Class 11th Pol-Science Chapter 7 Notes in Hindi (संघवाद)

संघवाद
* (संघवाद) - किसी भी राष्ट्र में दो या दो से अधिक स्तर की सरकार का होना और सत्ता भी इन स्तरों में बंटी होना । संघवाद कहलाती है।
• जैसे- भारत
यहाँ केंद्र, राज्य व स्थानीय स्तर की सरकार पाई जाती है
* (देशी रियासता)- i) स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले जिन क्षेत्रो पर राज्यों का शासन होता था उने देशी रियासता कहते है
ii) स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारत में कुल 565 देशी रियासतें थी।
* (सोवियत संघ).i) सोवियत संघ 15 देशों का समूह था।
ii) इसका उत्तराधिकारी रूस, था ।
iii)1991 में सोवियत संघ का विघटन होगा ।
. स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रमंडल का गठन 1991 में हुआ था।
Q. फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडीज का गठन कब हुआ था ?
Ans- 1958 में फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडीज का गठन हुआ ।
Q. सन् 1962 में फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडिज को भंग क्यों कर दिया गया था ?
Ans. i) क्योकि इसकी केन्द्रीय सरकार कमजोर थी।
ii) प्रत्येक संघीय इकाई की अपनी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था थी।
iii) संघीय इकाई में राजनैतिक प्रतिस्पर्धा के कारण ।
* 1973 मे चिगु आरामस संधि हुई थीं।
*( चिगु आरामस संधि की मुख्य विशेषता)
-: इस संधि के द्वारा इन स्वतंत्र प्रायद्वीपो ने एक साझी संसद सर्वोच्च न्यायालय, मुद्रा और केरीबियन समुदाय नामक सासा बाजार जैसी संयुक्त संस्थाओं का निर्माण किया ।
Q. हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने भारत को "विविधता में एकता "के रूप क्यों परिभाषित किया?
Ans. क्योकि भारत में अनेक विविधता के बावजूद हम एक साझी जमीन पर रहते हैं और हमारा एक साझा इतिहास है।
Q. संघीय राज्य की शुरुआत कहां से हुई थी?
Ans. अमेरिका से।
# भारतीय संविधान में संघात्मक लक्ष्ण
* (सविधान की सर्वोच्चता) - भारत में कोई भी शक्ति संविधान से उपर नहीं है।
* ( दोहरी शासन प्रणाली), भारत में दोहरी शासन प्रणाली है जिसमें एक सशक्त केन्द्रीय सरकार है प्रांतीय सरकारें राज्यों में शासन करती है।
* (स्वतंत्र सर्वोच्च न्यायालय) भारत में स्वतंत्र सर्वोच्च न्यायालय है जो संघीय ढाँचे ने केन्द्र और राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करता है।
* (एकहरी नागरिकता) - भारत में सभी नागरिको को एकहरी नागरिकता प्राप्त है। भारत का नागरिक भारत के साथ-साथ किसी देश की नागरिकता नहीं ले सकता।
* संघ और राज्यों के लिए एक ही संविधान
* आपातकाल में एकात्मक शासन - आपातकाल के समय में केंद सरकार की शासन प्रणाली चलती है।
Q. उतरी नाइजीरिया और दक्षिणी नाइजीरिया का एकीकरण कब हुआ था ?
Ans. 1950 में।
Q.मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई थी ?
