Class 12th History Chapter 6 Notes in Hindi (भक्ति सूफी परंपराएँ)

Class 12th History Chapter 6 Notes in Hindi (भक्ति सूफी परंपराएँ). तांत्रिक पूजा पद्धति से आप क्या समझते है? देवी की अराधना पद्धति को तांत्रिक नाम से

    
Class 12th History Chapter 6 Notes in Hindi

अध्याय 6 - भक्ति सूफी परंपराएँ नोट्स

Q1.तांत्रिक पूजा पद्धति से आप क्या समझते है?

उतर.देवी की अराधना पद्धति को तांत्रिक नाम से जाना जाता है।

Q2. तांत्रिक पूजा पद्धति की मुख्य विशेषता बताइए?

उतर.(i)तांत्रिक पूजा पद्धति उपमहाद्वीप के कई भागों में प्रचलित थी।

ⅱ) इसके अंतर्गत स्त्री और पुरुष दोनों ही शामिल हो सकते थे।

Q3 .पारंपरिक भक्ति परंपरा की मुख्य विशेषता क्या थी?

उत्तर 1) ब्राह्मण, देवताओं और भक्तजन के बीच महत्वपूर्ण बिचौलिए बने रहे।

ⅱ) भक्ति परंपरा की एक और विशेषता इसकी विविधता है।

Q4. सगुण और निर्गुण में अंतर स्पष्ट कीजिए?

उतर.    सगुण

(i) यह विशेषण सहित होते थे।

(ii)प्रथम वर्ग में शिव, विष्णु तथा उनके अवतार व देवियों की अराधना आती है, जिसकी मूर्त रूप में अवधारण हुई।

उतर. निर्गुण :-

i)यह विशेषण विहीन होते थे।

ii) जबकि निर्गुण गक्ति परंपरा में अमूर्त, निराकार ईश्वर की उपासना की जाती थी।

Q5. प्रारंभिक भक्ति आन्दोलन किसके नेतृत्व में हुआ ?

उतर. प्रारंभिक भक्ति आन्दोलन (लगभग छळी शताब्दी अलवारो (विष्णु भक्ति में तन्मय) और नयनारो (शिवभक्त) के नेतृत्व में हुआ।

Q6.अलवार और नयनार संत कौन थे और इनकी मुख्य विशेषता क्या थी?

उतर.विष्णु के भक्त को अलवार और शिव के भक्त को नयानार के नाम से जाना गया।

इसकी मुख्य विशेषता :-

(i) इन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान अलवार और नयनार संतो ने कुछ पावन स्थलो को अपने ईष्ट का निवास स्थल घोषित किया। 

ii) इन्हीं स्थलों पर बाद में विशाल मंदिरो निर्माण हुआ और वे तीर्थस्थल माने गए।

iii) संत कवियों के भजनों को दल मंदिरों में अनुष्ठानों के समय गाया जाता था और साथ ही इस संतो की प्रतिमा की जी पूजा की जाती थी।

Q7.अलवार और नयनार संतो का जाति के प्रति क्या दृष्टिकोण था ?

उतर. अलवार और नयनार संतों ने जाति प्रथा व ब्राह्मणों के विरोध में आवाज उठाई क्योंकि भक्ति संत विविध समुदायों से थे जैसे ब्राह्मण, शिल्पकार, किसान और कुछ तो उन जातियों से आए थे जिन्हें अपूश्वश्य माना जाता था

Q8. अलवार संतों का मुख्य काव्य संकलन कौन - सा था और इसे किस भाषा में लिखा गया था?

उत्तर. अलवार "संतो का मुख्य काव्य संकलन
 "नलयियदिव्यप्रबंधम् था जिसकी रचना तमिल भाषा में की गई थी।

Q.9.अलवार और नयनार स्त्री संतो के नाम बताइए?

