Class 11th Pol-Sciecne Chapter-8 (धर्मनिरपेक्षता) Notes in Hindi

Class 11th Pol-Sciecne Chapter-8 (धर्मनिरपेक्षता) Notes in Hindi. धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है? बिना न किसी भेदभाव के सभी भारतीय नागरिकों को अपना
Class 11th Pol-Sciecne Chapter-8 (धर्मनिरपेक्षता) Notes in Hindi

धर्मनिरपेक्षता

• धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है? 

बिना न किसी भेदभाव के सभी भारतीय नागरिकों को अपना अपना धर्म मानने व प्रचार करने की स्वतंत्रता अर्थात जब राज्य धर्म को लेकर कोई भेद - भाव ना करें।

: भारत विविधताओं का देश है, लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए सभी को समान अवसर प्रदान करनें का कार्य कठिन है। इसलिए भारतीय संविधान के 42 वें संशोधन के द्वारा पंथ निरपेक्षता शब्द को जोड़ा गया। संविधान के घोषणा-पत्र में धार्मिक वर्चस्ववाद का विरोध करना, धर्म के अन्दर छिपें वर्चस्व का विरोध करना तथा विभिन्न धर्मों के बीच तथा उनके अन्दर समानता को बढ़ावा देना आदि की घोषणा का वर्णन है

• सिख विरोधी दंगे कब हुए थे:- 1984 में।

*.सिख विरोधी दंगे में लगभग 2,700 से ज्यादा सिख मारे गए? 

*.गोधरा दंगो कांड कांड 2002 में, गुजरात मे हुआ था।

*.धर्मनिरपेक्षता के मुख्य महत्वपूर्ण पहलू क्या है?

 i) अंतर - धार्मिक वर्चस्व करता है।

ii) अंत : धार्मिक वर्चस्व ।

*(अत : धार्मिक वर्चस्व ). धर्म के अंदर हुए वर्चस्व का विरोध करना है।

*.हिंदुधर्म में कौन - सा वर्ग स्थायी रूप से भेद-भाव से पीड़ित रहा है:-. दलित

*(धर्मनिरपेक्ष राज्य)

ⅰ) वह राज्य जहा  सरकार की तरफ से किसी धर्म को आधिकारिक कानूनी मान्यता न हो।

ⅱ) सर्वधर्म समभाव की अवधारणा को महत्व दिया जाता है।

iii) धार्मिक समूहों के बीच होने वाले वर्चस्व को रोका जाता है।

iv) धार्मिक संस्थाओं राज्यसत्ता की संस्थाओं के बीच अंतर होना चाहिए। तभी शांति स्वतंत्रता और समानता स्थापित हो पाएगी।

v) इसी प्रकार के धार्मिक- गठजोड़ में परहेज किया जाता है।

*( धर्मों के बीच वर्चस्ववाद)

हर भारतीय नागरिक को देश के किसी भी भाग में आजादी और प्रतिष्ठा के साथ रहने का अधिकार है, फिर भी भेदभाव के अनेक उदाहरण पाए जाते है, जिसमें बर्मी के बीच वर्चस्ववाद बढ़ा , क्योंकि हम स्वंम के धर्म को श्रेष्ठ मानते है, लेकिन दूसरे के धर्म की हीन ।

* (धर्म के अंदर वर्चस्व): धर्म के अंदर भी अनेक प्रकार के भेद-भाव तथा वरीयताएँ स्थित है। जो आपसी वैमनस्य का कारण बनती है।

*.धर्मनिरपेक्षता में यूरोपीय मॉडल का उल्लेख कीजिए ?

. धर्म और राज्यसत्ता के संबंध विच्छेद को पारस्परिक निषेध के रूप में समझा जाता है। राज्यसत्ता धर्म के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

 यह संकल्प स्वतंत्रता और समानता की व्यक्ति वादी ढंग से व्याख्या करती है। स्वतंत्रता का मतलब है- व्यक्तियों की स्वतंत्रता समानता क तात्पर्य है- व्यक्तियों के बीच समानता ।

निरपेक्षता में राज्य समर्थित धार्मिक सुधार के लिए कोई जगह नही है।

* (कमाल अतातुर्क)

