Class 11th Pol-Sciecne Chapter-2 (स्वतंत्रता - परिचय) Notes in Hindi

Class 11th Pol-Sciecne Chapter-2 (स्वतंत्रता - परिचय) Notes in Hindi. स्वतंत्रता क्या है:- प्रतिबंधो का अभाव स्वतंत्रता कहलाता है । पुस्तक का शीर्षक

Class 11th Pol-Sciecne Chapter-2 (स्वतंत्रता - परिचय) Notes in Hindi

स्वतंत्रता

स्वतंत्रता क्या है:- प्रतिबंधो का अभाव स्वतंत्रता कहलाता है ।    


*(नेल्सन मंडेला). पुस्तक का शीर्षक लॉन्ग' वाक टूफ्रीडम'  (Long Walk to freedom 

(स्वतंत्रता के लिए लंबी यात्रा) 


: नेल्सन मंडेला 28 वर्ष तक जेल में रहें थे।

:मंडेला का प्रिय खेल बॉक्सिंग (Boxing) था। 

 

• (आँग सान सूकी) - पुस्तक का शीर्षक फ्रीडम फ्रॉम फीयर (freedom from Fear) (भय से  मुक्ति)  


- स्वराज का अर्थ है- स्वयं पर शासन 


Q. स्वराज मेरा जन्म सिध्द अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा का नारा किसने दिया था ? 

Ans. बालगंगाधर तिलक  

*स्वतंत्रता के प्रकार  

1 प्राकृतिक स्वतंत्रता  

2 व्यक्तिगत स्वतंत्रता  

3 राजनीतिक स्वतंत्रता  

4 आर्थिक स्वतंत्रता  

* (प्राकृतिक स्वतंत्रता)- व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार सबकुछ करने की पूर्ण स्वतंत्रता 

- मानव के कार्यों पर किसी भी प्रकार का बंधन न हों। 

* (व्यक्तिगत स्वतंत्रता) - निजी मामलों में विकल्प की स्वतंत्रता

- जीवन की सुरक्षा 

विचार - अभिव्यक्ति, तथा आस्था की स्वतंत्रता । 


* (राजनीतिक स्वतंत्रता)- राज्य के कार्यों में भाग लेने का मतदान का अधिकार

- स्वतंत्रता तथा निष्पक्ष चुनाव लड़ने का अधिकार

- शासन की नीतियों तथा कार्यों का समर्थन अथवा विरोध करने का अधिकार  


* (आर्थिक स्वतंत्रता) - कोई लाभकारी पद पाने या कारोबार करने का अधिकार 

- अभाव में मुक्ति का अधिकार 

वस्तुओं के उत्पादन तथा वितरण करने का अधिकार । 


Q. प्रतिबंधों के मुख्य स्रोत क्या है? 


Ans. i) बलपूर्वक या कानून के द्वारा । 

ii) सामाजिक असमानता के कारण। 

iii) आर्थिक असमानता के कारण । 

iv) कल्याणकारी राज्य । 

v) प्रभुत्व और बाहरी नियंत्रण के कारण । 

 

Q. हमे प्रतिबंधों की आवश्यकता क्यों है? 


Ans.i) संसाधनों के उचित बंटवारे के लिए। 

ii) टकराव की स्थिति को रोकने के लिए । 

iii) सामाजिक कल्याण हेतु । 

iv) दूसरे व्यक्ति के अधिकारों हेतु । 

 

Q. स्वतंत्रता के बारे में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के क्या विचार थे  

Ans. i) स्वतंत्रता से मेरा आशय ऐसी सर्वांगीण स्वतंत्रता है. जो व्यक्ति और समाज की हो, अमीर और गरीब की हो. स्त्रिायो और पुरुषों की हो तथा सभी लोगों और सभी वर्गो की हो। 

ii) इस स्वतंत्रता का मतलब न केवल राजनीतिक गुलामी से मुक्ति होगा, बल्कि संपत्ति का समान बटवारा, जातिगत अवरोधी और सामाजिक असमानताओ का अंत तथा साम्प्रदायिकता और धार्मिक असहिष्णुता का सर्वनाश भी होना 

iii) यह आदर्श व्यवहार कुशल स्त्री पुरुषों को स्वपन सरीखा लग सकता है लेकिन केवल यही आदर्श आत्मा की भूख मिटा सकता है।


Q. 'हानि सिध्दांत' आप क्या समझते हैं?


Ans. हानि के सिध्दांत में अभिप्राय यह है कि इसके कार्य करने की स्वतंत्रता में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से हस्तक्षेप करने का इकलौता कारण आत्मरक्षा है


: सभ्य सामाज के किसी सदस्य की इच्छा के खिलाफ शक्ति के औचित्य पूर्ण (सदी) प्रयोग का एकमात्र उद्देश्य किसी अन्य को हानि से बचाना हों सकता है।


व्यक्ति के कार्य 


* (स्वसंबंध कार्य). स्वसंबंध जिसका प्रभाव केवल कार्य करने वाले व्यक्ति के ऊपर पड़ता है।


* (परसंबंध कार्य), परसंबंध जिसमें करने वालें कार्य का प्रभाव अन्य बाहरी व्यक्तियों के ऊपर भी पड़ता है।


: यदी उन कार्यों से दूसरी को कोई बड़ी हानि पहुंच रही हो तो ऐसी परिस्थिति मे राज्य उनके ऊपर प्रीतबंध लगा सकता है।


Q - ऑन लिबटी' नामक पुस्तक की रचना किसने की थी?


