class 12 History chapter 10 विद्रोही और राज

History Chapter 10 विद्रोही और राज Notes

                            Chapter - 10 

                विद्रोही और राज.1857 का विद्रोह

     * प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 का विद्रोह): 

* प्रस्तावना :- 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है। अंग्रेजों ने हमारी अज्ञानता का फायदा उठाया और हमारे प्राकृतिक संसाधनों का न केवल दोहन किया बल्कि इसका द्रुप्रयोग भी किया। कोई भी समाज या देश एकता और एक- दूसरे के विश्वास पर टीका होता है परंतु यह सत्ता और विश्वास हमारे भारतीयों में न होने के कारण अंग्रेज हमारा शोषण करते रहे एक दूसरे के खिलाफ भेदभाव का बीज बोते रहे बल्कि हिन्दु-मुस्लिम हिंसा को भी बढ़ावा दिया एक भारतीय होने के नाते हमारा कर्तव्य था कि हम इसका विरोध करें और इसके खिलाफ आवाज़ उठाए और 10 मई 1857 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से जो आवाज अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उठायी गई। वे वास्तव में राष्ट्रवाद की भावना थी और इसी भावना को 1857 का विद्रोह तथा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता  है।

* प्लासी का युद्ध (1757) :स्त्रहवी शताब्दी में अंग्रेजी भारत के पूर्वी हिस्से पर लगातार अपनी प्रशासनिक ताकत बढ़ा रहे थे। अंग्रेजों ने व राजनीतिक रूप से अपनी स्थिति मजबूत की। तो एक तरफ संपूर्ण बंगाल में नवाबों का दबदबा था और अंग्रेजो को इनके यहाँ रहते अपना दावा कसा लगभग असंभव था।

* कंपनी और बंगाल के नवाबों का टकराव :- अठारहवीं शताब्दी के. शुरुआत मे कंपनी और बंगाल के नवाबों के बीच टकराव काफ़ी बढ़ गया।

* सन् 1707  में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद बंगाल के नवाब अपनी शाक्ति दिखाने लगे थे और उस अन्य क्षेत्रीय ताकतों की स्तिथि भी लगभग एक जैसी थी। मुर्शीद अली खान और अली बर्दी खान और उसके बाद सिरजधौल बंगाल के नवाब बने 

              * नवाब का कंपनी पर प्रभाव:–

1) उन्होने कंपनी को  रियासते देने से मना कर दिया।

ii) व्यापार का अधिकार देने के बदले कंपनी से उपहार माँगे।

iii) उसे सिक्के ढालने का अधिकार नही दिया, और उसकी किलेबंदी को बढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया।

iv) कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए उन्होंने दलील दी की उसके कारण बंगाल की राजस्व वसूली कम होती जा रही है और नवाबों की शक्ति कमजोर पड़ रही है।

* नवाबों के प्रति कंपनी का बर्ताव :-

कंपनी टैक्स चुकाने को राजी नहीं थी उसके अफसरों ने अपमान जनक चिट्टियाँ लिखी और नवाबों व उनके अधिकारियों को अपमानित करने का प्रयत्न किया।

ⅱ) कंपनी  कहना था कि स्थानीय अधिकारियों की बढ़ती मांगों से कंपनी बर्बाद हो रही है।

ⅲ) व्यापार तभी बढ़ सकता है जब सरकार शुक्ल हटा ले

iv) कंपनी इस बात को भी मानती थी कि अपना व्यापार, फैलाने के लिए उसे अपना जनसंख्या (आबादी) बढ़ानी होगी। गाँव खरीदने होंगे और किलों का पुनर्निर्माण करना होगा। परंतु कंपनी और नवाबो के बीच यह टकराव दिनों-दिन बढ़ता गया और इन टकराव दिनों की परिणति प्लासी के प्रसिद्ध युद्ध के रूप में हुई।

                      "बंगाल के नवाब"

i) मुर्शीद अली  खान ii) अली वर्दी खान iii) सिराजु‌धौल iv) मीर जाफर v)  मीर कासिम

* मीर कासिम 1764 के बक्सर के युद्ध में मारे गए।

* प्लासी का युद्ध का इतिहास :- सन् 1756 में अली वर्दी खान के मृत्यु के बाद सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब  बने । सिराजुधौल की ताकत से कंपनी को काफी  डर था। सिराजुद्योला की जगह कंपनी एक ऐसा कठपुतली नवाब चाहती थी जो उसे व्यापारिक रिवारत और अन्य सुविधाएँ सरलता से देने में अना - कानीं क करें। कंपनी ने प्रयास किया कि सिराजुद्योला के प्रतिद्वंदियों में से एक को बंगाल का नवाब बना दिया जाए, परंतु कंपनी को सफलता नहीं मिली। सिराजुद्यौला ने जवाब में यह आदेश दिया कि कंपनी अनेक राज्य की राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप कसा बंद कर दें। किलेबंदी रोक के और बकाया राजस्व चुकाए । 

