Class 11th History Chapter 1 (लेखन कला और शहरी जीवन) Notes in Hindi

Class 11th History Chapter 1 (लेखन कला और शहरी जीवन) Notes in Hindi. हरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई थी। जो आज इराक गणराज्य का हिस्सा है। फरात
Class 11th History Chapter 1 Notes

Class 11th History Chapter 1 Notes in Hindi

(लेखन कला और शहरी जीवन)

*.शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई थी। जो आज इराक गणराज्य का हिस्सा है।

*.फरात और दजला नदियों के बीच स्थित प्रदेश था।

*.इसके शहरीकृत दक्षिण भाग  को नीचे विवरण देखे सुमेर और अक्कड़ कहा जाता है। 2000 ई. पू. के बाद जब बेबीलोन  एक महत्वपूर्ण शहर बन गया तब दक्षिण क्षेत्र को बेबिलोनिया कहा जाने लगा।

•- (मेसोपोटामिया का अर्थ- मेसोपोटामिया नाम यूनानी भाषा के दो शब्दों में सोस यानी मध्य ।

•. और पोटैमोस यानी नदी से मिलकर बना है। इसलिए मेसोपोटामिया 

• मिया शब्द दजला फरात नदियों के बीच की उपजाऊ धरती को इंगित करता है।

-: उस प्रदेश की प्रथम भाषा सुमेरियन यानी सुमेरी थी। धीरे धीरे २५०० ई० पू० के आसपास  जब अक्कदी भाषा लोग यहां आगए तब अक्कदी ने सुमेरी भाषा का स्थान ले लिया। 

*.1400 ई० पू० से धीरे - धीरे अरामाइक भाषा परवेश शुरू हुआ यह भाषा हिब्र से मिलती जुलती था और 1000 ई.पू के  बाद व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी। यह आज भी इराक के कुछ भागों में बोली जाती है।

-:  मेसोपोटामिया की खोज

•.मेसोपोटामिया में पुरातत्त्वीय खोजों की शुरुआत 1840 दशक मे हुई।

• यूरोप वासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि बाईबल के प्रथम भाग' ओल्ड टेस्टमेंट' में इसका उल्लेख कई संदर्भों में किया गया।

*.मेसोपोटामिया की खोज के मुख्य स्रोतों -:

इमारत, मूर्तिया, आभूषण, कब्रों, औजार और मुद्राओ


*.मेसोपोटामिया और उसका भूगोल

इसके पूर्ववर्तीय भाग में हरे-भरे, ऊँच-नीचे मैदान है जो धीर-शो वृक्षाच्छादित पर्वत-श्रृंखला के रूप में फैलते गए है। साथ ही यहाँ।  स्वच्छत झरने तथा जंगली फूल है। यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है। यहां 7000 से 6000 ई.पू. के बीच खेती शुरु हो गई थी।

उत्तर :- में ऊँची भूमि है जहाँ स्टेपी- घास के मैदान है, यहाँ पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन है। सदियों की वर्षा के बाद भेड़ बकरियां यही उगने वाली छोटी-छोटी झाड़ियों और घास से से अ अपना पालन-पोषण करती है

पूर्व:- मे दजला की सहायक नदिया ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जल के लिए परिवहन का अच्छा साधन है।

दक्षिण:- भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहाँ सबसे पहले नगरी और लेखन-प्रणाली का विकास हुआ था।

इन रेगिस्तानों में शहरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी। फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में बटकर बहने लगती है। कभी कभी इन धाराओं  में बाढ़ आ जाती है। और पुराने जमाने में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों का काम देती थी। जैसे गेहूं, जौ, मटर या मसुर ।

•.मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगर

i) मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कांस्य युग? युग यानी लगभग 3000 ई. पु. में शुरू हो गया था। कांसा, तांबे के मिश्रण से बनता है।

ii)यह धाराएं दूर दूर से मंगाई जाती थीं। क्योकि मनको में छेद करने पत्थर की मुद्राए उकेरने, फर्नीचर आदि कामों के लिए धातु के औजारो की जरूरत पड़ती थी ।

iii) मेसोपोटामिया हथियार भी कांसे के ही होते ही थे।

शहरीकरण का महत्व

- शहर और नगर बड़ी संख्या मे लोगों के रहने के ही स्थान नहीं. होते थे। जब किसी अर्थव्यवस्था मे खाध उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियां विकसित होने लगती है तब किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है।

