History Chapter 2 राजा, किसान और नगर NOTES IN HINDI

History Class 12 राजा, किसान और नगर Notes in hindi

 प्र .1. 600 ईसा पूर्व से 600 ई तक भारतीय उपमहाद्वीप में होने वाले मुख्य बदलाव कौन-कौन से थे।

उतर . 1.(i) ऋग्वेद का लेखन कार्य शुरू होना ।

          .(ii) उत्तर भारत दक्कन पठार क्षेत्र और कर्नाटक जैसे उपमहाद्वीप के कई छेत्रो कृषक बस्तियां अस्तित्व में आई। 

          .(iii) दक्कन और दक्षिण भारत के क्षेत्र में चरवाहा बस्तियो     का अस्तित्व में आना।

          .(iv) दक्षिण भारत में सभी के अंतिम सरकार के नए तरीकों का अस्तित्व मे आना।

 प्र .2.600 ईसा पर्व से 600 ईसवी तक भारतीय उप महाद्वीप का अध्ययन करने के लिए इतिहासकार किन श्रोतो का प्रयोग करते थे।

उत्तर. 2. (i) अभिलेख 

          . (ii) ग्रंथों 

          . (iii) सिक्के 

          . (iv) चित्रों का प्रयोग ।

प्र. 3. जेम्स प्रिंसेप कौन था ? और इसने किन लिपियों का अर्थ निकाला था?

उतर. 3.  जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी थे और इन्होंने सर्वप्रथम ब्राही और ख्रोष्ठी लिपि का अर्थ निकाला था।

 प्र. 4.  जेम्स प्रिंसेप के अनुसार ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किस में किया गया था ? इन अधिकांश अभिलेखों और सिक्कों पर किसका नाम लिखा था ?

उतर. जेम्स प्रिंसेप के अनुसार इन लिपियों का प्रयोग  अभिलेखों और सिक्कों में किया गया है। इनमें से अधिकांश अभिलेखों और सिक्कों पर पिय- दस्सी, यानि मनोहर मुखाकृति वाले राजा का नाम लिखा है।

प्र.5.अभिलेख से आप क्या समझते हैं?

उतर.5.  अभिलेख उन्हें कहते हैं जो पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुद होते हैं अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियों क्रियाकलाप या विचार लिखे जाते है जो उन्हें बनवाते है।

 प्र 6. जेम्स प्रिंसेप के शोध से आरंभिक भारत के राजनीतिक इतिहास के अध्ययन को एक नई दिशा किस प्रकार सिली ?

उत्तर. क्योंकि भारतीय और यूरोपीय विद्वानों ने उपमहाद्वीप पर शासन  करने वाले प्रमुख राजवंशों की वंशो के लिए की पुनर्रचना के लिए विभिन्न भाषाओं में लिखें आलेखों और ग्रंथो का उपयोग किया।

प्र०.7.आरंभिक भारतीय इतिहास में 600 ई.पू. को एक म महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल क्यों माना जाता है?

उतर.(i)  क्योंकि इस काल को आरंभिक राज्यों, नगरों लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के रूप में देखा जाता है।

(ⅱ) इसी काल में बौद्ध तथा जैन सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं  का विकास हुआ । बौद्ध और जैन धर्म के आरंभिक ग्रंथों में महाजनपद नाम से सोलह राज्यों का उल्लेख मिलता है। 

प्र. 8. महाजनपदों की मुख्य विशेषता क्या थी?

उतर. (i) अधिकांश महाजनपदों पर राजा का शासन होता था लेकिन गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों में कई लोगों का समूह शासन करता था, इस स का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था।

(ii) महावीर और भगवान बुद्ध इन्हीं गणों से संबन्धित थे।

(iii) प्रत्येक महाजनपद की एक राजधानी होती थी जिस प्रायः किले से बेरा जाता था।

(iv) किलेबंद राजधानियों के रख-रखाव और प्रारंभी सेनाओं और नोकरशाहियो के लिए भारी आर्थिक श्रोतों की आवश्यकता होती थी।

प्र.9 . ब्राह्मणों ने धर्मशास्त्र नामक ग्रंथ की रचना कब शुरू  की थी? इसमें शासकों के लिए कौन-से नियम निर्धारित किए गए थे?