परंतु जब कंपनी इन दोनों आदेशों को मानने से इंकार करने लगी तो अपने 30,000 सिपाहियों के साथ नवाब ने खसिम बाजार में स्थित इंगलिश फैक्टरी पर धावा बोल दिया। नवाब की सेना ने कंपनी के अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गोदाम पर ताला डाल दिया, अंग्रेजों के हथियार छीन लिए और अंग्रेजी जहाजों को अपने कब्जे में ले लिया।

* सिराजुधौल के प्रति अंग्रेजों का रुख :-  कलकत्ता के हाथ से निकल जाने की  सुनने पर मद्रास में तैनात कंपनी के अफसरों ने भी "रॉबर्ट क्लाइव " के नेतृत्व में सेनाओं को कलकता के लिए खासा कर दिया। इस सेना की नौसैनिक बेड़ों की श्री सहायता मिल रही थी। अतः 1757 में रॉबर्ट क्लाइव ने : प्लासी के मैदान में सिराजुद्दौला के खिलाफ कंपनी की सेना का नेतृत्व किया और इस युद्ध में  सिराजुद्दौला की हार हुई। इस हार के कारण सिराजुद्दौला का मुख्य सेना पति मिर्जाफ़र था। मिर्जाफर नवाब के लालच में अंग्रेजों से जा मिली। रॉबर्ट क्लाइव ने यह कहकर उसे अपने साथ मिला लिया था सिराजुधौल को हराकर मिर्जाफर को नवाब बना दिया जाएँगा। प्लासी की लड़ाई को इसलिए . महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह अंग्रेजों व कंपनी की पहली जीत थी।

                 "प्लासी का युद्ध "(1757)

          सिराजुद्यौला                  रॉबर्ट क्लाइव

    

प्यासी की जंग के बाद सिराजुधौल को मार दिया गया और मिर्जा कर' को बंगाल का नवाब बनाया गया। अभी भी शासन की जिम्मेदारी संभालने को कंपनी तैयार नहीं थी क्योंकि उसका मूल उद्देश्य था व्यापार को बढ़ाना।

परंतु जल्द ही कंपनी को एहसास होने लगा कि ये रास्ता भी सरल नहीं था। क्योंकि कठपुतली नवाब भी सदैव कंपनी के इशारों पर नहीं चलेते थे। आखिरकार उन्हें भी तो अपनी पुजा की नजर में सम्मान और सम्प्रभुता का दिखावा करना पड़ता था।

जब मिर्जाफर ने कंपनी के खिलाफत की तो कंपनी ने उसे हयकर मीर  कासिम को नवाब बना दिया जब मीर कासिम परेशान करने लगा तो कंपनी ने इसका भी हल निकाला बिहार के बक्सर जिले में अंग्रेजों और मीर कासिम का युद्ध हुआ जिसे बक्सर के युद्ध के नाम से जाना गया। इस युद्ध के बाद मीर कासिम को बंगाल से भगा दिया गया और उसके शासन  स्थान पर फिर दुबारा मीरजाफर को नवाब बनाया।

*बक्सर युद्ध के बाद कंपनी की स्थिति :-  बक्सर युद्ध के बाद कंपनी की स्थिति काफी मजबूत हुई अब नवाब की प्रत्येक महीने 5 लाख रुपये कंपनी को चुकाने पड़ते थे । कंपनी को अपने सैनिक खर्चों से निपटने व्यापारिक ज़रूरतों तथा अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए और पैसा चाहिए था, कंपनी ज्यादा इलाके तथा और ज्यादा कमाई चाहती थी। सन् 1765 में मीरजाफर की मृत्यु हुई तो उसके बाद कंपनी के इरादे बदल  चुके थे। कठपुतली नवाबों के साथ अपने खराब अनुभवों को देखते हुए क्लाइव ने ऐलान किया कि अब में स्वयं ही नवाब बना पड़ेगा।"

                        "बक्सर का युद्ध "

              मीर कासिम              रॉबर्ट क्लाइव


प्र.1.1857 के विद्रोहियों ने सैन्य विद्रोह को कैसे शुरू किया था?

उतर.i) सिपाहियों ने विशेष संकेत के साथ सैन्य कार्यवाही शुरू की।

ⅱ) कई जगह शाम के समय तोप का गोला दागा गया।

iii)'तो कहीं बिगुल बजाकर विद्रोह। का संकेत दिया


प्र.2. सिपाहियों की कतारों में हुए इन छिटपुट विद्रोह ने जल्द ही एक  चौतरफा विद्रोह " का रूप कैसे ले लिया स्पष्ट कीजिए।