*.शहरी अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य उत्पादन के अलावा व्यापार उत्पादन और तरह-तरह की सेवाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नगर के लोग आत्मनिर्भर नही रहते और उन्हें नगर या गांव के अन्य लोगो द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता है। उदाहरण: के लिए एक पत्थर की मुद्रा बनाने वाले को पत्थर उकेरने के लिए कांसे के औजारो की जरूरत पड़ती थी।

•.शहरी जीवन की विशेषताएँ क्या है ?

i)शहरी जीवन मे श्रम विभाजन होता है।

ⅱ) विभिन्न लोग आपस मे लेन-देन के माध्यम से जुड़े-रहते हैं।

iii)शहर के लोग अपने कार्यों को लेकर पुरी तरह से आत्मनिर्भर नही होते।

iv)शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन, धातु, विभिन्न प्रकार के मुख्य लकड़ी आदि जरूरी चीजें भिन्न- जगहों से आती है।

v) शहरों में अनाज और अन्य खाद्य पदार्थ गाँव से आते हैं।

vi) शहरी जीवन को अपना हिसाब किताब लिखित रूप में रखना होता है।

( वार्का शीर्ष) -3000  ई. पु. एक नगर मे स्त्री का यह सिर एक सफेद संगमरमर को तराशकर बनाया गया था।

*शहरों में माल की आवाजाही

: मेसोपोटामिया के खाद्य - संसाधन - संसाधन चाहे कितने भी  समृद्ध से हो, उसके यहाँ खनिज संसाधनों का अभाव था। दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार, मोहर (मुद्राएं) और आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की कमी थी।

:- इराकी खजूर और पोपलार के पेड़ों की लकड़ी, गाडियों, गाड़ियों के पहिए या नाव बनाने के लिए कोई खास अच्छी नहीं थी 

:- मेसोपोटामियाई लोग संभवत: लकडी, ताँबा, राँगा, चांदी, सोना और विभिन्न प्रकार के  पत्थरों को तुकी और ईरान अथवा खाड़ी पार के देशों से मंगाते थे। जिसके लिए वे अपना कपडा और कृषि अन्य उत्पाद काफी मात्रा में उन्हें निर्यात करते थे।

:- इसलिए परिवहन का सबसे सस्ता तरीका जलमार्ग ही होता है।

Q.क्या कारण था जिसके वजह से मेसोपोटामिया के लोग जलमार्ग का उपयोग करता थे?


Ans. i) भारवाही पशुओं की पीठ पर रखकर या बैल गडि‌यो में डालकर शहरो मे अनाज था काठ कोयला लाना - ले जाना बहुत कठिन होता है।


ii) क्योंकि उसमें बहुत ज्यादा समय  लगता है और पशुओं के चारों आदि पर भी काफी खर्च आता है।

iii) शहरी अर्थव्यवस्था इसका बोझ उठाने के लिए सक्षम नहीं है।

iv) उन दिनों फरात नदी विश्व - मार्ग के लिए महत्वपूर्ण थी।


लेखन कला का विकास।


मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ (Tablet) पाई गई है। वे लगभग 3200  ई ० पु ० की है।

लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की जरूरत क्योकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय होते था।

*

मेसोपोटामिया में पट्टिकाओ का निर्माण 

-: मेसोपोटामिया के लोगो मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करता था और फिर उसको गूंध कर और थापकर एक ऐसे आकार की पट्टी का रूप दे देता था।

जिसे वह आसानी से अपने एक हाथ में पकड़ सके ।

-: वह सावधानीपूर्वक उसकी सतहों को चिकना बन लेता था फिर सरकंडे की तीली की तीखी नोक से वह उसकी नाम चिकनी सतह पर कीलाकार चिन्ह बना देता है था ।


: जब ये पट्टिकाएँ धूप से सूख जाती थी तो पक्की हो जाती थी और वे मिट्टी के बर्तनों जैसी ही मजबूत हो जाती थीं।