Ans. 1906 में।
*( शक्तियों का विभाजन)- शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों के आधार पर किया जाता है।
*(संघ सूची) i) संघ सूची मे 97 विषय है।
ii) संघ सूची से संबंधित कानून केन्द्र सरकार बनाती है।
iii) इसमें राष्ट्रीय महत्व के विषयो को शामिल किया जाता है- जैसे-प्रतिरक्षा मुद्रा ।
*(राज्य सूची). साला सूची में कुल 66 विषय शामिल है।
ii) राज्य सूची से संबंधित कानून राज्य सरकार बनाती है।
iii) इसमें क्षेत्रीय और स्थानीय महत्व वाले विषय शामिल होते हैं। जैसे-कृषि, पुलिस।
*(समवर्ती सूची) i) समवर्ती सूची में कुल 47 विषय शामिल है।
ii) समवर्ती सूची से संबंधित पर कानून केन्द्र और राज्य दोनो सरकार मिलाकर बनाती है।
iii) इसमे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनो महत्व विषय शामिल होने है। जैसे- शिक्षा
# भारतीय राज्य में संघवाद की आवश्यकता :-
i) भारत एक विशाल राज्य है जिस पर शासन करने के लिए शक्तियों को प्रांतीय और केन्द्रीय शक्तियों को बांटना जरूरी है।
ii) भारतीय समाज में क्षेत्रीय और भाषाई विविधाताओं को मान्यता देने की आवश्यकता थीं। इससे सभी को समान अधिकार और सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित किया जा सकें।
iii) भारतीय राज्य की कल्पना एक लोकतांत्रिक राज्य की है जिसमें सभी की सहभागिता आवश्यक है। लोकतांत्रिक राज्य संघीय व्यवस्था को मान्यता देता हैं।
• अनुच्छेद(1) भाग 1, भारत, अर्थात इंडिया राज्यों को संघ (यूनियन ) होगा।
• अनुच्छेद-२. राज्य और उनके राज्यक्षेत्र वे होगें जो पहली अनुसूची में: विनिर्दिष्ट है।
* केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन
i) भारत के संविधान में दो तरह की सरकारों की बात की गई है।
ii) एक संपूर्ण राष्ट्र के लिए जिसे संघीय सरकार या केंद्रीय सरकार कहते है
iii) एक प्रत्येक प्रांतीय इकाई या राज्य के लिए जिसे राज्य सरकार कहते हैं है।
iv) ये दोनों ही संवैधानिक सरकारे है।
v) इन दोनों बीच शक्तियों के विभाजन से संबंधित विवाद को न्यायपालिका संवैधानिक प्रावधानों के जरिए हल करती है।
Q. किन समस्याओं के समाधान के लिए नियोजन और समन्वय जरूरी था?
Ans. गरीबी, निरक्षरता, आर्थिक असमानता
Q. कौन-सा संवैधानिक प्रावधान एक सशक्त केन्द्रीय सरकार की स्थापन करते हैं ?
Ans- i) अनुच्छेद 3 के अनुसार संसद 'किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकती है।
ii) वह किसी राज्य की सीमाओं या नाम में परिवर्तन कर सकती है।
iii) संविधान में केन्द्र को अत्यंत शक्तिशाली बनाने वाले कुछ आपातकालीन प्रावधान है जो लागू होने पर हमारी संघीय व्यवस्था को एक अत्यधिक केन्द्रीकृत व्यवस्था में बदल देते हैं।
iv)केन्द्र सरकार की अत्यन्त प्रभावी वित्तीय शक्तियां और उत्तरदायित्व है
v) राजा के राज्यपाल को यह शक्ति प्राप्त है कि वह राज्य सरकार को हटाने और विधान सभा भंग करनें का सिफारिश राष्ट्रपति को भेज सकें।
ⅵ) भारतीय संविधान के अनुसार केन्द्रीय कार्यपालिका की शक्ति प्रादेशिक कार्यपालिका की शक्ति से ज्यादा होगी।
vii ) जिलाधीश के रूप में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी या पुलिस कमिशनर के रूप में कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण होता है।
viii) संविधान में दो अन्य अनुच्छेद 33 व 34 संघ सरकार की शक्ति को उस स्थिति में काफी बढ़ा देते हैं जब देश के किसी क्षेत्र में सैनिक शासन ( मार्शल लॉ) लागू हो जाय ।
ix) ये प्रवधान संसद को इस बात का अधिकार देते हैं कि ऐसी स्थिति में वह केंद्र या राज्य के किसी भी अधिकारी के द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने या उसकी बहाली के लिए किए गए किसी भी कार्य को कानून जायज करार दे सकें।
*# भारतीय संघीय व्यवस्था में तनाव
-: भारत के सविधान ने केंद्र सरकार को बहुत अधिक शक्तियाँ प्रदान की है जबकि राज्यों में शासन चलाना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है इस वजह से समय-समय पर राज्य अधिक स्वायत्ता व शक्तियों की मांग करते है रहते हैं। इस वजह से केंद्र व राज्यों में तनाव व संघर्ष उत्पन्न होता है।