उतर. i अरवार, स्त्री भक्त > अंडाल 
ii नयनार स्त्री भक्त करइक्काल म्मइ‌यार

Q10. दक्षिण भारत के किन मंदिरों का निर्माण चोल सम्राटों की मदद से किया गया था?

उतर. चिदम्बरम, तंजावुर, और, गंगैकोडचोलपुरम

Q.11. तबरम क्या है?

उतर. दक्षिण भारत के सम्राटों ने तमिल भाषा के शैव भाजनों को भायन को एक ग्रंथ में संकलित कर - वाया था जिसे तबरम के नाम से जाना गया।

12. चोल सम्राट ने किन दो कवियों की प्रतिमाएँ मंदिरो मे स्थापित करवाये थे?

उतर.i) अप्पार संबंदर

   ii) सुंदरार 

13. लिंगायत कौन थे और इनकी मुख्य विशेषता क्या थी?

उतर.बारहवीं शताब्दी में कर्नाटक में एक नवीन आन्दोलन का उद्‌भव हुआ जिसका नेतृत्व बासवन्ना(1106-68)नामक एका ब्राह्मण ने किया था इन्हीं के अनुयायी वीरशैव या लिंगायत कहलाए।

लिंगायतों की विशेषता :-

ⅰ) ये शिव की अराधना लिंग के रूप में करते थे।

ii) इस समुदाय के पुरुष वाम स्कंध पर चाँदी के एक पिटारे में एक लघु लिंग को धारण करते थे।

iii) लिंगायतों का विश्वास है कि मृत्योपंत भक्त कि में लिन हो जाएंगें तथा इस संसार में पुनः नही लेटिंगे।

iv) धर्मशास्त्र में बताए गए श्राद्ध संस्कार का वे पालन नहीं करते थे और अपने मृतकों को विधि पूर्वक दफनाते थे।

V)लिंगायतों ने जाति की अवधारणा और कुछ समुदायों के "दूषित " होने की ब्राह्मणी अवधारागा का विरोध किया।

Vi)) लिंगायतों ने पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया ।

viij इन्होंने व्यस्क विवाह और विधवा पुनर्विवाह, लिंगायतो को मान्यता प्रदान की।

vii) इन्होंने वीरशैव परंपरा की व्युत्पत्ति उन वचनों से है जो कन्नर भाषा में उन स्त्री पुरूषों द्वारा रचे गए जो इस आन्दोलन में शामिल

Q14.ऐसे कौन से धार्मिक थे जो रूढ़िवादी ब्राह्मणिय ढांचे के बाहर थे, और उनके प्रभाव से विस्तार हो रहा था?

उत्तर . नाथ, जोगी और सिद्ध ।

15. दिल्ली सल्तनत की स्थापना कब और किसने की थी?

उत्तर . दिल्ली सल्तनत की स्थापना 13वीं शताब्दी में तुर्को ने की थी।

Q16.उलमा कौन थे ?

उतर. उलमा इस्लाम धर्म के ज्ञाता थे इस धर्म के संरक्षक होने के नाते वे धार्मिक, कानूनी और अध्यापन संबंध जिम्मेवारी निभाते थे।

Q17ज़िम्मी कौन थे और ये कौन से कर चुकाते थे ?

उत्तर. जिम्मी वे लोग थे जो उद्घाटित धर्मग्रंथ को मानते थे, जैसे : इस्लामि शासकों के क्षेत्र में रहने वाले युहुदी और ईसाई । ये लोग जजिया नामक कर चुक थे।

18.शरिया क्या है?

उतर. शारिया मुसलमान समुदाय को निर्देशित करो वाला कानून है। यह कुरान शरीफ और हदीस पर आधारित है। 

Q19. इस्लाम धर्म की मुख्य बाते कौन-सी थी?