उतर. ब्राह्मणो ने धर्मशास्त्र नामक ग्रंथ की रचना लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू की थी। इस इसमें शासक सहित अन्य के लिए नियमों का निर्धारण किया गया और यह अपेक्षा की जाती थी कि शासक क्षत्रिय वर्ण से ही होगें। शासकों का काम किसानों, व्यापारियों और शिल्पकारों से कर तथा मेरे वसूलना गाना जाता था।

प्र. 10. छठी से चौथी शताब्दी ई. पू. में मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद क्यों बन गया था?

उतर.(i)   मगध क्षेत्र में खेती की ऊपज का खास तौर पर अच्छा होना।

(ii) यहां लोहे की खदानें भी आसानी से उपलब्ध थी जिससे उपकरण और हथियार बनाना सरल होता था।

(iii) इसके आलावा जंगली छेत्रों में हाथी उपलब्ध थे जो सेना के एक महत्वपूर्ण अंग थे।

(iv) गंगा और इसकी उपनदियों से आवागमन सस्ता वा सुलभ होता था।


प्र . 11. आरंभिक जैन और बौद्ध लेखकों ने मगध के शक्तिशाली होने के क्या कारण बताए।

उतर. जैन और बौद्ध लेखकों ने मगध की महत्ता का  विभिन्न शासकों की नीतियों को बताया है। इन लेखकों के अनुसार बिंबिसार, अजातशत्रु और हा पदमानंद जैसे प्रसिद्ध राजा अत्यंत महत्वाकांक्षी शाह थे. और इनके मंत्री उनकी नीतियां लागू करते हैं।

     "अशोक के अभिलेखों की भाषा "

(*) प्राकृत (*) अरामेक (*) यूनानी (*) ब्राहि (*) खरोष्ठी 

 (ⅰ) मौर्य साम्राज्य के इतिहास की रचना के लिए इतिहासकारों ने किन-किन स्रोतों का उपयोग किया। था।

(ii) पुरातात्विक प्रमाण जैसे मूर्तिकला

(iii) समकालीन रचनाएँ जैसे यूनानी राजदूत मेगास्थनीज द्वारा लिखा गया विवरण 

(iv) कौटिल्य का अर्थशास्त्र

(V) जैन, बौद्ध और पुरानी ग्रंथ

(Vi)  पत्थरों, स्तंभों पर जिले अशोक के अभिलेख ।

प्र .12. धम्म से आप क्या समझते है?

उतर. अशोक पहला सम्राट था जिसने अपने अधिकारियों और प्रजा के लिए संदेश प्राकृतिक पत्थरों और पॉलिश किए हुए स्तंभों पर लिखवाए थे। अशोक ने अपने अभिलेखों के माध्यम से धम्म का प्रचार किया इसमें

(ⅰ) बड़ो के प्रति आदर

(ii) सन्यासियो और ब्राह्मणों के प्रति उदारता

(iii) सेवकों और दासों की साथ उदार व्यवहार

(iv) दूसरे के धर्मा और परंपराओं तथा  आदर शामिल  है।

प्र.13 . मौर्य साम्राज्य के 5 प्रमुख राजनीतिक केन्द्र कौन - से थे?

उतर .(i) पाटलिपुत्र (राजधानी)

(ii) तक्षिला विश्वविद्यालय

(iii) उज्जयिनी

(iv) तोशाली 

(V) स्वर्णगिरि

प्र.15.  साम्राज्य के संचालन के लिए भूमि और नदियों दोनों मार्गों से आवागमन बना रहना अत्यंत आवश्यक क्यों था ? कोई दो कारण बताइए।

उतर.(i) क्योंकि राजधानी से प्रांतों तक जाने में करें। सप्ताह या महीनों का समय लगता था।

(ii) यात्रियों के लिए खान-पान की व्यवस्था और उनकी सुरक्षा भी कसी पढ़ती थी।

प्र .16. मेगस्थनीज की सैनिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए?

