Class 11th Pol-Sciecne Chapter-7 (राष्ट्रवाद) Notes in Hindi

राष्ट्रवाद
राष्ट्रवाद :-राष्ट्रवाद से अभिप्राय देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना से है।
राष्ट्रवाद का प्रतीक i) राष्ट्रवाद का प्रतीक गणतंत्र दिवस की परेड ।
ii) यह प्रतीक सता और शाक्ति के साथ विविधता की भावना को भी प्रदर्शित करता है। कई लोग इस विविधता को भारतीय राष्ट्र से जोड़ते है।
* राष्ट्रवाद किन चरणों से गुजर चुका है?
राष्ट्रवाद कई चरणों से गुजर चुका है जैसे,
i) 19 वी शताब्दी के यूरोप में इसमें कई छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण से बेहतर राष्ट्र-राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
ii) लेटिन अमेरिका में बड़ी संख्या नए राज्य भी स्थापित किए गए।
*राष्ट्रवाद किन साम्राज्यों के 'पतन का मुख्य कारण रहा है? है।
रूसी साम्राज्य
ब्रिटिश साम्राज्य
पुर्तगाली साम्राज्य
यह वह राज्य थे जो राष्ट्रवाद के कारण पतन हुए ।
* पृथकतावादी आंदोलन
:- दुनिया के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रवादी मांगो को पूरा करने के लिए जो आंदोलन चलाया गया। उसे पृथकतावादी आंदोलन कहते है। जैसे :-
i) कनाडा में क्यूबे कवासियों द्वारा चलाया गया आंदोलन।
ii) उत्तरी स्पेन में बास्क वासियों द्वारा चलाया गया आंदोलन।
iii) तुर्की और इशका के कुर्दों द्वारा चलाया गया आंदोलन।
iv) श्रीलंका में तमिलों द्वारा चलाया गया आंदोलन।
* (राज्यत्व)- राजकीय |
* (राष्ट्रत्व)- राजकीय |
# राष्ट्र और राष्ट्रवाद
* (परिवार)- परिवार प्रत्यक्ष संबंधो पर आधारित होता है जिसका प्रत्येक सदस्य दूसरे सदस्य के व्यक्तिगत और चरित्र के बारे में व्यक्तिगत जानकारी रखता है।
राष्ट्र:- राष्ट्र बहुत हद तक एक काल्पनिक' समुदाय होता है, जो अपने सदस्यो के सामूहिक विश्वास, आकांक्षाओं और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बंधा होता था।
*राष्ट्र के बारे में लोगों की कुछ सामान्य मान्यताएँ ।
i) साझे विश्वास ।
ii) इतिहास ।
ⅱi) भू-क्षेत्र ।
iv) साझे राजनीतिक आदर्श।
v) साझी राजनीतिक पहचान ।
* साझे विश्वास
: पहला, राष्ट्र विश्वास के जरिए बनता है। राष्ट्र पहाड़, नदी या भवनों की तरह नही होते, जिन्हें हम देख सकते हैं और जिनका स्पर्श महसूस कर सकते हैं। वे चीजें भी नहीं है जिनका लोगों के विश्वासों से स्वतंत्र अस्तित्व हो।
* (इतिहास) - दूसरा, जो लोग अपने को एक राष्ट्र मानते है उनके भीतर अपने बारे में बहुधा स्थायी ऐतिहासिक पहचान की भावना होती है।
* (भू-क्षेत्र) - किसी भू. क्षेत्र पर काफी हद तक साथ-साथ रहना एवं उससे संबंधित साझे अतीत की स्मृतियां जन साधारण को एक सामूहिक पहचान का अनुभव कराती है जैसे कोई भू-क्षेत्र को मातृभूमि या पितृभूमि कहते है
* (साझे राजनीतिक आदर्श ) i) अपना भूक्षेत्र और साझी ऐतिहासिक पहचान लोगों में एक होने का बोध पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, लेकिन भविष्य के बारे में साझा नजरिया और अपना स्वतंत्र राजनीतिक अस्तित्व बनाने की सामूहिक चाहत ही वह मूल बात है जो राष्ट्र को बाकी समूहों से अलग करती है।.
