Class 11th Pol-Science Chapter 8 Notes in Hindi (स्थानीय शासन)

Class 11th Pol-Science Chapter 7 Notes in Hindi (स्थानीय शासन). स्थानीय शासन की संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा कब प्रदान किया गया था? Ans. सन् 1993 में

अध्याय - 8 स्थानीय शासन

*(स्थानीय शासन): गाँव और जिला स्तर के शासन को स्थानीय शासन कहते हैं।

Q. स्थानीय शासन की संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा कब प्रदान किया गया था?

Ans. सन् 1993 में।

* (स्थानीय शासन):- i) स्थानीय शासन आम आदमी के सबसे नजदीक का शासक है।

ⅱ) स्थानीय शासन का विषय है आम नागरिक की समस्याएं और उसकी रोजमर्रा की जिदंगी।

iii) स्थानीय शासन की मान्यता है कि स्थानीय ज्ञान और स्थानीय हित लोकतांत्रिक फैसला लेने में अनिवार्य घटक है।

ⅳ) जीवंत और मजबूत स्थानीय शासन सक्रिय भागीदारी और उद्देश्यपूर्ण जवाब देही को सुनिश्चिता करता है।

v) स्थानीय शासन के स्तर पर आम नागरिक उसके जीवन से जुड़ें मसलों जरूरतों और उसके विकास बारे में फैसला लेने की प्रक्रिया को शामिल किया जाता है।

vi) स्थानीय शासन क्या कर रहा है और क्या करने में नाकाम रहा है आम जनता का इस सवाल से कही ज्यादा सरोकार होता है, क्योकि इस बात से सीधा असर उसकी रोजमर्रा की जिदंगी पर पड़ता है। इस तरह, स्थानीय शासन को मजबूत करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने के समान है।

vii) संविधान के 73 वीं और 74 के संशोधन के बाद स्थानीय शासन को मजबूत आधार मिला ।

* (स्थानीय शासन की आवश्यकता लाभ / महत्व )

i) स्थानीय शासन लोगो के सबसे नजदीक होता है, और इस कारण उनकी। समस्याओं का समाधान बहुत तेजी से और कम खर्चे से हो जाता है।

ii) कारगर और जन-हितकारी प्रशासन के लिए स्थानीय शासन महत्वपूर्ण है।

iii) स्थानीय शासन स्थानीय लोगों द्वारा चलाया जाता है और स्थानीय   लोगों में अपनी स्थानीय समस्याओं का ज्ञान होता है। और वह उन्हें खतम करने के लिए उचित कद‌म उठा पाते है।

iv) स्थानीय सरकार, उच्च स्तर की सरकारों का कार्यभार कम करती है।

v) लोकतंत्र में अधिक से अधिक लोगो की भागीदारी बढाने तथा लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए हमे स्थानीय शासन की आवश्यकता होती है।

# (भारत में स्थानीय शासन का विकास )

i) आधुनिक समय में, स्थानीय शासन के निर्वाचित सन 1882 के बाद अस्तित्व में आए । 

ii) उस वक्त लार्ड रिपन (Lord Rippon) भारत का  वाय सराय था। 

iii) उसने इन निकायों को बनाने की दिशा में चहलकदमी की। उस वक्त इसे मुकामी बोर्ड (Local Board) कहा जाता था।

iv) लार्ड रिपन को स्थानीय शासन का जनक कहा जाता है।

v) गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट-1919 के बनने पर अनेक प्रांतों में ग्राम पंचायत बनें। 

vi) सन् 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के बाद भी यह प्रवृत्ति जारी रही।

Q. स्थानीय शासन को लेकर महात्मा गाँधी के क्या विचार यें ? 

Ans.भारतीय स्वतंत्रता -संग्राम के दिनों में महात्मा गांधी ने देकर कहा था कि आर्थिक और राजनीतिक सत्ता का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। उनका मानना था कि ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाना सत्ता के विकेंद्री करण का कारगर साधन है। 

Q.विकेंद्रीकरण किसे कहते हैं? 

Ans. जब केन्द्र और राज्य से शक्तियां लेकर स्थानीय सरकार को दी जाती तों इसे विकेंद्रीकरण कहते हैं।


Q.स्थानीय शासन को लेकर नेहरू जी के क्या विचार है?