 :- इनका वास्तविक नाम मुस्तफा कमाल पाशा था ।

 :-  अतातुर्क का अर्थ होता है- तुर्की का पिता

 :-  तुर्को के सार्वजनिक जीवन में खिलाफत को समाप्त कर देने के लिए कटिबद्ध थे।

* (धर्मनिरपेक्षता के बारे में नेहरू के विचार)

i) सभी धर्मो को राज्य द्वारा समान संरक्षण धर्मनिरपेक्षता कहलाता है।

ii) वे ऐसा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र चाहते है जो (सभी धर्मो की हिफाजत करें, अन्य थर्मो की कीमत पर किसी एक धर्म की तरफ दारी ना करें और खुद किसी धर्म की राज्यधर्म के बतौर स्वीकार न करें।

iii) नेहरू भारतीय धर्मनिरपेक्षता के दार्शनिक थे।

iv) उनके लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब था तमाम किस्म की सांप्रदायिकता का पूर्ण विरोध ।

v) उनके लिए धर्मनिरपेक्षता सिध्दांत का मामला भर नहीं था वह भारत की एकता और अखंडता की एकमात्र गारंटी भी था।

*.धर्मनिरपेक्षता का भारतीय मॉडल क्या है ?

 i)भारतीय धर्मनिरपेक्षता केवल धर्म और राज्य के बीच संबंध विच्छेद पर। बल नहीं देती है।

ii) अल्पसंख्यक तथा सभी व्यक्तियों की किसी भी धर्म को अपनाने की आजादी है।

iii) भारतीय धर्मनिरपेक्षता ने अंत धार्मिक और अंतरधार्मिक वर्चस्व पर। एक साथ ध्यान केद्रित किया। इसने हिंदुओं के अंदर दलितों और महिलाओं के उत्पीडन और भारतीय मुसलमानों अथवा ईसाइ‌यो के अंदर महिलाओं के प्रति भेद‌ भाव तथा बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के अधिकारों पर उत्पन्न किए जा सकने वालें खतरों का सामान रूप में विरोध किया।

iii)भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42 वें संशोधन 1976 के बाद पंथ निरपेक्ष शब्द‌ जोड दिया गया है।

vi) मौलिक अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, शिक्षा व संस्कृति का अधिकार, सभी धर्मों को समान अवसर प्रदान करतें हैं।

vii) भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक को खुद अपनी समस्याएं खोजने का अधिकार है तथा राज्यसत्ता के द्वारा सहायता भी मिल सकती है।

# (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार)

०(अनुच्छेद 25 से 28 तक)

(अनु ० 25) भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति किसी धर्म को मान सकता है 

विश्वास कर सकता है।

प्रचार कर सकता है है।

(अनु ० 26) : धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता की व्यवस्था की गई है।

(अनु ० 27 ) किसी व्यक्ति को ऐसा कोई कर देने के लिए मजबूर नही किया जाएगा जो किसी धर्म को बढ़ाने के काम आए।

(अनु ० 28) सरकारी शिक्षण संस्थाओं ने धार्मिक शिक्षा पर रोक लगाई गई है।

*.भारतीय धर्मनिरपेक्षता की आलोचनात्मक टिप्पणी।. i)(धर्म-विरोधी) - विरोधियों के अनुसार धर्म निरपेक्षता धर्म विरोध है तथा धार्मिक पहचान के लिए खतरा पैदा करती है।

ii) पश्चिमी में आयातित

iii) (अल्पसंख्यकवाद)- अल्पसंख्यक अधिकारों की पैरवी करती हैं।  अल्पसंख्यकवाद का आरोप माना जाता है।

iv) वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देती है।

v) अतिशय हस्तक्षेपकारी - क्योंकि भारतीय धर्मनिरपेक्षता राज्यसत्ता समर्थित धार्मिक सुधार की इजाजत देती है।

vi) एक असंभव परियोजना)- धर्मनिरपेक्षता की नीति बहुत कुछ करना चाहती है, परन्तु यह परि योजना सच्चाई से दूर है जो असंभव है।

: अनेक आलोचनाओं' के बाद भी भारत की धर्मनिरपेक्षता की नीति भरिद की दुनिया का प्रतिष्ठा प्रस्तुत करती है। भारत में महान प्रयोग किए जा रहे हैं। जिसे पूरा विश्व उत्सुकता से देखता है।

 11th Pol-Sciecne Chapter-7 (राष्ट्रवाद)