Q. भारतीय संघीय व्यवस्था की नीव किसने और कब रखीं थी ?
Ans. - 1950 तथा 1960 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संघीय व्यवस्था की नीव रखी थीं।
Q. भारत में गठबंधन - राजनीतिक की शुरुआत कब हुई थी ?
Ans. 1990 को दशक में ।
* स्वायत्तता की माँग
i) (वित्तीय स्वायत्ता ) - राज्यों के आय के साधन सीमित है और संसाधनों पर नियंत्रण भी सीमित ही है, अतः राज्य सरकार आप के मामलों में और अधिक स्वायत्ता की माँग करते रहते हैं।
ii) (प्रशासनिक स्वायत्ता) - राज्य सरकार दैनिक प्रशासन के मामलों में और अधिक स्वायत्ता चाहते हैं राज्य केंद्र सरकार से और अधिकार व शक्तिया चाहते हैं।
iii) (सांस्कृतिक और भाषा मुद्दे). काफी राज्य हिंदी भाषा का विरोध करते है तथा उनके राज्य में प्रचलित भाषा को ही प्रोत्साहन देते हैं।
# राज्यपाल की भूमिका तथा राष्ट्रपति शासन
*(राज्यपाल)- i) राज्यपाल को English में गवर्नर कहते हैं।
ii) राज्यपाल की नियुक्ति केन्द्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
iii) राज्यों के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
iv) राज्यपाल निर्वाचित पदाधिकारी नहीं होता ।
(v) राज्यपाल के फैसलों को अकसर राज्य सरकार के कार्यों में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के रूप में देखा जाता है
vi) केंद्र सरकार राज्यपाल पर दबाव डालकर राज्यों में अनुच्छेद 356 के माध्यम से अनुचित राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाता है।
* (अनुच्छेद 356)- i) संविधान के सर्वाधिक विवादास्पद प्रावधानो में से एक अनुच्छेद 356 है।
ii) इसके द्वारा राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
iii) इस प्रावधान को किसी राज्य में तब लागू करते हैं जब "ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई हों कि उस राज्य का शासन इस संविधान के उपवंतों के अनुसार नही चलाया जा सकता ।
iv) परिणामस्वरूप संघीय सरकार राज्य सरकार का अधिग्रहण कर लेती है।
(ⅴ) राष्ट्रपति शासन को अधिकतम तीन वर्ग तक बढ़ाया जा सकता है।
vi) सर्व प्रथम राष्ट्रपति शासन 1959 में केरल में लगाया गया था।
vii) 1967 तक अनुच्छेद 356 का अत्यंत सीमित प्रयोग किया गया।
# नवीन राज्यों की मांग
:- भारतीय संघीय व्यवस्था में समय - समय पर नवीन राज्यो की मांग उठती रहती है जिसे राजनैतिक कारणों से संघ प राज्यों में तनाव बढ़ता है।
* (राष्ट्रीय आंदोलन) -i) राष्ट्रीय-आंदोलन ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय एकता को ही नहीं बल्कि समान भाषा, क्षेत्र और संस्कृति पर आधारित एकता को भी जन्म दिया।
ii) हमारा राष्ट्रीय आंदोलन लोकतंत्र के लिए भी एक आंदोलन था ।
iii) राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान यह भी तय किया गया कि संभवता समान संस्कृति और भाषा के आधार पर राज्यों का गठन होगा।
*(राज्य पुनर्गठन आयोग)
i) इसकी स्थापन दिसंबर 1953 में हुई थीं।
ii) राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 में लागू हुआ था।
iii) इस अधिनियम के आधार पर, राज्य 14 और 6 केन्द्र शासित प्रदेश बन गया था।
* (राज्य पुनर्गठन आयोग की मुख्य सिफारिश )
राज्य गठन
गुजरात-1960 में
पंजाब - 1966 में
महाराष्ट्र -1960 में
हरियाणा -1966 में
मणिपुर- 1972 में
त्रिपुरा- 1972 में