- लगभग 2600 ई.पु. के आसपास वर्ग कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरिया थी। अब लेखक का इस्तेमाल हिसाब-किताब के लिए ही नहीं, बल्कि शब्द-कोश बनाने, भूमि के हस्तांतरण की कानूनी मान्यता प्रदान करने, राजाओं के कार्यों का वर्णन, करने और कानून मे उन परिवर्तनों को उद्‌घोषित करने के लिए किया जाने लगा जो देश की आम जनता के लिए बनाए जाते थे

दक्षिणी मेसोपोटामिया का शहरीकरण - मंदिर और राजा-


5000 ई० पू० से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियो का विकास होने लगा था। इन बस्तियो मे से कुछ ने प्राचीन शहरो का रूप ले लिए।


* ये शहर कई तरह के थे। -:

i) जो मंदिर के चारों और विकसित हुए ।

ii) जो व्यापार के केंद्री के रूप में विकसित हुए ।

iii) शेष शाही शहर में।

मंदिरों का विकास

सबसे पहला ज्ञात मंदिर एक छोटा सा देवालय था जो कच्ची ईटों का बना हुआ था।

मंदिर विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं के निवास स्थान थे। जैसे उर जो चंद्र देवता था और इन्नना जो प्रेम व युद्ध की देवी थी।


 ये मंदिर ईंटों से बनाए जाते थे और समय के साथ बड़े होते गए क्योकि उनके खुले आँगनो के चारो और कई कमरे बने होते थे गए


कुछ, प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों से अलग किस्म के नही होते थे क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही होता था।

मंदिरो की बाहरी दीवारों कुछ खास अंतरालो के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थी, यहाँ मंदिरो की विशेषता थी।

देवी-देवता 


देवता पूजा का केन्द्र - बिंदु होता है ।

लोग देवी - देवता के लिए अन्न, दही,  मछली लाते लाते थे।

आराध्य देव सैद्धांतिक रूप से खेतो, मत्स्य क्षेत्रों और स्थान पशुधन का स्वामी माना जाता था

समय आने पर उपज की उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रकिया (जैसे तेल निकालना, अनाज पीसना कातना और ऊनी कपड़ों को बुनना आदि।) यहीं की जाती थी। 

:

फरात नदी की धारा (पानी का संकट संकट)

फरात नदी की प्राकृतिक धाराओं में किसी वर्ष तो बहुत ज्यादा पानी बह आता था और फसलों को डूबा देता था ।

कभी-कभी ये धाराएँ: अपना अपना रास्ता बदल लेती थी, जिसमे खेत सूखे रह जाते है

जो लोक इन धाराओं के ऊपरी इलाकों में रहते थे, वे अपने पास की जलधारा से इतना ज्यादा पानी अपने खेत मे ले लेते थे। जिसकी वजह से नीचे के लोग की पानी नही मिल पाता था जिसकी वजह से पानी को लेकर लड़ाई भी होती थी ।

जो मुखिया लड़ाई जीतता था, वे अपने साथियों एवं अनुयायियों में लूट का मूल बाटकर खुश कर देता था  और साथ ही वह हारे हुए सम्राटों को अपने साथ बंदी बनाकर ले जाते थे थ और उन्हें चौकीदार या नौकर बना लेते थे । । तथा उन्हें काम करना पड़ता था।


(शहरी जीवन)

-:

मेसोपोटामिया में एकल परिवार को ही आदर्श माना जाता था हालांकि शादी शुदा बेटा और उसका परिवार माता पिता के साथ रहता था।

पिता परिवार का मुखिया होता था।

(विवाह का तरीका)

-
विवाह करने की इच्छा के बारे मे घोषणा की जाती थी वधू के  माता पिता उसके उसके विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे।

उसके बाद वर पक्ष के लोग दूध का कुछ उपहार देते थे।


जब विवाह की रस्म पूरी हो जाती थी तब दोनो पक्षों की ओर से उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता था और वे साथ बैठकर भोजन कर ते और मंदिर में भेट चढ़ाते थे 

नै

जब नववधू को उनकी सास लेने आती थी तब वधू को उसके पिता द्वारा दाय का हिसा दिया जाता था, पिता का घर, पशुधन, खेत आदि पुत्रों को मिलते थे।