Ans. जॉन स्टुअर्ट मिल


* (हानि का सिद्धांत)- जॉन स्टुअर्ट मिल ।


* (उदारवाद)- i) यह एक राजनीतिक विचार धारा है, जिसे सहनशीलता के मूल्य के साथ जोड़ कर देखा जाता है।

ii) आधुनिक उदारवाद के केन्द्र बिन्दु में व्यक्ति प्रमुख होता है

iii) उदारवाद के लिए परिवार समाज या समुदाय जैसी ईकाइ‌यो का अपने आप में कोई महत्व नहीं है।

iv) उदारवादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समानता जैसे अन्य मूल्यों से अधिक वरीयता देते हैं, वे आमतौर पर राजनीतिक सत्ता को संदेह की नजर से देखते है।

v) ऐतिहासिक रूप से उदारवाद ने मुक्त बाजार और राज्य की न्यूनतम भूमिका का पक्ष लिया

vi) उदारवादी कल्याणकारी राज्य की भूमिका को स्वीकार करते हैं और मानते है कि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने वाले उपायों की जरूरत है।

 

* सकारात्मक एवं नकारात्मक स्वतंत्रता 


*नकारात्मक स्वतंत्रता - * i) उस क्षेत्र को पहचानने और बचाने का प्रयास करती है, जिसमें व्यक्ति अनुलंघनीय हों।

ii)  नकारात्मक स्वतंत्रता भारत में  यह निहितार्थ है कि जहाँ तक संभव हों प्रति प्रतिबंधों का अभाव हों।

iii) इसलिए इच्छा अनुसार कार्य करने की छुट हो, और व्यक्ति के कार्यों पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध ना हों।

iv) नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है - जॉन स्टुअर्ट मिल और एफ.ए हायक आदि।


* (सकारात्मक) i) नियमों व कानूनी अंतर्गत ऐसी व्यवस्था जिसे मनुष्य अपना विकास कर सकें।

ii) यदि राज्य सार्वजनिक कल्याण का लक्ष्य प्राप्त करना चाहते है। तों प्रतिबंध अनिवार्य है।

iii) मानव समाज में रहता रहता हैं। उसके कार्य अन्य लोगो की स्वतंत्रता को प्रभावित करते है ।इसलिए इसका जीवन बंधनों द्वारा विनियमित होना चाहिए।

iv) तर्क युक्त बंधनों की उपस्थिति ।

v) सकारात्मक के समर्थक है-री. एच ग्रीन, प्रो ईसाह बर्लिन ।


# अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता


* (वाल्तेयर) - तुम जो कहते हो मैं उसका समर्थक नहीं करता लेकिन मैं। मरते दम तक तुम्हारे कहने के अधिकार को बचाव करूंगा।


* रामायण रिटोल्ड - ओब्रे मेनन ।


* द सेटानिक वर्सेस - सलमान रुश्दी।


* द लास्ट टेम्पटेशन ऑफ क्राइस्ट प्रतिबंधित फिल्म |


* मी नाथूराम बोलते' प्रतिनिधित नाटक ।


*(जॉन स्टुअर्ट मिल - 19 वी शताब्दी के ब्रिटेन के एक राजनीतिक विचारक था।

:-  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष धर थे।

:-  इनकी पुस्तक का नाम 'ऑन लिबर्टी था।

:- इन्होनें ऑन लिबर्टी मे चार कारणों को पेश किया ।


* (पहला). कोई भी विचार पूरी तरह से गलत नहीं होता। जो हमे गलत लगता है, उसमें सच्चाई का तत्व होता है अगर हम गलत विचार को प्रतिबंधित कर देंगे तो इसमें छुपे सच्चाई के अंश को भी खो देगें।


* (दूसरा) दूसरा कारण पहले कारण से जुड़ा है। सत्य स्वयं में उत्पन्न नही होता । सत्य विरोधी विचारो के टकराव से पैदा होता है। जो विचार आज गलत प्रतीत होता है वह सही तरह के विचारों के उदय में बहु‌मूल्य हो सकता है।


* (तीसरे)- तीसरे, विचारों का यह संघर्ष केवल अतीत में ही मूल्यवान नहीं था, बल्कि हर समय में इसका सतत महत्व है। सत्य के परे'यह खतरा हमेशा होता है कि वह एक विचारहीन और रूढ उक्ति में बदल जाए। जब हम इसे विरोधी विचार रखते है तभी इस विचार का विश्वसनीय होना सिद्ध होता है।


* (चौथा). अंतिम बार यह कि हम इस बात को लेकर भी निश्चित नहीं हो सकते कि जिसे हम सत्य समझते है, वही सत्य है। कई बार जिन विचारों को किसी समय पूरी समाज ने गलत समझा और दबाया था, बाद में सत्य पाए गए।


# (स्वतंत्रता की रक्षा के उपाय)

i) लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था

ii) मौलिक अधिकारों का प्रावधान

iii) कानून का शासन

iv) न्यायपालिका की स्वतंत्रता

v) शक्तियों का विकेन्द्रीकरण

vi ) शक्तिशाली विरोधी दल

vii) आर्थिक समानता

viii)  विशेषाधिकार न होना

ix) जागरूक जनमत