Ans-नेहरू खुद - अति- स्थानीयता को राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए खतरा मानते हैं।

*.स्वतंत्र भारत में स्थानीय शासन

संविधान के 73 वे और 74 वे संशोधन के बाद स्थानीय शासन को मजबूत आधार मिला, लेकिन  इससे पहले भी स्थानीय शासन के निकाय बनाने के लिए कुछ  प्रयास हो चुके थे। इस सिलसिले में पहला नाम आता है 

1952 के सामुदायिक विकास कार्यक्रम (community Development Programme) का 

(सामुदायिक विकास कार्यक्रम):i) इस कार्यक्रम के पीछे सोच यह थी कि स्थानीय विकास की विभिन्न गतिविधियों में जनता की भागीदारी हो।।

ii) इसी पृष्ठभूमि में ग्रामीण इलाकों को लिए एक त्रि-स्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था की सिफारिश की गई।

iii) शुद्ध प्रदेश (मसलन, गुजरात, महाराष्ट्र) ने सन 1960 में निर्वाचन द्वारा बने स्थानीय निकायों की प्रणाली अपनाई। लेकिन अनेक प्रदेशों में इन स्थानीय निकायों की शक्ति नही थी कि वे स्थानीय विकास की देखभाल कर सके 

Q.पी. के थुंगन समिति की मुख्य सिफारिश क्या थी?

Ans.ⅰ) 1989 में पी. के थुंगन  समिति ने स्थानीय शासन के निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने की सिफारिश की।

iii) इस समिति की सिफारिश थी कि स्थानीय शासन की संस्थाओं के  चुनाव समय समय पर कराने , उनके समुचित कार्यों की सूची तय करने तथा ऐसी संस्थाओं को धन प्रदान करने के लिए संविधान में संशोधन किया गया।

* (संविधान का 73 वाँ 74 वाँ संशोधन) :

i)भारत सरकार ने 1989 में दो संविधान संशोधन किए जिसे संविधान का 73 वा और 74 वाँ संशोधन कहते है।

ii) इन संशोधन का लक्ष्य था कि स्थानीय शासन को मजबूत करना और पूरे देश में इसके कामकाज तथा बनावट में एकरूपता लाना |

iii) सन 1992 में संविधान के 73 वें और, 74 वें संशोधन को संसद ने पारित किया।

iv) संविधान का 73 वाँ संशोधन गाँव के स्थानीय शासन से जुड़ा है 

v) संविधान संविधान का 74 वाँ संशोधन शहरी स्थानीय शासन (नगरपालिका) से जुड़ा है।

vi) सन 1993 में 73 वाँ और 74 वाँ संशोधन लागू हुआ ।

Q. संविधान के 73 वे और 74 वे संशोधन में अंतर स्पष्ट कीजिए ?

 Ans. 73 वा संशोधन 

i) संविधान का 73 वाँ संशोधन गाँव के स्थानीय शासन से जुड़ा है

ii) संविधान के 73 वाँ संशोधन में पंचायती  राजव्यवस्था की त्रि-स्तरीय बनावट का उल्लेख किया गया है

iii) संविधान के 73 वें संशोधन में इस बात का भी प्रावधान है कि ग्राम सभा अनिवार्य रूप में बनाई जानी चाहिए

*74 वा संशोधन  

i) संविधान का 74 वा संशोधन शहरी स्थानीय शासन से जुड़ा है।

ii) प्रदेशिक चुनाव आयुक्त और प्रादेशिक आयोग 74 वे संशोधन में शामिल है तथा नगरपालिका पर लागू होते है।

iv) संविधान के 12 वीं अनुसूचि में लिखे विषय 74 वे संशोधन से संबंधित है.

*  ग्राम पंचायत 

i) सबसे नीचे पानी पहली पायदान पर ग्राम पंचायत आती है। 

ii) ग्राम पंचायत के दायरे में एक अथवा एक से ज्यादा गाँव होते है

* मंडल) खंड या तालुका

i) मध्यवर्ती स्तर यानी बीच का पायदान मंडल का है, जिसे खंड (Block)" तालुका कहते हैं।

ii) इस पायदान पर कायम स्थानीय शासन के निकाय को मंडल या तालुका पंचायत कहा जाता है।

iii) जो प्रदेश आकार में छोटे है पूरी 20 लाख से कम जनसंख्या वाले प्रदेश में मंडल या तालुका नहीं होते।

* जिला पंचायत

i) सबसे ऊपर के स्थान पर जिला पंचायत का स्थान है।

ⅱ) इसके दायरे में जिले का पूरा ग्रामीण इलाका आता है।

*(पंचायती राज संस्थाओं को तीन स्तर के चुनाव)

i)पंचायती राज संस्थाओं के तीन स्तरो के चुनाव सीधे जनता (प्रत्यक्ष) करती हैं।

ii) हर पंचायती निकाय की अवधि पाँच साल की होती है।