उतर. 1857 के विद्रोह को लेकर इतिहासकारों में मतभेद देखने को मिलेते है कुछ इसे सुनियोजित बताते है, तो कुछ समय की स्थिति और परिस्थितियों का परिणाम बतातें है। वास्तव में सिपाहियों के छोटे समूह द्वारा शुरु किया गया। यह बहुत जल्द ही संपूर्ण उत्तर भारत में जंगल की आग की तरह फैल गई जिनके मुख्य कारण निम्न थे:

i) विद्रोह को सुनियोजित तरीके से शुरू करना और आगे बढ़ाना।

ii) ब्रिटिश शास्त्रागारों पर कब्जा कर लिया गया और सरकारी खजानों की लूटा गया।

iii),  बड़ी संख्या में आम लोगों का विद्रोह में शामिल होना।

iv) बिटिश सरकार के प्रशासनिक, वित्रिय व भव्वेदार इमारतों को नूकसान पहुंचाया गया।

v)लखनऊ, कानपुर और बरेली के साहुकारों व अमीरों की लूटना और तबाह करना ।

vi) अतः विद्रोहियों ने उन सभी वस्तुओं और इंसानों को नूकसान पहुंचाया जो अंग्रेजो से जुड़ी हुई थी, इसलिए सिपाहियों की कतारों में हुई इन हिरपुर विद्रोहों ने जल्द ही एक चौतरफा  का रूप ले लिया। शासन की सत्ता और सौंपनो की बरेआम अवहेलना की गई।

प्र 3. फिरंगी क्या है?

उतर . फ़िरंगी फ़ारसी भाषा का शब्द है जो फ्रक से निकला हैं जिसका प्रयोग पश्चिमी देशों के लोगों का मज़ाक उड़ाने के लिए किया जाता है।

प्र.4 विद्रोहियों में किस प्रकार एक उत्तम 'संचार का माध्यम काम कर रहा था ?

उतर . i)सातवीं अवध इरेगुलर कैवेलरी के नए कारतूसों का प्रयोग करने से इंकार करना।

ii) सिपाही व उसके संदेशवाहक का एक जगह से दूसरी जगह आना और जाना।

iii) सिपाहियों के बीच अंग्रेजों के खिलाफ बगावत के मनसूबे गढ़ना।

iv) अवध मिलिट्री पुलिस के कैप्टन हियसे की मौत की नींद सुला देना या उसे गिरफ्तार कर 41 वीं नेटिव  के इन्फेंट्री कर देना।

v) चार्ल्स बॉल " के अनुसार सिपाहियों की पंचायत रात को कानपुर सिपाही लाइन में जुड़ती थी जिसमें सामूहिक रुप से निर्णय लिए जा रहे थे।

वि)सिपाहियों की जीवन शैली एक होना और एक ही जाति समूह से संबंधित होना।

vii) विद्रोह के कर्ता -धर्ता स्वयं होना ।

अंतः इन सभी से पता चलता है कि विद्रोहियों के बीच एक गजब संचार व्यवस्था काम कर रही थी।


            * 1857 के विद्रोह के प्रमुख नेता

i) बहादुरखाह जफर।             दिल्ली 

ii) नाना साहब।                   कानपुर 

iii) रानी लक्ष्मीबाई              झांसी 

iv) कुंवर सिंह।                   आरा 

v) बिरजीस कद्र।                  लखनऊ 

vi) गोनू                    (छोटा नागपुर में स्थित सिंहभूमि के                                                    आदिवासी काश्तकार)


प्र. 1857 के विद्रोह में अफवाहों और भविष्यवाणियों के जरिए किस प्रकार लोगों को उठ खड़ा होने के लिए उकसाया जा रहा था?

 उतर. i) मेरठ से दिल्ली आने वाले सिपाहियों ने बहादुर को उन कारतूसों के बारे में बताया था जिन पर गाय और सुअर की चर्बी का लेप लगा था। उनका कहना था कि अगर वे इन कारतूसों को मुँह से लगाएंगे तो उनकी जाति और मजहब दोनों भ्रष्ट हो जाएंगा।

ii) सिपाहियों का इशारा  एनफील्ड राइफल के उन कारतूसों की ही तरफ था जो हाल ही में उन्हें दिए गए थे। अंग्रेजों ने सिपाहियों को लाख समझाया कि ऐसा नहीं है लेकिन यह अफ़वाह ऊतर भारत की छावनियों में जंगल की आग की तरह फैलती चली गई।

iii) 1857 की शुरुआत की तक उत्तर भारत में यही एक अफवाह नहीं थी। यह अफवाह भी जोरों पर थी कि अंग्रेज सरकार ने हिन्दुओं और मुसलमानों की जाति और धर्म को नष्ट कसे के लिए एक भयानक साजिश रच ली है।

iv) अफ्वाह फैलाने वालों का कहना था कि इसी मकसद को हासिल करने के लिए अंग्रेजों ने बाजार में मिलने वाले आटे में गाय और सुअर की हड्डियों का चूरा मिलवा दिया है। शहरों और छावनियों में सिपाहियों और आम लोगों ने आटे को छूने से भी इनकार कर दिया।

v)  ब्रिटिश अफसरों ने लोगों को अपनी बात का यकीन दिलाने का भरसक प्रयास किया लेकिन नाकामयाब रहे। इन्हीं बेचैनी ने लोगों को अगला कदम उठाने के लिए झिंझोड़ा।