उतर . मेगस्थनीज़ ने सैनिक गतिविधियों के संचालन के लिए एक समिति और छः उपसमितियों का आलेख किया।

 मेगस्थनीज की छः प्रमुख उपसिमितियाँ :-

(ⅰ) नौसेना का संचालन करना।

(ⅱ) यातायात और खान-पान का संचालन करना

(iii) तीसरे का काम पैदल सैनिकों का संचालन करना ।

(iv) अश्वारोहियों का संचालन करना ।

(V) रथारोहियो का संचालन कसा।

(Vi) हथियारों का संचालन करना ।

प्र. 17. उन्नसवीं सदी जब इतिहासकारों ने भारत के आरंभिक इतिहास की रचना करनी शुरू की तो मौर्य साम्राज्य को इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल क्यों माना जाता है?

 उतर. (i) क्योंकि इस समय भारत ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन एक औपनिवेशिक देश था।

(ii) उन्नसवीं सदी और बीसवीं सदी के आरंभिक में भारतीय इतिहासकारों को प्राचीन भारत में एक ऐसे साम्राज्य की संभावना बहुत चुनौतीपूर्ण तथा उत्साहवर्धक लगी।

(ⅲ) साथ ही प्रस्तर मूर्तियों सहित मौर्यकालीन समी पुरातत्व एक अदभुत कला के प्रमाण थे जो साम्राज्य की पहचान जाते हैं।

(iv) इतिहासकारों को लगा कि अभिलेखों पर लिखे संदेश अन्य शासकों के अभिलेखों से भिन्न है।


        "दक्षिण भारत की प्रमुख सरदारिया 

          (i) चोल (ii) चेर (iii) पाण्डेय 

प्र 18.सरदार से आप क्या समझते है?

उतर .  सरदार एक शक्तिशाली व्यक्त्ति होता है जिसका पद वंशानुगत भी हो सकता है और नहीं भी। उसके समर्थन मे उसके खानदान के लोग होते हैं।

प्र .19. सरदार के मुख्य कार्य क्या थे?

उतर . (ⅰ) विशेष अनुष्ठान का संचालन करना

        (ii)   युद्ध का नेतृत्व करना

        (iii) विवादों को सुलझाने में मध्यस्थता की                           भूमिका निभाना ।

प्र. 20.  दैविक राजा से आप क्या समझते हैं?

उतर .  दैनिक राजाओं के लिए उच्च स्थिति प्राप्त करने का एक साधन विभिन्न देवी-देवताओं के साथ जुड़ना था  ऐसे ही शासकों को दैविक राजा कहा जाता था। जैसे कि कुषाण शासक ।

प्र.21.  गुप्त शासकों के इतिहास के जानकारी के मुख्य स्रोत क्या है?

उतर.  साहित्य, सिक्के और अभिलेख.न

प्र. 22. प्रशरित किसे कहते है?

उतर . प्रशस्ति एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है जिसमें गुप्त शासकों के इतिहास का वर्णन किया गया है।

प्र. 23.  प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की थी और इसमें किस शासक के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किया गया था?

उतर . प्रयाग प्रशस्ति की रचना 'हरिषेण' ने की थी और इसमें समुद्रगुप्त के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया था।

प्र. 24. जातक कथा कब और किस भाषा में लिखी गई थी ?

उतर. जातक कथाएँ पहली सहस्राब्दि ई. के मध्य में पालि भाषा में लिखि गई थी।

प्र .25 वर्णितकाल में कृषि के तौर तरीकों में किस हद तक परिवर्तन हुए ।

उतर. वर्णितकाल में ऊपज बढ़ाने के लिए निम्न तरीको का प्रयोग किया जाता था :-

(iⅰ) हल का प्रचलन ।

(ii) लोहे के फाल वाले हल का प्रयोग।

(iii) कुदाल का प्रयोग ।

(iv) सिंचाई के स्रोतों का प्रयोग जैसे कुआँ, तालाब इत्यादि।

प्र. 26. गहपति से आप क्या समझते है?