उतर. इस्लाम धर्म की मुख्य बातें निम्न थी:

ⅰ) अल्लाह एक मात्र ईश्वर है।

ⅱ) पैगम्बर मुहम्मद उनके दूत (शाहद) है।

iii)मुसलमान समुदाय के लोगों को दिन में पाँच बार नमाज पढ़ी जानी चाहिए।

iv) खैरात बाँटना चाहिए ।

v) रमजान के महीनों में रोज़ा रखना चाहिए और हज के लिए मक्का जाना चाहिए ।

Q20. मातृगृहता से आप क्या समझते है?

उतर. मातृ‌गृहता वह परिपाटी है जहाँ स्त्रियाँ विवाह के बाद आपने मायके में ही अपनी संतान के साथ रहती है और अके पति अके साथ आकर रह सकते हैं।

Q21. संद्धांतिक रूप से मुसलमान शासकों को किसके मार्ग  दर्शन पर चलना पड़ता था, और उलमा से क्या अपेक्षा की जाती थी?

उतर. सैद्धांतिक रूप से मुसलमान शासकों को उलमा के मार्गदर्शन पर चलना पड़ता था और उलमा से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे शासन में शरिया का अमल सुनिश्चित करवायेंगे ।

Q.22. चौदहवीं शताब्दी तक उत्तर भारत में होने वाले नवीन परिवर्तन कौन-से थे ?

उतर: i)राजपूत राज्यों का उदय ।

(ii) राज्यों में ब्राह्मणों का महत्वपूर्ण स्थान होना।

iii) नाथ, जोगी और सिद्ध जैसे धार्मिक नेताओं क रुढीवादी ब्राह्मणीय ढाँचे से बाहर होना।

iv)अनेक धार्मिक नेताओं ने वेदों की सत्ता को चुनौती दी और अपने विचार आम लोगों की भाषा में सामाने रखे।

V) भारत में तुर्की का अवागमन न

vi) भारत में सूफियों का अवागमन ।

Q23.सूफी से आप क्या समझते हैं और इसकी मुख्य विशेषता क्या थी?

उतर. इस्लाम की आरंभिक शताब्दियों में धार्मिक और राजनीतिक संस्था के रूप में खिलाफत की बढ़ती विषयशक्ति के विरुद्ध कुछ आध्यात्मिक लोगों का रहस्यवाद और वैराग्य की ओर झुकाव बढ़ा इन्ही लोगों को सूफी और इनकी विचारधारा को सूफ़िवाद कहा जाता था।

इसकी मुख्य विशेषता :-

i) इन लोगों ने रूढ़िवादी  परिभाषाओं तथा धर्माचार्यों द्वारा की गई कुरान और सुन्ना की वौद्धिक व्यवस्था की आलोचना की।

ii) उन्होंने मुक्ति की प्राप्ति के लिए ईश्वर के भक्ति और उनके आदेशों के पालन पर बल दिया।

(ii) पैगम्बर मोहम्मद को इंसान - ए- कामिल बताते हुए उनका अनुसरण कसे की सीख दी।

iv) गवारहवीं शताब्दी तक आते-आते सूफ़िवाद एक पूर्ण विकसित आंदोलन या जिसका सूफि और कुरान से जुड़ा अपना साहित्य था।

V) संस्थागत दृष्टि से सूफ़ि अपने को एक संगठित समुदाय खानकाह के इर्द-गिर्द स्थापित करते थे।

vi) खानकाह का नियंत्रण शेख, पीर अथवा मुर्शीद के हाथ में था।

24. सुफ़ियों ने क्या बताते हुए पैगम्बर मोहम्मद का अनुसरण करने की सीख दी?

उतर.इंसान-ए-कामिल

25. सिलसिला शब्द से आप क्या समझते हैं?

उतर. सिलसिला का शाब्दिक अर्थ जंजीर है जो सेख और, मुरीद के बीच एक निरंतर रिश्ते की घोतक है, जिसकी पहली अटूट कही पैगम्बर मुहम्मद से जुड़ी है।

26 उर्स किसे कहते है?