मेघालय- 1972 में
मिजोरम- 1987 में
अरुणाचल प्रदेश- 1987 में
छत्तीसगढ़- 2000 में
उत्तराखंड- 2000 में
झारखंड- 2000 में
तेलंगाना- 2014 में
-: इसने प्रमुख भाषाई समुदायों के लिए भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की सिफारिश की।
# अंतराज्यीय विवाद
संघीय व्यवस्था में दो या दो से अधिक राज्यों में विवाद होता रहता है जैसे बेल गांव को लेकर कर्नाटक व महाराष्ट्र में सीमा विवाद।
-: मणिपुर और नागालैंड के बीच भी सीमा विवाद पुराना है।
-: पंजाब से हरियाणा को अलग करने पर उनके बीच न केवल सीमावर्ती क्षेत्री को लेकर बल्कि राजधानी चंडीगढ़ को लेकर भी विवाद है।
-: 1985 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पंजाब के नेताओं से इस विषय पर कुछ सहमति बनी थी। इसके अनुसार चंडीगढ़ को पंजाब की हस्तांतरित किया जाना था। पर अभी तक ऐसा नहीं हो सका।
* दो या दो से अधिक राज्यों में नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद होता रहता है, जैसे- कर्नाटक तमिलनाडु में कावेरी नदी जल विवाद चल रहा है।
Q. नर्मदा नदी के जल बटवारे को लेकर किन राज्यों में विवाद है?
Ans.- गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश ।
*(अनुच्छेद -371)- i)अनुच्छेद 371 का संबंध पूर्वोत्तर के राज्यों से है।
ii) यह अनुच्छेद पूर्वोत्तर के राज्यों को विशेष दर्जा देता है।
iii) ये प्रावधान इस छेत्र के कुछ भागों में अलगाववाद और सशस्त्र विद्रोह को रोकने में सफल नहीं हो सके।
iv) कुछ विशिष्ट प्रावधान पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश तथा अन्य राज्यों जैसें आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, सिक्किम और तेलंगाना के लिए भी है।
जम्मू और कश्मीर
* (अनुच्छेद 370)- i) अनुच्छेद 370 के द्वारा जम्मू और कश्मीर को विशिष्ट स्थिति प्रदान की गयी है।
ii) अनुच्छेद 370 के अनुसार, संध और समवर्ती सूचियों में उल्लेखित मामलों में कोई कानून भी बनानें के लिए राज्य की सहमति की आवश्यकता थी।
iii) जम्मू और कश्मीर के मामले में केंद्र सरकार के पास मात्र सीमित शक्तियां थी।
iv) राष्ट्रपति ने जम्मू और कश्मीर की सरकार की सहमति से दो संवैधानिक आदेश जारी किए थे, जिसे संविधान के बड़े हिस्से को राज्य मे लागू कर दिया गया।
v) परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर का एक अलग संविधान और ध्वज जरूर है पर संघीय और समवर्ती सूची के विषयों पर राज्य के लिए कानून बनाने की संसदीय शक्ति को अब पूरी तरह से स्वीकृती मिल गई है।
vi) केंद्र सरकार राज्य मे वितीय आपातकाल नहीं लगा सकती थी और जम्मू और कश्मीर में नीति-निर्देशक सिद्धांत लागू नहीं होते थे।
Vii) राज्य सरकार की सहमति के बिना जम्मू-कश्मीर में आंतरिक अशांति के आधार पर आपातकाल 'लागू नहीं किया जा सकता।
viii) भारतीय संविधान के संशोधन राज्य सरकार की सहमति से ही जम्मू-कश्मीर मे लागू हो सकते हैं।
ix) वर्तमान में, जम्मू एवं कश्मीर में 370 के अंतर्गत दिया गया दर्जा । अब अस्तित्व में नहीं है।
X) जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशो - जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया है।
xi) यह नई व्यवस्था 1 अक्टूबर 2019 में प्रभावी हुई है।
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