्टियों एक-दूसरे नज़दीक आ रही थीं। चुनाव के ऐन पहने इन इन पार्टियों ने एकजुट होकर जनता दल पार्टी नाम से नया पार्टी बनाया। नयी पार्टी ने जयप्रकाश नारायण का नेतृत्त्व स्वीकार किया । कांग्रेस के कुछ नेता भी, जो आपातकाल के खिलाफ थे, इस पार्टी में शामिल हुए ।
(3). कांग्रेस के कुछ नेताओं ने जगजीवन राम? के नेतृत्व में नयी पार्टी बनाई। का नाम बाद में यह Congress for democracy पार्टी था ।बाद में जनता भी इस पार्टी में शामिल हो गई।1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने आपतकाल के उपर जनमत संग्रह का रूप दिया।
(4.) इस पार्टी ने चुनाव प्रचार में शासन के अलोकतांत्रिक चरित्र और आपातकाल दौरान की गई ज्यादतियों पर जोर दिया। हजारों लोगों की गिरफ्तारी और प्रेस सेंसरशिप की पृष्ठभूमि में जनमत कोग्रेस के विरुद्ध था।जनता पार्टी के गठन के कारण यह भी सुनिश्चित हो गया कि गैर कांग्रेसी वोट एक ही जगह पड़ेंगे। बात बिलकूल साक थी कि कांग्रेस के लिए मुश्किल आ पड़ी थी। अब
(5). लेकिन चुनाव के अंतिम नतीजों ने सबको (4) चौंका दिया। आजादी के बाद पहली बार संसा हुआ कि कांग्रेस लोकसभा का चुनाव हार गई। लोकसभा की. मात्र (डिप) सीटें काँग्रेस को मिली थीं। उसे 35 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल हुए। जनता पार्टी और उसके साथी दलों की सभा की कुल पर सीटों में से 330 सीटें मिली। खुद जनता पार्टी अकेले 295 सीटों पर जीत गई थी उसे स्पष्ट बहुमत मिला
(6). उत्तर भा०रत में चुनावी माहौल कांग्रेस के खिलाफ यो कांग्रेस बिहार उत्तर-परदेश, दिल्ली ,हरियाणा और पंजाब में एक भी सीट न हासिल कर सकी । राजस्थान में उसे महज एक-एक गांधी रायबरेली से और सीट मिली। उनके और मध्यप्रदे इंदिरा सजय पुत्र गांधी अमेठी से चुनाव हार गए
(7). इन लोगों ने पेडों को अपनी बाँहों में घेर लिया ताकि उन्हें कटने से बचाया जा सके। यह विरोध आगामी दिनों में भारत के पर्यावरण आंदोलन के रूप में परिणत हुआ चिपको आन्दोलन के नाम और यह से विश्वप्रसिद्ध हुआ।
Q. भारत में चिपको आंदोलन' की शुरुआत किस राज्य से हुई थी?
Ans. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित गढ़वाल क्षेत्रसे।
Q. चिपको आंदोलन का जनक किसे माना जाता है?
Ans. चण्डी प्रसाद भट को।
Q. चिपको आन्दोलन की सफलता के मुख्य पहलू क्या थे ?
Ans. चिपको आन्दोलन की सफलता हेतु तीन मुख्य पहलू उत्तरदायी थे ।
(1.) स्थानीय लोगों की आजीविकाओं और औदोलन प्रकृति बीच गहन संबंध था। स्थानीय लोग चिपको को बुनियादी जरूरत, तथा रोटी - कपड़ा के लिए ए एक लड़ाई मानते थे । परंतु उन्हें राज्य की संस्थाओं व नीतियो द्वारा वंचित कर दिया गया।
(.2) दूसरा पहलू आंदोलन की प्रकृति के संबंध है। यह आंदोलन अन्य पर्यावरण आंदोलन से बिलकुल अलग था, चिपको स्वतंत्रता संग्राम की गांधीवादी विचारधारा यथा अहिंसा से जुड़ा रहा था।
(3) सुन्दरलाल बहुगुणा जैसे नेताओं की सादगी सरलता तथा इन्दिरा गाँधी जैसे राष्ट्रीय नेताओं, अन्य राजनीतिज्ञों व पदाधिकारी वर्ग तक उनकी पहुँच ने भी इस आंदोलन को काफ़ी हद तक सफल बनाया।
Q. जन आंदोलन कभी सामाजिक तो कभी राजनीतिक आंदोलन का रूप कैसे ले लेते है स्पष्ट कीजिए?
Ans. जन आंदोलन कभी सामाजिक तो कभी राजनीतिक आंदोलन रूप निम्न कारणों से ले लेते है।
(1). स्वाधीनता आंदोलन मुख्य रूप से एक राजनीतिक आंदोलन था लेकिन हम जानते हैं कि औपनिवेशिक दौर में सामाजिक-आर्थिक मसलों पर भी विचार मंथन चला जिससे अनेक स्वतंत्र सामाजिक आंदोलन का जन्म हुआ जैसे - जाति प्रथा विरोधी आंदोलन किसान सभा आंदोलन और मज़दूर संगठनों के आंदोलन ।
(2). ऐसे कई आंदोलन, स्वतंत्रता के बाद भी चले जैसे मुंबई।कोलकाता और जैसे बड़े शहरों के औधोगिक - आंदोलन का बड़ा जोर था।
सभी बड़ी पार्टियों ने इस तबके के मज़दूरों को लामबंद करने के लिए अपने - 2 मज़दूर संगठन बनाए।
(3). आज़ादी के बाद के शुरुआती सालों में आंध्र प्रदेश के तेलगांना क्षेत्र के किसान कम्युनिस्ट पार्टियों के नेतृत्व में लामबंद हुए। इन्होंने काश्तकारों के बीच जमीन के पुनर्वितरण की माँग की। आंध्र प्रदेश, बिहार के कुछ भागों पश्चिम बंगाल और में किसान तथा खेतिहर मज़दूरों ने मार्क्सवादी-लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में अपना विरोध जारी रखा।
(4).किसान और मज़दूरों के आंदोलन का मुख्य "अन्याय तथा असमानता क मसले पर रहा। ऐसे आंदोलनें ने. औपचारिक रूप से चुनावों में भाग तो नहीं लिया लेकिन राजनीतिक दलों से इनका नज़दीकी रिश्ता कायम हुआ।
(5). इन आंदोलनों में शामिल कुई व्यक्ति और संगठन राजनीतिक दलों सक्रिय रूप से जुड़े। ऐसे जुडावों से दलगत राजनीति में विभिन्न सामाजिक तबकों की बेहतर नुमाइंदगी सुनिश्चित हुई।
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