vi) चारों तरफ इस आयशा का भय और बाक बना हुआ था अंग्रेजो हिन्दुस्तानियों को इसाई बनाना चाहते है। यह बैचेनीं बहुत तेजी से फैली। 

vii)  किसी बड़ी कारवाही के आह्‌वान को इस भविष्यवाणी से और बल मिली कि प्लासी की जंग के  100 साल पूरे होते ही । 23 जून 1857 को अंग्रेजों राज खत्म हो जाएगा

viii) बात सिर्फ अफवाहों तक सीमित नहीं थी। उत्तर भारत के विभिन्न भागों से गाँव गाँव में चपातियाँ बाटने की रिपोर्ट आ रही थी। बताते हैं कि रात में एक आदमी आकर गाँव के चौकीदार को एक चपाती तथा पाँच और चपातियाँ बनाकर सांगेल गाँव में पहुंचाने का निर्देश दे जाता था। और यह सिलसिला यूँ ही चलता जाता था।


प्र.6. लोग 1857 के दौरान फैली अफ़वाहों में विश्वास क्यों कर रहे थे ?

उतर . i) इतिहास में अफ़वाहो और भविष्यवाणियों की ताकत को सिर्फ इस आधार पर नही समझा जा सकता कि वे वाकई में सच है या नहीं। ये अफवाहें और भविष्यवाणियों के भय * उनकी आकाक्षाओं, उनके विश्वासों और प्रतिबद्धताओं के बारे में क्या बताती है।

ii) आफवाहे तभी फैलती है जब उसमें लोगों के जहन में गहरे दबे डर और संदेह की अनुगूँज सुनाई देती है।

iii) सगर राहुल की इस अफवाहों को 1820 के दशक से अंग्रेजो द्वारा अपनाई जा रही नीतियों के संदर्भ में देखा जाए तो उनका मतलब ज्यादा आसानी से समझा जा सकता है।

iv)  गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक के नेतृत्व में उसी समय से ब्रिटिश सरकार पश्चिमी शिक्षा, पश्चिमी विचारो , और पश्चिमी संस्थानों के जरिए भारतीय समाज की "सुधासे के लिए खास तरह की नीतियों लागू कर रही थी। 

v) भारतीय समाज के कुछ तबकों की सहायता से उन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए थे जिनमें पश्चिमी विज्ञान और उदार, कलाओं के बोरा में पढ़ाया जाता था। अंग्रेजों ने सती प्रथा को खत्म कैस (1829) और हिन्दु विधवा विवाह को वैधता देने के लिए कानून बनाए थे।

vi)  शासकीय दुर्बलता और दत्तकता को अवैध घोषित कर देने जैसे बहानों के जरिए अंग्रेजों ने केवल अवद्य  बलकी झासी और सतारा जैसी बहुत सारी दूसरी रियासतों की भी कब्जे में ले लिया था।

vii)  ऐसी कोई रियासत या इलाका उनके कब्जे में आता था, वहाँ अंग्रेज अपने ढंग की शासन व्यवस्था, अपने क़ानून, भूमि विवाद के निपटारे की अपनी पद्धति और भूराजस्व वसूली की अपनी व्यवस्था लागू कर देते थे। उत्तर भारत के लोगों पर इन सब कार्रवाइयों का गहरा असर हुआ।

viii) लोगों को लगता था कि वे अब तक जिम चीजों की कद्र करते थे जिनको पवित्र मानते थे- लगान से- उन सबको खत्म करके एक ऐसी अदायगी की प्रणाली व्यवस्था लागू की जा रही थी जो ज्यादा हृदयहीन, पराई और दमनकारी थी।

अतः इसलिए लोगों के जहन मे उस दौर में चल रही अफवाहों की जानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था, अतः ईसलिए लोग अफवाहों में विश्वास करते थे।

प्र.7 ये गिलास फल (chery) एक दिन हमीर से हुई अ आकर गिरेगा" यह कथन कब, किसने और किसके बारे' में कहा था?

उतर . सन् 1851 में गवर्नर जनरल लॉड  डलहौजी ने अवध की रियासत के बारे में कहा था कि " से गिलास फल एक दिन हमारे ही मूहँ में आकार गिरेगा।"

प्र. 8 अवध रियासत पर सहायक संधि कब थोपी गई थी ? इसकी मुख्य शर्त क्या थी?

उतर . सन् 1801 में अवध रियासत पर सहायक संधि थोपी गई थी।

सहायक संधि की मुख्य शर्ते :-

i) नवाब अपनी सेना को खत्म कर दें।

ii) रियासत में अंग्रेज टूकड़ियों की तैनाती की इजाजत दें।

ⅲ) दरबार में मौजूद ब्रिटिश रेजिडेंट की सलाह पर, काम करें।

प्र 9. सहायक संधि से आप क्या समझते हैं? अंग्रेजों के साथ यह संध्धि करने वालों की क्यों शर्ते माननी पड़ती थी?