उत्तर. पीर की मृत्यु के बाद उसकी दरगाह उसके मुरीदों के लिए भक्ति का स्थल का बन जाती थी। इस तरह पीर की दरगाह पर जियारत के लिए जाने की, खास तौर से उनकी बरसी के अवसर पर यह परिपाटी चल निकली जिसे उसे कहा जाता था।

Q27.खानकाह के बाहर के फ़कीर किन-किन नामों से. जाने जाते थे?

तर i) कलंधर

ⅱ) मदारी

iii) मलंग

iv) हैदर

Q28.बे शरिया और बा- शरिया में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उतर .बे शरिया: शरिया की अवहेलना करने वाले लोगों को बे शरिया कहा जाता था।

बा शरिया :- शरिया के नियमों के पालन कसे वालों लोगों की बा- शरिया कहा जाता था।

29. बारहवीं शताब्दी के अंत में भारत में आने वाली सूफी समुदायों ने चिश्ती शब्द से अधिक प्रभावशाली क्यों रहे?

उतर. क्योंकि उन्होंने न केवल अपने आप को स्थानीय परिवेश में अच्छी तरह ढाला बल्कि भारतीय भक्ति परंपरा के कई विशिष्ठताओं को भी अपनाया ।

30. शेख की दरगाह पर आने वाले दो प्रमुख कवि और एक इतिहासकार कौन थे?

उतर कवि :- (I) अमीर हसन सिजडी 
              ( ii )अमीर खुसरो

इतिहासकार :- ज़ियाऊद्दीन बरनी

Q31.किन कारणों से शेख का यश चारों ओर फैल गया?

उतर. शेख निजामुद्दीन ने कई आध्यात्मिक वासियों का चुनाव किया और उन्हें उपमहाद्वीप के अलग अलग भागों से खानकाह  स्थापित करने के लिए नियुक्त किया। इस वजह से चिश्तियो के उपदेश, व्यवहार और संस्थाएँ तथा शेख का यश चारों और फैल गया। उनकी तथा उनके आध्यात्मिक पूर्वजों की दरगाह पर अनेक तीर्थयात्री आने लगा।

Q32. गरीब नवाज किसे कहते है?

उतर. पिछले सात सौ सालों में अलग- अलग संप्रदायों, वर्गी और समुदायों के लोग पाँच महान चिश्ती संतो की दरगाह पर अपनी आस्था प्रकट करते रहे है, परंतु इनमें सबसे पूजनीय दरगाह ख्वाजा मुइनुद्दीन की है. जिन्हें 'गरीब नवाज कहा जाता है।

Q33.सोलहवीं शताब्दी  तक आते - आते अजमेर की दरगाह बहुत लोकप्रिय क्यों हो गई थी ? स्पष्ट कीजिए।

उतर.i) इस दरगाह को जानने वाले तीर्थ यात्रीयों के भजनों ने ही अकबर को यहाँ आने के लिए प्रेरित किया। अकबर ने इस दरगाह की यात्रा चौदह बार की। कभी-कभी तो साल में दो-तीन बार यात्राएं की। कभी नई जीत के लिए आर्शीवाद लेने अथवा संकल्प की पूर्ति पर या फिर पूत्रों के जन्म पर।

ⅰi) उन्होंने यह परंपरा 1580 तक बनाए रखा । प्रत्येक यात्रा पर अकबर द्वारा दान भेंट दिया जाता था। ईन दान-भेंट के ब्योरे शाही दस्तावेजों में दर्ज है। उदाहरण के लिए, 1568 में उन्होंने तीर्थयात्रियों के लिए खाना पाने के लिए एक विशाल देश दरगाह को भेंट की। उनहोंने दरगाह के अहाते मे एक मस्जिद का भी निर्माण कराया।

iii) नाच और संगीत भी जियारत के हिस्से थे, खासतौर से कव्वालों द्वारा प्रस्तुत रहस्यवादी गुणगान जिससे परमानंद की भावना को उभारा जा सकें।

iv) सुफी संत ज़िक्र या फिर समा यानी आध्यात्मिक संगीत द्वारा ईश्वर की उपासना में विश्वास रखते थे। चिश्ती उपासना पद्धति में सभा का काफी महत्व इस तथ्य की पुष्टि करता है कि चिश्ती स्थानीय भक्ति परंपरा से जुड़े है।

Q34. ख्वाजा मुईद्दीन चिश्ती की दरगाह पर आने वाला पहले सुल्तान कौन था ?