उतर .गहपति घर का मुखिया होता था और घर में रहने वाली महिलाओं, बच्चों, नौकरों और दासों पर नियंत्रण करता था। घर से जुड़े भूमि, जानवर या अन्य समा वस्तुओं का वह मालिक होता था।

प्र. 27 हर्षचरित नामक ग्रन्य की रचना किसने की थी?

उतर . बाणभट्ट ने।

प्र. 28. इतिहासकारों में भूमिदान का प्रभाव एक गर्म वाद- विवाद का विषय क्यों बना हुआ है?

उतर . (ⅰ) क्योंकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि भूमिदान  शासक वंश द्वारा कृषि को नए क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने की एक रणनीति थी।

(ii) जबकि कुछ का कहना है कि भूमिदान से दुर्बल होते राजनीतिक प्रभुत्व का संकेत मिलता है अर्थात् राजा का शासन सामंतो पर कमजोर होने लगा तो उन्होंने भूमिदान के माध्यम से अपने समर्थक जुटने का प्रयास किया।

(iii) उनका यह भी मानना है कि राजा स्वयं को उत्कृष्उठ स्तर मानव के रूप में प्रद‌र्शित करना चाहते थे। अतः इसलिए इतिहासकारों में भूमिदान का प्रयोग एक गर्म वाद - विवाद का विषय बना हुआ है।

प्र. 29. शासक वर्ग और राजा किलेबंद नगरों में रहते थे और इन नगरों का उत्खनन करना संभव क्यों नहीं था ?

उतर. क्योंकि आज भी इन क्षेत्रों में लोग रहते थे।  विभिन्न प्रकार के पुरवशेष प्राप्त हुए है। इनमें उत्कृष्ट श्रेणी के मिट्टी के करोरे और थालियाँ मिली है जिन पर चमकदार कलई चढ़ी है। इन्हें उत्तरी कृष्ण मार्जित पात्र कहा जाता है।

प्र. 30. द्वितीय शताब्दी ई आते-आते में कई नगरों में छोटे दानात्मक अभिलेख प्राप्त हुए है इन अभिलेखों की मुख्य विशेषता बताइए?

उत्तर (ⅰ) इनमें दाता के नाम के साथ - साथ प्रायः उसके व्यवसाय का भी उल्लेख होता है।

(ii) इनमें नगरों में रहने वाले धोबी, बुनकर, बढ़ई कुम्हार, स्वर्णकार, लौहकार, धार्मिक व्यापारी और राजाओं के विवरण होते हैं। गुरु

प्र 31.श्रेणी से आप क्या समझते है?

उत्तर. उत्पाद‌कों और व्यापारियों के संघ का भी उल्लेख मिलता है जिन्हें श्रेणी कहा गया है।

* श्रेणी में शामिल लोगों के कार्य :-

पहले कच्चमाल खरीदते थे फिर उनसे सामान तैयार कर बाजार में बेच देते थे।

प्र.32 छठी शताब्दी ई पू से ही उपमहाद्वी में नदी मार्ग और भूमार्गों का मानो जाल बिछ गया था। इ कथन के पक्ष में उत्तर दीजिए ?