उतर . सहायक संधि लॉर्ड बेलेजली द्वारा 1708 में तैयार की गई एक व्यवस्था थी।

शर्ते:–

i) अंग्रेज अपने सहयोगी की बाहरी और आंतरिक चुनौतियों से रक्षा करेंगे।

ii) सहयोगी पक्ष के भूक्षेत्र में एक ब्रिटिश सैनिक टुकड़ी तैनात होंगी।

iii) सहयोगी पक्ष को इस टूकड़ी के रख रखाव की व्यवस्था करनी होगी।

iv) सहयोगी पक्ष न तो किसी और शासक के साथ संधि, कर सकेगा और न ही अंग्रेजों के अनुमति के बिना किसी युद्ध में हिस्सा लेगा।

प्र.10 अवध पर कब्जे में अंग्रेजों की दिलचस्पी क्यों बढ़ती जा रहीं थी?

उतर.  क्योंकि उन्हें लगता था कि वहाँ की ज़मीन "नील" और "कपास" की खेती के लिए उपयुक्त है और इस इलाके की उत्तरी भारत के एक बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता है।

प्र 11 " वाज़िद अली शाह" कौन थे, और इसको कहाँ से हराकर "कलकत्ता निष्कासित कर दिया था ? अंग्रेजों ने इसके पीछे क्या कारण बताएँ?

उतर .वाजिद अली शाह, अवध के नवाब थे और इनको अवध से हटा  कर कलकत्ता निष्कासित कर दिया था। अंग्रेजों ने इसके पीछे कारण बताया कि वह अच्छी तरह शासन नहीं चला रहे, थे।

प्र 12. सन् 1857 के विद्रोह में किस प्रकार तमाम भावनाएं और मुद्दे, परंपराएँ और निष्ठाएँ अभिव्यक्ति हो रही थी?

उतर. क्योंकि बाकी जनो के मुकाबले अवध में यह विद्रोह एक, विदेशी : शासन के खिलाफ लोग प्रतिरोध की अभिव्यक्ति बन गया था।

प्र13. ताल्लुकदारों की मुख्य विशेषताएँ क्या थी?

उतर ii). अंग्रेजों के आने से पहले ताल्लुकदारों के पास हथियार बंद सिपाही होते थे। उनके पास अपने किले होते थे। अगर वे की संप्रभुता को स्वीकार कर लें और अपने नवाब ताल्लुकदार का राजस्व चुकाते रहें तो उनके पास काफी स्वतंत्रता होती थी।

ⅱ) कुछ बड़े ताल्लुकदारों के पास तो 12,000 तक पैदल सिपाही होते थे। छोटे - मोते ताल्लुकदार के पास भी 200 सिपाहियों की टुकड़ी तो होती ही थी। अंग्रेज ताल्लुकदारों की सत्ता को बर्दास्त करने के लिए कतई तैयार नही थे। अधिग्रहण के फौरन बाद ताल्लुकदारों की सेनाएँ भंग कर दी गई। उनके दुर्ग ध्वस्त कर दिए गए। أ

प्र 14. एक बंदोबस्त से आप क्या समझते है?

उतर. सन् 1856 में एक मुश्त बंदोबस्त के नाम से ब्रिटिश भूराजस्व व्यवस्था लागू कर दी गई।

* एकमुश्त बंदोबस्त की मूख्य मान्यताएँ :-

i) यह बंदोबस्त इस मान्यता पर आधारित थी ताल्लुक दार बिचौलिए थे जिनके पास जमीन कर मालिकाना नही था।

ii) उन्होंने बल और धोखाधड़ी के जरिए अपना प्रभुत्व स्थापित किया था।

प्र 15. तालुकदारो  को छीनने के  बाद अवध में सामाजिक व्यवस्था भंग क्यो हो गई थी।

उतर.i)  निष्ठा और संरक्षण के जिन बंधनों से किसान ताल्लुकोदारों के साथ बंधे हुए थे वे अस्त व्यस्त हो गए।

ii) अंग्रेज से पहले ताल्लुकदार ही जनता का उत्पीड़न करते थे लेकिन जनता की नजर में बहुत सारे ताल्लुकदार दयालू अभिभावक की छवि भी रखते थे।

iii) वे किसानों से तरह- तरह के मद में पैसा तो वसूलते थे लेकिन बुरे कक़्त में किसानों की मदद भी करते थे। अब अंग्रेजों के राज में किसान मनमाने राजस्व आकलन और गैर- लचीली राजस्व व्यवस्था के तहत बुरी तरह पिसने लगे थे।

iv) न ही किसानों को इस बात की  उम्मीद तीज त्यौहारों पर कोई कर्जा और मदद मिल पाएगी जो पहले ताल्लुकादारों से मिल जाती थी। 

प्र 16. 1857 के जनविद्रोह से पहले के सालों में सिपाहियों के अपने गोरे अफसरों के साथ रिश्ते किस प्रकार बदल चुके थे।

उतर .1820 के दशक में अंग्रेज अफसर सिपाहियों के साथ दोस्तांना ताल्लुकात पर खासा जोर देते थे.

ii) वे उनकी मौजमस्ती में शामिल होते थे, उनके साथ मल्ल- युद्ध करते थे, उनके साथ तलवारबाजी करते थे और उनके साथ शिकार पर जाते थे।

iii) उनमें से बहुत सोर तो बखूबी हिन्दुस्तानी बोलना जानते थे और यहाँ के रीति-रिवाजों व संस्कृति से वाकिफ़ थे।

iv) उनमें अफसर की कड़क और अभिभावक का स्नेह दोनों निहित थे।

प्र 17: 1840 के दशक में अंग्रेज अफसरों और सिपाहियों के रिश्ते किस प्रकार बदल गए थे?