ⅱ) राष्ट्र के सदस्यों को इस बारे में एक साझा दृष्टि होती है कि वे किस तरह का राज्य बनाना चाहते हैं।
iii) बाकी बातों के अलावा वें लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और उदारवाद जैसे मूल्यों और सिद्धांतों को स्वीकार करते हैं।
* साझी राजनीतिक पहचान
:- बहुत से लोगों का मानना है कि हम जैसा राज्य या समाज बनाना चाहते है उसके बारे में साझी राजनीतिक दृष्टि व्यक्तियों को एक राष्ट्र के रूप में बाँधने के लिए पर्याप्त नहीं होती। इसके स्थान पर वह एक समान भाषा या जातीय वश पर परंपरा जैसी साझी सांस्कृतिक पहचान चाहते है।
# (राष्ट्रीय आत्मनिर्णय का सिद्धांत)
:- राष्ट्रीय आत्मनिर्णय का सिध्दांत के अनुसार प्रत्येक राष्ट्रीय समुदाय या राष्ट्र का यह प्राकृतिक अधिकार है कि वह एक स्वशासित राज्य हों। इसके अनुसार प्रत्येक राष्ट्र को एक प्रभुत्व संपन्न राज्य बनने का अधिकार है
* अलग राष्ट्र और अपना शासन हो।
* अपना भविष्य स्वयं तय करने का अधिकार हों।
* पृथक राजनीतिक इकाई या राज्य कें दर्जे की मान्यता ।
Q. आत्मनिर्णय के आन्दोलनो से कैसे निपटे ?
Ans. नए राज्यों का गठन करना समाधान नहीं है, बल्कि राज्यों को ज्यादा लोकतांत्रिक और समतामूलक बनाने में है आत्मनिर्णय के आंदोलन का समाधान यह है कि भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक और नस्लीय पहचान के लोग देश में। समान नागरिकों तथा मित्रों की तरह सहअस्तित्व पूर्वक रह सकें।
बास्क:-i) बास्क स्पेन का एक पहाड़ी और समृद्ध क्षेत्र है।
ii) इस क्षेत्र की सोनी सरकार में स्पेन राज्य संघ के अन्तर्गत'स्वायत क्षेत्र का दर्जा दे रखा है, लेकिन बास्क राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता इस स्वायतता से संतुष्ट नहीं है।
iii) वे चाहते है कि बास्क स्पेन से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बन जाए।
बहुलवाद
:- जब एक संस्कृति एक राज्य की अवधारणा को त्याग दिया गया तब नई व्यवस्था वह होगी जहाँ अनेक संस्कृतियां और समुदाय एक ही देश में फल-फूल सकें। भारतीय संविधान में भाषायी, धार्मिक एवं सांस्कृतिक अल्पसंख्यको की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए गए है।
*राष्ट्रवाद पर रवींद्रनाथ ठाकुर की समालोचना
i) राष्ट्रवाद हमारा अंतिम आध्यात्मिक मंजिल नहीं हो सकता
ii) मेरी शरणस्थली तो मानवता है। मैं हीरों की कीमत पर शीशा नहीं। खरीदूंगा और जब तक मैं जीवित हूँ देशभक्ति को 'न' मानवता पर कदापि विजयी नही होने दूगाँ ।
iii) वें औपनिवेशिक शासन के विरोधी थे और अधिकार का दावा करते हैं।
iv) वें महसूस करते हैं कि उपनिवेशों के ब्रिटेनी प्रशासन में मानवीय संबंधो की गरिमा बरकरार रखने की गुंजाइश नहीं है।
v) टैगोर पश्चिमी सम्राज्यवाद का विरोध करने और पश्चिमी सभ्यता को खारिज करने के बीच फर्क करते थे।
vi) भारतीयों को अपनी संस्कृति और विरासत में गहरी आस्था होनी ही चाहिए लेकिन उन्हें बाहरी दुनिया में मुक्त भाव से सीखने और लाभान्वित होने का प्रतिरोध नहीं करना चाहिए ।
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