उतर .(ⅰ) मध्य एशिया और उससे भी आगे तक भू- मार्ग थे। समुंद्रतत पर बने कई बंदरगाहों से जलमार्ग अरब सागर से होते हुए, उत्तरी अफ्रीका पश्चिम एशिया तक फैल गया; और बंगाल की खाड़ी में यह मार्ग चीनू और दक्षिणपूर्व एशिया तक फैल गया था।

(ⅱ) इन मार्गों पर चलने वाले व्यापारियों में पैदल फेरी लगाने वाले व्यापारी तथा बैलगाड़ी और घोड़े - खच्चरों जैसे जानवरों के दल के साथ चलने वाले व्यापारि होते थे।

(iii) तमिल भाषा में मस्ताथुवन और प्राकृत में सतथवाह और सेठी के नाम से प्रसिद्ध सफल व्यापारी बड़े धनी हो जाते थे। नमक, अनाज, कपड़ा धातु और उससे निर्मित उत्पाद, पत्थर, लकड़ी, जड़ी-बूटी जैसे अनेक प्रकार के समान एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाए जाते थे।

(iv) रोमन सामान्य में काली मिर्च जैसे मसालों तथा कपड़ों व जड़ी-बूटी की भारी मांग थी। इन सभी वस्तुओ को अरब सागर के रास्ते भूमध्य क्षेत्र तक पहुँचाया जाता था। इन सभी को पहुंचाने में जल मार्ग की एक विशेष भूमिका होती थी अतः इसलिए छठी शताबादी ई. पू से ही भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न  में नदी मार्गों व भू-मार्गों का जाल बिछ गया था।

प्र. 33 सोने के सिक्के सबसे पहले कब और किस राजा ने जारी किए थे ?

उतर. सोने के सिक्के सबसे पहले प्रथम शताब्दी ईसवी में कुषाण राजाओं ने किए थे।

प्र. 34. व्यापार के लिए सिक्कों के प्रचलन से विनिमय कुछ हद तक आसान क्यों हो गया था? कोई दो कारण बताइए।

उतर. (ⅰ) क्योंकि इन सिक्कों के माध्यम से दूर देशों व्यापार - विनिमय करने में आसानी होती थी।

(॥) सिक्कों के प्रचलन से शासकों को भी लाभ होता था।

प्र.35. छठी शताब्दी ई. से सोने के सिक्के मिलने कम क्यो हो गये थे ? कोई दो कारण बताइए ।

उतर. (ⅰ) क्योंकि वे प्रचलन में थे और उनका किसी ने ' संग्रह करके नहीं रखा।

(ii) सोने के खदानों में सोने मिलने कम हो गये थे 

प्र .36. असोककांलीन ब्राह्मी लिपि का अर्थ सबसे पहले किसने और कब निकाला था ?

उतर. जेम्स प्रिंसेप ने असोककालीन ब्राह्मी लिपि का अर्थ 1838 ई में निकाला ।

प्र. 37. मुद्राशास्त्र से आप क्या समझते है?

उतर. उने मुद्राशास्त्र सिक्कों का अध्ययन है। इसके साथ ही उन पर पाए जाने वाले चित्र, लिपि आदि तथा उनकी धातुओं का विश्लेषण और जिन संदर्भों में इन सिक्के को पाया गया है। उनका अध्ययन भी मुद्रशास्त्र के अंतर्गत आता है।

प्र.38. वर्णित काल में प्राप्त अभिलेखों की मुख्य सीमाएं क्या थी ?

उतर. (ⅰ) अक्षरों को हल्के ढंग से लिखा जाता था जिन्हें पढ पाना मुश्किल होता था।

(ii) अभिलेख नष्ट भी हो जाते थे जिनसे अक्षर लुप्त थे जाते थे।

(ⅲ) अभिलेखों के शब्दों के वास्तविक अर्थ के बारे मे पुर्ण ज्ञान ना होना। 

(iv)  कालांतर में अभिलेखों का सुरक्षित न रह पाना ।

(V) खेती की दैनिक प्रक्रियाएँ और रोजमर्रा की जिंदगी के सुख-दुख का उल्लेख अभिलेखों में न मिलना। क्योंकि अधिकतर अभिलेखों में बड़े और विशेष अवसरों का वर्णन किया

(vi)  अभिलेख हमेशा उन्हीं व्यक्तियों के विचार व्यक्त करत थे, जो उन्हें बनवाते थे।


chapter 1 history ईंट, मनके तथा अस्थियां : हड़प्पा सभ्यता

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