*

(उर नगर की विशेषताएं)

-
 1930 के दशक मे हुई खुदाई से यह पता चलता है की उर में संकरी वे टेडी - मेढी गलिया होती थी जिसका अर्थ यह है कि पहिए। वाली गाडियों अनेक घरों तक नहीं पहुंच सकती थी। अनाज के बारे गधों पर लादकर घरो तक लाए जाते थे।

पतली और घूमावदार गलियों से यह भी पता चलता नगर में नगर नियोजन की पद्धति का अभाव था।

-: क गालियों के किनारे जल - निकारी के लिए उस तरह की नालिया नहीं है जैसे मोहनजोदड़ो में पाई गई है। बल्कि गालियां उर नगर के घरों के भीतर आंगन में पाई गई है 

-

घरों की छतों का का दलान भीतर की ओर होता था शायद ऐसा इसलिए किया गया था ताकि वर्षा आने पर पानी को घर के भीतर बने छैणो मे ले जाया जा सके और वर्षा के पानी से बाहर कच्ची गलिया कीचड़ से न भर जाए ।

लोग घरो एका सारा कुड़ा  गलियों में डाल देते थे जिससे कारण गलियो की सतह सतह ऊपर उठ जाती थी जिसके कारण घरो की दहलीणो को भी ऊपर उठाना पड़‌ता था ताकि वर्षा होने का कीचड घर के भीतर न आस के ।


घुरी के अंदर रोशनी खिड़कियों से नही बल्कि दरवाजे से होकर आती थी जिससे परिवार की गोपनियता बनी रहें।


घरो के बारे में कुछ अंधविश्वास में  प्रचलित थे।

जैसे

घरों की दहलीज उठी होने से धन-दौलत आती ह

सामने का दरवाजा अगर,  दूसरों के घर की ओर खुले तो वह सौभाग्य प्रदान करता है। लेकिन घर का मुख्य दरवाजा बाहर की ओर खुले तो वह तो वह पति-पत्नी के बीच कलेश का कारण बन सकता है।.

उर नगर में एक कब्रिस्तान भी था।


# पशुचारक क्षेत्र में एक व्यापारिक नगर

2000 ई.पू. के बाद मारी नगर शाही राजधानी के रूप मे फला-फूला 


मारी राज्य में वेरो तो किसान और पशुचारक दोनो ही तरह के लोग होते थे लेकिन लेकिन उस प्रदेश का अधिकांश भाग भेड़ बकरी चराने के काम में ही लिया जाता था 


पशुचारको को जब अनाज, धातु के औजारों आदि की जरूरत पड़ती थी तब वह अपने पशुओं तथा उनके मांस आदि के बदले चीजे प्राप्त करते थे।


* किसानो तथा गडरियों के बीच झगडा होने के कारण 


गडरिया कई बार  भेड़ - बकरियों को पानी पिलाने के लिए बोए हुए खेतों से गुजर कर ले जाते थे जिससे फसल खराब हो जाती है।


किसान कई बार पशुचारको का रास्ता रोक देते थे और उन्हें अपने पशुओं को नदी नहर तक नहीं ले जाने देते थे।


मेसोपोटामिया में बहुत से समुदाय बाहर से आकर बसते थे।


उदाहरण - यायावर समूह

उनमें से कुछ ने तो अपना खुद का शासन स्थापित करनें की भी शक्ति प्राप्त कर ली थीं।
 
मारी शहरा और मारी शहरा के राजा

* मारी के राजा एमोरारट समुदाय  के थे। उनकी पोशाक वहां के मूल निवासियों से भिन्न होती थी और उन्हें मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं का आदर ही नही किया बल्कि स्टेपी क्षेत्र के देवता डैगन (Dagan) के लिए मारी नगर में एक मंदिर भी बनाया।

* मारी के राजाओं को सदा सतर्क एवं सावधान रहना पड़ता था, विभिन्न जन - जातियों के चरवाहों को राज्य मे चलने-फिरने की इजाजत ती थी, परन्तु उन पर कड़ी नजर रखी जाती थी ।