उतर . मोहम्मद बिन तुगलक

 Q35. अमीर खुसरों कौन थे।

उतर. अमीर खुसरों भान कवि संगीतकार तथा शैख निज़ामुद्दीन औलियों के अनुयायी थे।

Q36. बारहवीं शताब्दी के शासक सूफी संत का समर्थन हासिल क्यों करना चाहते थे?

उतर. क्योंकि सभी संतो की धर्मिष्ठा, विद्वता और लोगों द्वारा उनकी चमत्कारी शक्ति के विस्वास उनकी लोकप्रियता का कारण था यही कारण था कि शासक भी उनका सर्मथन हासिल करना चाहते थे।


37.किस माध्यम से इस्लाम दक्कन के गाँवों में जगह पाने में सफल हुआ ?

उतर. लिंगायतों द्वारा लीखें गए कन्नड़ के वचन और पंदरपुर के संतो द्वारा लिखे गए मराठों के अभंगो ने भी उन पर अपना प्रभाव छोड़ा । इस माध्यम से इस्लाम दक्कन के भागों में जगह पाने में सफल हुआ।

Q38. कबीर जी का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखें।

उत्तर. संत कबीर दास जी का जन्म 1440 ई. में यूपी के बनारस के पास स्थित लहरतारा उनकी पत्नी का नाम लोई और उनका पालन पोषण जुलाहा परिवार में हुआ था। वैसे तो यह वास्तिविक नहीं है क्योंकि संत रामानन्द ने एक विधवा ब्राह्मण स्त्रियों को पुत्र होने का आशीर्वाद दे दिया था तो उस महिला ने उस शिशु को लहरतारा तालाब के पास फ़ेंक दिया वही पर नीख और जीमा नामक दो पति पत्नी दो मूलखप से जलाए थे इस बच्चे को देखा और उठाकर अपने घर ले आएं और उनका पालन पोषण किया इस तरह उसका जन्म हिंदू परिवार और पालन-पोषण मुस्लिम जुलाहा परिवार से हुआ । अतः उनकी मृत्यु 1518 ई. में मगहर में हुआ।

39.बाबा गुरूनानक जी का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखें?

उतर. बाबा शुरु नानक (1469-1539) का जन्म एक हिन्दु व्यापारी परिवार में हुआ। उनका जन्मस्थल मुख्यतः इस्लाम धर्मावलंबी पंजाब का ननकाना गाँव था जो रावी नदी के पास था। उन्होंने फ़ारसी पढ़ी और लेखाकार के कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया । उनका विवाह छोटी आयु में हो गया था किन्तु वह अपना अधिक समय सूफी और भक्त संतो के बीच गुजारते थे। उन्होंने दूर दराज की यात्राएं भी की।


*.योगी परंपरा के कुछ शब्दों का भी प्रयोग कबीर ने किया, जैसे :- शब्द और शून्य ।

* कबीर ने हिन्दू और मुसलमान दोनों के कर्म काण्डों की अर्जाना की। लेकिन वह इस्लाम दर्शन से अधिक प्रभावित दिखते हैं। वे एक ईश्वरवाद का समर्थन और सुर्ति पूजा का खंडन करते है। अन्य कविताएँ ज़िक्र और इश्क के सूफी सिद्धांतों का इस्तेमाल 'नाम सिमरन की हिन्दू परंपरा की अभिव्यक्ति कसे के लिए करती हैं।

बाबा शुरू नानक की प्रमुख शिक्षाएँ :