उतर i ) 1840 के दशक में स्थिति बदलने लगी। अफ़सरों में श्रेष्ठता का भाव पैदा होने लगा और वे सिपाहियों को कमतर नस्ल के मानने लगे। वे इनकी भावनाओं की जरा-सी भी फ़िक्र नही करते थे।

ⅱ) गाली गलौज और शारीरिक हिंसा सामान्य बात बन गई सिपाहियों व अफ़सरो के बीच फासला बढ़ता गया। भरोसे की जगह संदेह ने ले ली। चिकनाई युक्त कारतूसों की घटना इसका एक बढ़िया उदाहरण थी।

प्र 18. 1857 के विद्रोह के समय भारत में सिपाहियों औ ग्रामीण जगत के बीच गहरे संबंध किस प्रकार स्थापित हुए थे? स्पष्ट कीजिए ।

उतर. i) बंगाल आर्मी के सिपाहियों मे से बहुत सारे अवध और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाँवों से भर्ती बोकर आए तो " बंगाल आर्मी की पौधशाला " कहा जाता था। बलकी अवध के उनमें से बहुत सारे ब्राह्मण या "ऊंची जाति के थे।

ⅱ) सिपाहियों के परिवार अपने ईद-गिर्द जिन बदलावों को देख रहे थे और उन्हें जो खतरे दिखाई दे रहे थे वे जल्द ही सिपाही लाइनो में भी दिखाई देने लगे।

iii) दूसरी ओर, कारतूसों के बारे में सिपाहियों का भय छुट्टियों के बोर में उनकी शिकायत, बढ़ते दुर्व्यवहार और नस्ली गाली-गलौज के प्रति बढ़ता असंतोष गाँवो मे भी प्रतिबिंबित होने लगा था।

iv) सिपाहियों और ग्रामीण जगत के बीच मौजूद इस संबंधों से जनविद्रोह के रंग-रूप पर गहरा असर पड़ा जब सिपाही अपने अफसरों की अवज्ञा करते थे और हथियार उठाते थे तो फ़ौस ही गाँवों में उनके भाई- बिरादरी भी उनके साथ आ जुटते थे। हर कहीं किसान शहरों में पहुंचकर सिपाहियों और शहरों के आम लोगों के साथ जुड़ कर विद्रोह के सामूहिक कृत्य में शामिल हो रहे थे।

प्र 19. विद्रोही क्या चाहते थे ?

उतर . प्रस्तावना : विद्रोहियों के प्रति अंग्रेजों का रवैया बहुत अपमान जनक था। अंग्रेज विद्रोहियों को एहसानफरामोश और बर्बर. लोगों का झुंड मानते थे। वे विद्रोहियों की आवाज को दबाता चाहते थे परंतु फिर भी बहुत से विद्रोही कुछ खास प्रकार का अस्तित्व प्राप्त करने चाहते थे ताकि वे अंग्रेजों के प्रभाव से पूर्ण रूप से मुक्त हो सकें।

i) विद्रोहियों मे ज्यादातर सिपाही और आम लोगों का अनपढ़ होना।

ii) विद्रोहियों के पास जानकारी के सीमित स्रोत का होना।

iii) अंग्रेजों के दस्तावेजों पर निर्भर होना।

iv)  विद्रोहियों के बीच सामान्य नीतियों का अभाव होना ।

प्र 20.विद्रोही: किस प्रकार अंग्रेजों के उत्पीड़न के प्रतीकों के खिलाफ थे स्पष्ट कीजिए ।

उतर.i) देशी रियासतों पर क़ब्ज़े और समझौतों का उल्लंघन करने के लिए अंग्रेजों की निंदा की जाती थी। विद्रोही नेताओं का कहना था कि अंग्रेजों पर भरोसा नही किया जा सकता ।