*मारी नगर एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित बा जहाँ से होकर लकड़ी, तांबा, राँगा, तेल, मंदिरा और किस्म का माल नावों के जरिए फरात नदी के रास्ते दक्षिण और तुर्की सीरिया और लेबनान के ऊंचे इलाको के बीच लाया-ले जाया जाता था।


सारी के अधिकारी जलपोत पर जाया करते थे, उस पर लदे सामान की जांच करते थे। एक नदी में 300 मदिरा के पीस रखें जाए सकते थे और उसे भागे बढ़ने की इजाजत देने से पहले उसने लदे माल की कीमत का लगभग 10 प्रतिशत प्रभार वसूल करते थे ।

* मारी राज्य सैनिक दृष्टि से उतना सबल नही था, परंतु व्यापार और समृद्धि के मामले में वह अद्वितीय था।


लेखन कला की देना


मेसोपोटामिया की दुनिया को सबसे बड़ी देन है इसकी और गणित की विद्वत्तापूर्ण परंपरा है।

1800 ई.पु. के आसपास की कुछ पट्टीकाए जिनमे गुना एवं भाग की तालिकाएं वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणीया दी गई है।

-: पृखी के चारों और चंद्रमा की परिक्रमा के अनुसार एक पूरे वर्ष का 12 महीनों में विभाजन एक महीने का 4 हफ्तों मे विभाजन, एक दिन 24 घंटे में और एक घंटे का 60 मिनट में विभाजन - यह सब जो आज हमारी रोजमर्रा की । की जिंदगी है, मेसोपोटामिया वासियों से ही हमे मिला है।

#

जिमरीलिम का मारी स्थित राजमहल


मारी का विशाल राजमहल वहाँ के शाही परिवार का निवास स्थान तो था ही, साथ ही प्रशासन और और उत्पादन, विशेष रूप से कीमती धातुओ के आभूषणों के निर्माण का मुख्य बेस केन्द्र भी था।

उत्तरी सीरिया का एक छोटा राजा आया, वह अपने साथ मारी के राजा जिमरीलिम के नाम उसके एक अन्य राजा का परिचय पत्र लेकर वहाँ आया था।


राजा के भोजन की मेज पर हर रोज भारी मात्रा में खाद्य पदार्थ, पेश किए जाते थे- आटा, रोटी, मांस, मछली, फल, मंदिरा और वीयरा।

अपने अन्य साथियों के साथ सफेद वह संभवत अपने साथ सफेद पत्थर जड़े आंगन (106) में बैठकर बाकायदा भोजन करता था।

राजमहल का सिर्फ एक ही प्रवेश द्वारा था जो उत्तर की ओर था।

राजमहल महल 2.4 हेक्टेयर के क्षेत्र में स्थित एक अत्यंत विशाल भवन था जिसमें 260 कक्ष बने हुए थे।


लेखन प्रणाली


की लाक्षर या कीलाकार चिन्ह का प्रयोग किया गया था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता था।

- मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ो चिहा सीखने पड़ते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता था।

लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की आवश्यकता होती र्

इसलिए लिखने का काम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।


साक्षरता

मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग पढ़-लिख सकते थे

न केवल प्रतीकों या चिह्नों की संख्या सैकड़ों में घी, बल्कि थें कही अधिक पेचीदा थे।

मोहर: एक शहरी शिल्प - कृति

- लेकिन मेसोपोटामिया में पहली सहस्त्री ब्दी ई० पु ० के अंत तक पत्थर की बेलनाकार मोहरे जो बीच से आर पार छिदी होती थीं।

एक तीली लगाकर गीली मिट्टी के ऊपर घुमाई जाती थी और इस प्रकार उन मे लगातार चित्र बन जाता है।

वे अत्यंत कुशल कारीगरो  द्वारा उकेरी जाती थी और कभी - कभी उन मे ऐसे लेख होते थे जैन जैसे- मालिक, का नाम, उसके इष्ट देव का नाम और उसकी अपनी पदीय स्थिति थी।


किसी कपड़े की गठरी या बर्तन के मुँह को चिकनी मिट्टी की सतह पर छप जाती थी ।

* मेसोपोटामिया संस्कृतिक में शहरों का महत्व
 
युद्ध में अपने शहरों को नष्ट हो जाने के बाद वह अपने काव्यों के जरिए उन्हें याद किया करते थे।