(i)एक ईश्वर वाद:   कबीर की तरह बाबा गुरु नानक ने एक  ईश्वर वाद पर बल दिया। उन्होंने ऐसे इष्टदेव की मूर्ति, अजन्मा स्वयंम थे। उनके विचार के अनुसार ईश्वर को न तो स्थापित किया जा सकता है और न ही निर्मित किया जा सकता है। वह स्वयंभ है, वह अलख, अपार, अगम्म और इंद्रियों से मेरे है उनका न कोई काल है न कर्म और न ही जाति।

ii) भक्ति एवं प्रेम मार्ग तथा आदर्श चरित्र : बाबा गुरु
नानक के अनुसार ईश्वर के प्रति भक्ति और प्रेम से ही मुक्ति और प्रेम से ही मुक्ति संभव है, इसके लिए बर्ण और जाति का कोई भेद नही है। उसके अनुसार उच्छे व्यवहार, आदर्श तथा उच्च चरित्र से ईश्वर के निकट पहुँचा जा सकता है।

(iii)आडंबरो का विरोध :

बाबा गुरू नानक ने भी मार्गदर्शन के लिए गुरु की अनिवार्यता को पहली पूर्ति माना। उन्होंने मूर्ति पूजा, तीर्थयात्रा व्यार्मिक आडंबरो की कटु आलोचना की। उन्होंने अवतारवाद का भी विरोध किया।

iv) जगत के कण-कण में ईश्वर :- गुरु नानक ने संसार को माया से परिपूर्ण नही बतिक इसके कण-कण में ईश्वरीय शक्ति को देखा है।

(V)जीव तथा आत्मा में अटूट संबंध :- बाबा शुरू नानक के अनुसार जीव परमात्मा से उत्पन्न होता है जीव में परमात्मा निवास करती है तथा अमर होती है।

(vi) बाबा गुरु नानक ने अपने भक्तों को माध्यम मार्ग देने पर बल दिया जिस पर चलकर ग्रस्त जीवन का पालन भी हो सकता है और आध्यात्मिक जीवन को अपनाया जा सकता है। कबीर की तरह गुरुनानक ने भी संप्रदायिकता का विरोध किया अं हिन्दु मुस्लिम एकता पर बल । उनका लक्ष्य एक नए धर्म की स्थापना करवाना नही था, उनका स्थित मतभेद को दूर करना था। पवित्रवादी दृष्टिकोण शांति, सद्‌भावना, भाई-चाय स्थापित करने के लिए हिन्दु मुस्लिम के मध्य

(vii)बाबा गुरू नानक ने जातिवाद का घोर विरोध किया वे सच्चे मानववादी थे, उन्होंने मानव समाज की सेवा को ही सच्ची ईश्वर की अराधना माना । वे मानव को समान समझते थे तथा मानव मात्र से प्रेम की शिक्षा देते थे, उनका प्रेम मौखिक न होकर सेवा भावना से औध - प्रोत था।

(viii) उनका स्त्रियों के प्रति सुधारवादी दृष्टिकोण था उन्होंने स्त्रियों को महान माना है, बाबा गुरु नानक ने अपने धर्म स्त्रियों को खोए हुए अधिकारों को वापस दिलाया स्न्होंने स्त्रियों तथा पुरुषों की समानता पर बल दिया।

(ix)बाबा गुरू नानक देव ने गरीब को अमीर से अधिक प्रेम किया तथा ईमानदारी की कमाई को सच्ची कर्माई माना। बाबा गुरु नानक ने धर्म संग्रह के स्थान पर उसके उचित विवरण पर जोर दिया।

Q40.भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों का विवरण दीजिए?

उतर.(ⅰ) वैष्णवमत का प्रभाव

(ii) हिन्दु धर्म की त्रुदियाँ

(iii) इस्लाम धर्म के

iv) सूफीमत का प्रभाव

v) महान सुधारकों का उदय