ⅱ) लोगों को इस बात पर ब्रिटिश भूराजास्व व्यवस्था ने बड़े छोटे भूस्वामियों को जमीन सौ बेदखल कर दिया था और विदेशी व्यापार ने दस्तकारों और बुनकरे को: तबाह कर डाला था। फिरंगियों पर स्थापित और सुंदर जीवन - शैली को नष्ट  करने का आरोप लागाया जाता था। दुनिया को दोबारा बहाल करना चाहते थे।

iii) विद्रोही उद्‌घोषणाएं इस व्यापक उर को व्यक्त करती थी कि अंग्रेज, हिन्दूओं और मुसलमानों की जाति और धर्म को नष्ट करने पर तुले है और वे लोगों को ईसाई बनाना चाहते हैं। इसी वजह से लोग चल रही अफवाहों पर भरोसा कसे लगे लोगों को प्रेरित किया गया की वे इकट्ठे मिलकर अपने रोजगार, धर्म, इज्जत और अस्मिता के लिए लड़े। यह 'व्यापक सार्वजनिक जलाई' की लड़ाई होगी।

iv) बहुत सारे स्थानों पर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह उन् तमाम ताकतों के विरुद्ध हमले की शक्ल ले लेता था। जिनको अंग्रेजों के हिमायती या जनता का उत्पीडक समझा जाता था

प्र.21. बिटिश शासन ध्वस्त हो जाने के बाद दिल्ली, लखनऊ और कानपुर जैसे स्थानों पर विद्रोहियों ने किस प्रकार की सत्ता और शासन संरचना स्थापित कसे का प्रयास किया ?

उतर. विद्रोही नेता अठारहवीं सदी की पूर्व - ब्रिटिश दुनिया को पुनर्स्थापित करना चाहते थे। इन नेताओं ने पुरानी दरबारी का सहायता लिया । विभिन्न पदों पर न्यूक्तियाँ की गई। भूराजस्व वसूली और सैनिकों के वेतन के भुगतान का इंतजाम किया गया।

ⅱ) लूटपाट बंद करने के लिए हुक्मानो जारी किए गा इसके साथ- साथ अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध जारी रखने की योजनाएँ भी बनाई गई।  इस सदी के मुगल भारत • सारे प्रयासों के प्रेरणा सेना की कमान ले रहे। रहे थे। यह जगत उन तमाम चीजों का प्रतीक बन गया जो उनसे छिन चुकी थी।

ⅲ) विद्रोहियों द्वारा स्थापित शासन संरचना का प्राथमिक उद्देश्य युद्ध की जरूरतों को पुरा करना था। लेकिन ज्यादातर मामलो में ये संरचनाएँ अंग्रेजों की मार बरदाश नही कर पाई 

iv) अवध में अंग्रेजों के खिलाफ प्रतिरोध सबसे लंबा चला वहाँ लखनऊ दरबार द्वारा जवाबी हमले की योजनाएँ कारी जा रही थी और 1857 के आखिर तथा 1858 के शुरुआत तक हुकुम की श्रेणियों वजूद में थी।

प्र 22. अग्रेजों ने विद्रोही को शांत करने के लिए कौन-से दो कदम उठाएँ थे?

उतर. ⅰ) 1857 में "मार्शल लॉ" लागू कर दिया गया।

ii) अंग्रेज फौजी अफसरों और यहाँ तक की आम अंग्रजों को भी ऐसे हिन्दुस्तानियों पर मुकदमा चलाने और उनको सजा देने का अधिकार दे दिया गया जिन पर विद्रोह में शामिल होने का शक था।

प्र. 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों ने किन दो तरफ से विद्रोहियों के खिलाफ हमले किए ?

उतर.i)कलकता

      ii)पंजाब

प्र.24 सन् 1857 के विद्रोह को कुचलना अंग्रेजो के लिए बहुत आसान क्यों नही था?

                                     OR

अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए क्या कदम उठाए

उतर i) विद्रोहियों की तरफ से भी दिल्ली  के सांकेतिक महत्व बखूबी समझते थे।उन्होंने दोतरफा हमला बोल दिय एक तरफ कलकते से, दूसरी तरफ पंजाब से दिल्ली की तरफ कूच हुआ हालांकि पंजाब केमावेश शांत था।

ii) दिल्ली को कब्जे में लेने की अंग्रेजों की कोशिश जून 1857 में बड़े पैमाने पर शुरू हुई लेकिन यह मुहिम सितंबर के आखिर में जाकर हो पाई।

iii) गंगा के मैदान में भी अंग्रेजों की रहा बढ़त का सिलसिला धीमा रहा अंग्रेजी टुकड़ियों को गाँव- दर गाँव जीतना था। आम देहाती जनता और आस-पास के लोग उनके खिलाफ थे।

iv) जैसे ही उन्होंने अपनी उपद्रव विरोधी कारवाई शुरू की, अंग्रेजों को अहसास हो गया कि उनका सामना सिर्फ सैनिक विद्रोह से नही है, वे ऐसे आंदोलन से जूझ रहे हैं जिनके पीछे बेहिसाब जन समर्थन मौजूद है।

प्र .25. 1857 के विद्रोह की मुख्य छवियाँ क्या रही थी?

उतर .i) विद्रोहियों की घोषनाएँ, अधिसूचनाएँ और नेताओं के प्रमुख पत्र ।

ii) सरकारी ब्योरे जैसे औपनिवेशिक प्रशासक और फौजियों की चिट्ठियों, डायरियों में दर्ज महत्वपूर्ण सूचनाएँ।

iii) ब्रिटिश अखबारों और पत्रिकाओं में विद्रोह से संबंध महत्वपूर्ण सूचनाएँ ।

प्र 27. "रिलीफ ऑफ लखनऊ" नामक चित्र की रचना कब और किसने की थी?

उतर. सन् 1859 में टॉमस जोन्स बार्कर ने रिलीफ ऑफ लखनऊ नामक चित्र की रचना की थी।


प्र 28. "जोजेफ नोएल पेटन " द्वारा बनाई गई "इन मेमोरियम में अंग्रेज औरतों और बच्चों के बारे में कौन-सी • स्थिति का वर्णन किया गया है?

उतर i) इस चित्र में अंग्रेज औरतों और बच्चों एक घेरे मे एक-दूसरे से लिपटे दिखाई देते है। वे लाचार और माया दिख रहे है, मानों एक भयानक घड़ी की आशंका में हैं।

ii) वे अपनी बेइज्‌जती, हिंसा और मृत्यु का इंतजार कार रहे हैं। इन मेमोरियम में भीषण हिंसा नहीं दिखती : है बल्कि उसकी तरफ सिर्फ एक इशारा है।

iii) यह दर्शक की कालपना को झिंझोड़ती है और उसमें गुस्से और बेचनी का भाव को पैदा करती है। इसमें विद्रोहिय को हिंसक बताया गया है।

iv) कुछ अन्य चित्रों में हमें औरतों के अलग तेवर दिखाई देते इसमें वे विद्रोहियों के हमले से अपना बचाव करते हुए नज़र आती है। उन्हें वीरता की मूर्ति के रूप में दर्शाया या है जैसे " मिस व्हीलर " है। वह अकेले ही विद्रोहियों को मौत की नींद सुलाते हुए अपनी इज्ज़त की रक्षा करती है।

v) यहां इज्जत और जिंदगी की रक्षा के लिए औरतों के संघर्ष की आड़ में दरअसल एक गहरे धार्मिक विचार को प्रस्तुत किया गया है- यह ईसाइयत की रक्षा चित्र में धरती पर पड़ी किताब बाइबल है। का संघर्ष है।


" 1857 के विद्रोह में अंग्रजों का नेतृत्व कसे वोले प्रमुख                          अंग्रेज     अफसर "


↓ जेम्स ऑट्रम   और  हेनरी जेवलौक  और कॉलिन कैंपबल 

• 25 सितंबर को जेम्स  ऑट्रम और हेनरी हेवलॉक लखनऊ पहुँचे, और उन्होंने विद्रोहियों : को तितर-बितर कर दिया और ब्रिटिश  टूकड़ियों को नयी मजबूती प्रदान की।

अंग्रेजी के बयानों में लखनऊ की घेरा > बदी उत्तरlजीविका, बहादुराना प्रतिरोध और ब्रीटिश सत्ता की निर्विवाद विजय की कहानी बन गई।


कॉलिन कैंपबल 

25 sep. 1857 के 20 दिन बाद भारत में ब्रिटिश टुकड़िय का नया कमांडर कॉलिन कैम्पबेल भारी तादाद में सेना लेकर वहाँ पहुंचे और उनेक ब्रिटिश रक्षक सेना को घेरे से छुड़ाया 


प्र.29 बीसवीं सदी में राष्ट्रवादी आन्दोलन को 1857 के घटनाक्रम  से किस प्रकार प्रेरणा  रही थी?

उतर. i) इस विद्रोह के आसपास राष्ट्रवादी कल्पना का एक विस्तृत दृश्य जगत बुन दिया गया था। इसको प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में याद किया जाता था जिसमें देश के हर तबके के लोगों में साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी थी।

ii) इतिहास लेखन की तरह कला और साहित्य ने भी 1857 की स्मृति को जीवित रखने में योगदान दिया। विद्रोह के नेताओं को ऐसे नायकों के रूप में पेश किया जाता था जो देश को स्गस्थल की तरफ ले जा रहे हैं। उन्हें लोगों को दमनकारी साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ उत्तेजित करते हुए दिखाया जाता था।

iii)  एक हाथ में घोड़े की रास और दूसरे हाथ में तलवार धाम अपनी मातृभूमि की मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ने वाली रानी के शौर्य का गौरवगान करते हुए कविताएँ लिखी गई। रानी झांसी  को एक ऐसी मर्दाना शख्सियत के रूप में चित्रित किया जाता था जो दुश्मनों का पीछा करते हुए ब्रिटिश सिपाहियों को मौत की नींद सुलाते हुए आगे बढ़ रही है।

iv) देश के विभिन्न भागों में बच्चे सुभद्रा कुमारी चौहान की इन पंक्तियों को पढ़ते हुए बड़े हो रहे थे : " खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।" लोक छवियों में रानी लक्ष्मीबाई को प्रायः फौजी पोशाक में घोड़े पर सवार और एक हाथ में तलवार लिए दिखाया जाता है- अन्याय और विदेशी शासन के दृढ प्रतिरोध का प्रतीक है।